सीहोर। देश आजादी के 75 साल पूरे होने पर अमृत महोत्सव मना रहा है, इस मौके पर केंद्र सरकार ने 13 से 15 अगस्त तक हर घर तिरंगा अभियान के तहत तिरंगा फहराने का आह्वान किया था. सरकार के इस अभियान की वजह से झंडे की बिक्री कई गुना बढ़ गई थी. इस अभियान का सीधा फायदा झंडे बनाने वाले कारोबारियों को हुआ, जिन्होंने सरकार के इस कदम के चलते कई करोड़ों कमाए. फिलहाल अब ये मुनाफे का सौदा करोबारियों को महंगा पड़ता दिखाई दे रहा है. दरअसल कारोबारियों ने विभागों को झंडे तो बेचे, लेकिन बिभाग उन्हें सिर्फ 12 लाख रुपये ही दे पाया और 49 लाख की उधारी हो गई. (Sehore Har Ghar Tiranga Abhiyan)
हर घर तिरंगा अभियान से मिला रोजगार: हर घर तिरंगा अभियान में शासकीय संस्थानों, कर्मचारियों, निजी संस्थानों और आम लोगों ने बढ़ चढ़कर हिस्सा लिया था. लोगों ने झंडे खरीदकर अपने घर और व्यापारिक संस्थानों पर लगाए. साथ ही तिरंगे के साथ फोटो खींचकर सोशल मीडिया पर अपलोड भी किया. इस दौरान सभी लोगों में एक अलग उत्साह देखने को मिला. इस अभियान की मंशा महिला स्व सहायता समूहों और व्यापारियों को रोजगार उपलब्ध कराना भी था.
झंडे खरीदने में विभागों की रुचि, भुगतान करने में पीछे : विभागीय आंकड़ों के मुताबिक सीहोर में हर घर तिरंगा अभियान के तहत महिला स्व सहायता समूहों की करीब 140 महिलाओं ने झंडे निर्माण कार्य में शामिल रहीं, जिन्होंने 2 लाख 46 हजार 460 झंडे तैयार किए. ये झंडे जिले भर में बनाए गए 400 स्टॉलों के लिए खरीदे गए, अभियान के तहत विभागों ने तिरंगा खरीदने को लेकर काफी उत्साह तो दिखाया, लेकिन अब उसका भुगतान करने में पीछे रह गए. अभी तक करोबारियों को अलग-अलग स्टॉलों से 12 लाख रुपए नकद प्राप्त हुए हैं, जबकि 49 लाख रुपए की बकाया है. (12 lakh Received from Flag in Sehore)