सीहोर। जिले में पुलिस को एक बड़ी सफलता हाथ लगी है. पुलिस ने नकली नोट छापने और उनकी सप्लाई करने वाले गिरोह को पकड़ लिया है. आरोपी 50 और 10 रूपए के छोटे नोट छापते थे, जिससे किसी को उन पर शक न हो. नकली नोट छापने की वजह आरोपियों ने बेरोजगारी और कर्ज को बताया है. इस मामले में एक आरोपी अभी फरार है, जिसकी पुलिस तलाश कर रही है.
एएसपी समीर यादव ने बताया कि पिछले कुछ दिनों से शहर में सुगबुगाहट चल रही थी कि कुछ लोग नकली नोट बाजार में चलाने की कोशिश कर रहे हैं. धर्मेंद्र वर्मा ने आष्टा थाना में शिकायत दर्ज कराई थी कि उसने चार साल पहले लसूड़िया पार गांव के सुरेन्द्र सैंधव को 8 हजार रूपये उधार दिए थे. सुरेंद्र अपने एक साथी के साथ आया और उन्हें 50-50 के नोटों की गड्डी के रूप में 5000 रूपये लौटा दिए. इन रूपयों को लेकर जब वे बाजार में समान लेने गए तो दुकानदार ने उन नोटों को नकली बताया.
शिकायत के बाद पुलिस ने मामले की तब्तीश की और टीम बनाकर नकली नोट बनाने वाले गिरोह को पकड़ा है. आरोपी सुरेंद्र ने पूछताछ में बताया कि इस धंधे में उसके साथ पंकज बामनिया हितेन्द्र गुर्जर, राहुल और राजेन्द्र सैंधव शामिल हैं.
पुलिस ने आरोपी पंकज बामनिया के यहां दबिश देकर कजलास से उसे गिरफ्तार कर उसके कब्जे से 50 के 12 नोट को 600 रूपए के नकली नोट बरामद किए हैं. आरोपी पंकज ने पुलिस को बताया कि ये नोट उसे देवास के बबलू और सतेंद्र गुर्जर देता है.
पुलिस ने देवास में दबिश देकर उसे भी गिरफ्तार कर लिया. वहां से नकली नोट छापने में उपयोग किए जाने वाला कंप्यूटर, सीपीयू, प्रिंटर ,ब्लेक कागज और अन्य सामग्री जब्त की है. वही आरोपी राहुल राजपूत के घर पर लंगापुरा आष्टा में दबिश दी तो उसने पूछताछ में बताया कि उक्त 5000 के नकली नोट आरोपी सुरेंद्र सेंधव उसे भेजता था. उसके पास भी 50 50 के चार नकली नोट मिले.
आरोपी कम कीमत के नोट इसलिए छापे जा रहे थे ताकि ये बाजार में आसानी से चलाया जा सकें. आरोपी ये कारोबार पिछले एक महीने से चला रह थे. पुलिस ने आरोपियों को गिरफ्तार कर नकली नोट छापने के उपकरण भी जब्त कर लिए हैं. आरोपियों से पूछताछ की जा रही है.