सीहोर। जिले में रंगों का पर्व होली मनाने का सिलसिला एक दो नहीं बल्कि पूरे पांच दिनों तक चलता है. होलिका दहन के साथ ही शुरू हुआ त्योहार हर्षोल्लास और भाईचारे और मस्ती से सराबोर ये पर्व रंगपंचमी तक चलता है. नवाबी शासन काल से चली आ रही परंपरा आज भी यहां पर कायम है. रंग-बिरंगे रंगों से रंगे हुए चेहरे जिलेभर में नजर आने लगेंगे.
पहले दिन
होलिका दहन के बाद धुलेंडी पर रंग तो होता है, लेकिन शहर में इस दिन परंपरागत रूप से गैर भी निकलती है. अलसुबह अनेक लोग होलिका दहन स्थल पर जाकर पूजा-अर्चना भी करते हैं. छोटे बच्चों को भी होलिका दहन स्थल पर ले जाया जाता है.
दूसरे दिन
इस दिन दूज को शहर में जमकर रंग बरसता है. बताया जाता है कि, इस दिन जिले में कहीं और इतना रंग नहीं होता. इस दिन विशेष पूजा अर्चना भी होती है, लोग कुल देवी-देवता को पूजते हैं. बताया गया है कि, इस दिन भोपाल नवाब हमीदउल्लाह खान सीहोर आते थे.
तीसरे दिन
इस दिन नवाब आष्टा पहुंचते थे और वहां बुधवारे में बैठते थे. किले पर जमकर होली खेली जाती थी, यहां पर आज भी होली जमकर खेली जाती है.
चौथे दिन
रंग पर्व के चौथे दिन नवाब जावर पहुंचते थे. वहां पर पूरे उल्लास के साथ ये पर्व मनाया जाता था.
पांचवें दिन
होली पर्व का पांचवां दिन रंग पंचमी पूरे जिले में उल्लास से मनाया जाता है. इस प्रकार शहर सहित जिलेभर में पूरे पांच दिन रंग बरसता है.
वरिष्ठ इतिहासकार ओमदीप ने बताया की नवाबी समय से ये परंपरा चली आ रही है. जिले में पांच दिन तक होली मनाई जाती है. नवाब सीहोर आते थे, होली मनाते थे तब ही से यह चला आ रहा है. जिले के आष्टा और सीहोर में पांच दिन तक होली खेली जाती है यह शुरू से चला आ रहा है.