सीहोर। गरीबों के पक्के मकान का सपना पूरा कराने के लिए शुरू की गई प्रधानमंत्री आवास योजना सीएम के गृह जिले में दम तोड़ती नजर आ रही है. कई जगह लोग इसके लाभ से वंचित है, तो कहीं दूसरी और तीसरी किस्त के लिए भटकने को मजबूर हैं. जिले की तहसील आष्टा विकासखंड के ग्राम मुरली के निमोरा गांव इसका उदाहरण है. यहां के रहवासी कच्चे टूटे मकान में परेशानी के बीच रहने को मजबूर हैं. साथ ही कई परिवारों को अब तक आवास योजना की दूसरी और तीसरी किस्त 3 साल के लंबे समय के बाद भी नहीं मिल रही है.
- पलायन कर रहे ग्रामीण
क़ुर्ली ग्राम पंचायत के वन ग्राम निमावरा की जनसंख्या 450 के लगभग है. इस गांव में इतने बुरे हालत है कि आर्थिक रूप से कमजोर व्यक्ति जो दिहाड़ी मजदूरी करते है, वे झोपड़ियों में रहने को मजबुर है. क्योंकि इन लोगों को अभी तक प्रधानमंत्री आवास योजना का लाभ नहीं मिल पाया है. इस गांव के गरीब परिवारों के लोग अपना और परिवार का पेट भरने के लिए मेहनत मजदूरी करने जाते हैं. यह तक कि पलायन कर जैसलमेर राजस्थान में काम करने जा रहे हैं.
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- पैसे देने के बाद भी नहीं मिला लाभ
गांव की रहने वाली कृष्णा बाई के पति का स्वर्गवास काफी समय पहले हो चुका है. कृष्णा बाई का कहना है कि मैं अकेली रहती हूं ओर मेरा एक छोटा सा लड़का है, जो काम करने जाता है. सरपंच सचिव से कहते हैं तो कुटी बनाने का तो बोलते हैं, लेकिन अब तक कुटी नहीं बनी. उनको 2 हजार रुपये भी दे दिए लेकिन उसके बाद भी आवास योजना का लाभ नहीं मिला.
- तीन वर्ष से नहीं मिली किस्त
गांव के राजन बताते है कि उनके पिता के नाम से 3 साल पहले आवास मिला था. जिसकी पहली किस्त आई थी. उसके बाद से अब तक 3 वर्ष बीतने के बाद भी बाकी किस्त की राशि नहीं आई है. इस कारण तीन वर्षों से आवास अधूरा पड़ा है.
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- अधिकारियों को नहीं है जानकारी
मामले में जिला पंचायत सीईओ हर्ष सिंह से पूछा तो उनको इस बात की कोई जानकारी नहीं थी. सीईओ का कहना है कि आपके द्वारा मेरे संज्ञान में मामला लाया गया है, जो पात्र है इन्हें योजना का लाभ जरूर दिलाया जाएगा.