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Merry Christmas 2022 मध्य भारत का पहला चर्च जीर्णोद्धार के लिए तरसता रहा, 27 साल बाद मिला था नाम

सीहोर में सीवन नदी के किनारे स्थित चर्च प्रदेश का ऐतिहासिक चर्च है. स्थानीय लोगों द्वारा बताया जाता है कि यह चर्च 27 साल में बनकर तैयार हुआ था. इसे स्कॉटलैंड के चर्च की तरह तैयार किया गया है, इसलिए इस चर्च को स्कॉटलैंड के ऐतिहासिक चर्च की कॉपी भी कहा जाता है(All Saints Church in Sehore). लाल पत्थरों का यह चर्च मध्य भारत का पहला चर्च था.

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मध्य भारत के पहले चर्च का नाम ऑल सेंट्स चर्च
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Published : Dec 23, 2022, 6:15 PM IST

Updated : Dec 23, 2022, 8:05 PM IST

मध्य भारत के पहले चर्च का नाम ऑल सेंट्स चर्च

सीहोर। विश्वभर में क्रिसमस फेस्टिवल बड़े ही धूमधाम से मनाया जाता है. 25 दिसंबर को मनाए जाने वाले ये फेस्टिवल के लिए लोग तरह-तरह की तैयारियां करते हैं. इस दिन ईसाई समाज भगवान यीशु मसीह के जन्मदिन के तौर पर यह त्योहार मनाता है. इस दिन लोग सुबह से ही चर्च में जाते हैं और कैंडल जलाकर भगवान यीशु मसीह के सामने प्रार्थना करते हैं(All Saints Church in Sehore). इसके साथ ही एक दूसरे को मिठाई खिलाकर गिफ्ट्स भी बांटते है. पश्चिमी देशों के साथ ही भारत में क्रिसमस का त्योहार पूरे हर्षोल्लास और उत्साह के साथ मनाया जाता है. इस स्पेशल मौके पर ईटीवी भारत आपको बताएगा सीहोर के ऐतिहासिक ऑल सेंट्स चर्च और इसके नाम के बारे में.

इस वजह से खास है ये चर्च: सीहोर के सीवन नदी के किनारे स्थित इस ऐतिहासिक चर्च जो कि 150 वर्षों से पूरी शान से आज भी खड़ा है. इस चर्च की तुलना पूरे भारत के ऐतिहासिक चर्चों से की जाती है. 27 सालों के अथक प्रयास और परिश्रम का परिणाम है ये आल सेंट चर्च. इसे स्कॉटलैंड के चर्च की तरह तैयार किया गया है, इसलिए इस चर्च को स्कॉटलैंड के ऐतिहासिक चर्च की कॉपी भी कहा जाता है. इसका निर्माण ब्रिटिश शासनकाल में सन 1868 में सीहोर में पदस्थ पॉलिटिकल एजेंट जे डब्लू ओसबोर्न ने कराया था. लाल पत्थरों से निर्मित यह चर्च मध्य भारत में बना पहला चर्च भी है.

क्रिसमस को लेकर तैयारी तेज: ये चर्च सीहोर जिले की महत्वपूर्ण आकर्षक इमारतों में से एक है. ब्रिटिश काल में फौजी और अधिकारी प्रार्थना के लिए यहां एकत्रित होते थे, क्योंकि सीहोर में तत्कालीन ब्रिटिश शासन की छावनी थी. यह चर्च पुरातत्व विभाग द्वारा संग्रहित इमारतों की सूची का एक हिस्सा है और अपनी भव्यता और सौंदर्य के कारण पूरे प्रदेश के आकर्षण का केंद्र है. चर्च को खास लड़कियों से बनाया गया है, जो करीब 152 साल बाद भी वैसी ही स्थिति में है. यहां पर लगभग 100 लोगों के बैठने की व्यवस्था है.

सागर का सेंट पीटर चर्च अपने में समेटे है कई विशेषता, जाने इसका इतिहास और खूबसूरती राज

150 वर्ष प्राचीन है इमारत: 150 वषों से शान से खड़ा ये ऐतिहासिक चर्च अपने जीर्णोद्धार के लिए तरस रहा है. नगर में ईसाई समुदाय सीमित संख्या न होने के कारण इस ऐतिहासिक इमारत के वजूद पर संकट के बादल मंडराने लगे हैं. (All Saints Church in Sehore need rejuvenation). फादर रोहित चौहान कहते हैं कि, अगर इस ऐतिहासिक इमारत के रख रखाव के लिए प्रशासन आगे नहीं आया तो आने वाले समय में ये इमारत इसिहास के पन्नों में ही दर्ज नजर आएगी.

मध्य भारत के पहले चर्च का नाम ऑल सेंट्स चर्च

सीहोर। विश्वभर में क्रिसमस फेस्टिवल बड़े ही धूमधाम से मनाया जाता है. 25 दिसंबर को मनाए जाने वाले ये फेस्टिवल के लिए लोग तरह-तरह की तैयारियां करते हैं. इस दिन ईसाई समाज भगवान यीशु मसीह के जन्मदिन के तौर पर यह त्योहार मनाता है. इस दिन लोग सुबह से ही चर्च में जाते हैं और कैंडल जलाकर भगवान यीशु मसीह के सामने प्रार्थना करते हैं(All Saints Church in Sehore). इसके साथ ही एक दूसरे को मिठाई खिलाकर गिफ्ट्स भी बांटते है. पश्चिमी देशों के साथ ही भारत में क्रिसमस का त्योहार पूरे हर्षोल्लास और उत्साह के साथ मनाया जाता है. इस स्पेशल मौके पर ईटीवी भारत आपको बताएगा सीहोर के ऐतिहासिक ऑल सेंट्स चर्च और इसके नाम के बारे में.

इस वजह से खास है ये चर्च: सीहोर के सीवन नदी के किनारे स्थित इस ऐतिहासिक चर्च जो कि 150 वर्षों से पूरी शान से आज भी खड़ा है. इस चर्च की तुलना पूरे भारत के ऐतिहासिक चर्चों से की जाती है. 27 सालों के अथक प्रयास और परिश्रम का परिणाम है ये आल सेंट चर्च. इसे स्कॉटलैंड के चर्च की तरह तैयार किया गया है, इसलिए इस चर्च को स्कॉटलैंड के ऐतिहासिक चर्च की कॉपी भी कहा जाता है. इसका निर्माण ब्रिटिश शासनकाल में सन 1868 में सीहोर में पदस्थ पॉलिटिकल एजेंट जे डब्लू ओसबोर्न ने कराया था. लाल पत्थरों से निर्मित यह चर्च मध्य भारत में बना पहला चर्च भी है.

क्रिसमस को लेकर तैयारी तेज: ये चर्च सीहोर जिले की महत्वपूर्ण आकर्षक इमारतों में से एक है. ब्रिटिश काल में फौजी और अधिकारी प्रार्थना के लिए यहां एकत्रित होते थे, क्योंकि सीहोर में तत्कालीन ब्रिटिश शासन की छावनी थी. यह चर्च पुरातत्व विभाग द्वारा संग्रहित इमारतों की सूची का एक हिस्सा है और अपनी भव्यता और सौंदर्य के कारण पूरे प्रदेश के आकर्षण का केंद्र है. चर्च को खास लड़कियों से बनाया गया है, जो करीब 152 साल बाद भी वैसी ही स्थिति में है. यहां पर लगभग 100 लोगों के बैठने की व्यवस्था है.

सागर का सेंट पीटर चर्च अपने में समेटे है कई विशेषता, जाने इसका इतिहास और खूबसूरती राज

150 वर्ष प्राचीन है इमारत: 150 वषों से शान से खड़ा ये ऐतिहासिक चर्च अपने जीर्णोद्धार के लिए तरस रहा है. नगर में ईसाई समुदाय सीमित संख्या न होने के कारण इस ऐतिहासिक इमारत के वजूद पर संकट के बादल मंडराने लगे हैं. (All Saints Church in Sehore need rejuvenation). फादर रोहित चौहान कहते हैं कि, अगर इस ऐतिहासिक इमारत के रख रखाव के लिए प्रशासन आगे नहीं आया तो आने वाले समय में ये इमारत इसिहास के पन्नों में ही दर्ज नजर आएगी.

Last Updated : Dec 23, 2022, 8:05 PM IST
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