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पैसे लेकर जंगल की जमीन पर चरवाए जा रहे हैं भेड़, गलत जानकारी देकर गुमराह करने का आरोप

सीहोर के लाडकुई वन क्षेत्र में वन विभाग के कर्मचारियों पर जंगल की जमीन पर पैसे लेकर भेड़ चराने की अनुमति देने की बात सामने आई है. जिसके चलते किसानों के खेत को नुकसान पहुंच रहा है. इस पर विभाग के एसडीओ ने इसकी सूचना मंडल अधिकारी को देने की बात कही है.

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Published : Sep 25, 2019, 1:52 PM IST

वन विभाग के कर्मचारियों ने पैसे लेकर भेड़ चराने की अनुमति दी

सीहोर। वन कर्मचारियों का जंगल के क्षेत्र को नष्ट करने का मामला सामने आया है. मामला लाडकुई वन परिक्षेत्र का है, जहां वन कर्मचारी जंगल की भूमि को चारागाह बनाने में लगे हैं. ग्रामीणों का कहना है कि नाकेदार और डिप्टी रेंजर पैसे लेकर राजस्थान से आए भेड़ों को चरवाने की अनुमति दे देते हैं, जिसके चलते खेतों में लगी उनकी फसलों को नुकसान हो रहा है.

वन विभाग के कर्मचारियों ने पैसे लेकर भेड़ चराने की अनुमति दी


लाडकुई वन क्षेत्र के पिपलानी सर्किल के बीट किशनपुर, डोंगलापानी और खजूरपानी में वन विभाग के कर्मचारी भेड़ों को चरवाए जाने के पैसे ले रहे हैं. इसकी वजह से वन क्षेत्र के पास लगे सोयाबीन की फसलों को नुकसान पहुंच रहा है, इसे लेकर भेड़ मालिकों और किसानों के बीच विवाद होते रहते हैं. ग्रामीणों का कहना है कि अधिकारियों ने 10 दिन के हिसाब से कुल 30 हजार रुपए भेड़ मालिकों से लिए हैं. वहीं भेड़ों के साथ चरवाहे जंगल में पांच जगहों पर डेरा डाले हुए हैं.


ग्रामीणों ने नाकेदार आशीष वर्मा और सोलंकी, डिप्टी रेंजर सलीम बेग और रेंजर पंकज शर्मा के साथ अन्य बड़े अधिकारियों की इसमें मिलीभगत होने की बात कही है. वहीं इस मामले में ब्लॉक कांग्रेस अध्यक्ष मोहनलाल शर्मा ने कहा कि लाखों रुपए लेकर भेड़ चरवाए जाने का मामला सामने आया है. ग्रामीणों ने भी रेंजर, डिप्टी रेंजर और नाकेदार पर आरोप लगाए हैं. इस मामले में एसडीओ ने कहा कि इसकी सूचना वन मंडल के अधिकारी को दे दी गई है. जिसकी रिपोर्ट के बाद ही इस मामले पर कोई कार्रवाई की जाएगी.

सीहोर। वन कर्मचारियों का जंगल के क्षेत्र को नष्ट करने का मामला सामने आया है. मामला लाडकुई वन परिक्षेत्र का है, जहां वन कर्मचारी जंगल की भूमि को चारागाह बनाने में लगे हैं. ग्रामीणों का कहना है कि नाकेदार और डिप्टी रेंजर पैसे लेकर राजस्थान से आए भेड़ों को चरवाने की अनुमति दे देते हैं, जिसके चलते खेतों में लगी उनकी फसलों को नुकसान हो रहा है.

वन विभाग के कर्मचारियों ने पैसे लेकर भेड़ चराने की अनुमति दी


लाडकुई वन क्षेत्र के पिपलानी सर्किल के बीट किशनपुर, डोंगलापानी और खजूरपानी में वन विभाग के कर्मचारी भेड़ों को चरवाए जाने के पैसे ले रहे हैं. इसकी वजह से वन क्षेत्र के पास लगे सोयाबीन की फसलों को नुकसान पहुंच रहा है, इसे लेकर भेड़ मालिकों और किसानों के बीच विवाद होते रहते हैं. ग्रामीणों का कहना है कि अधिकारियों ने 10 दिन के हिसाब से कुल 30 हजार रुपए भेड़ मालिकों से लिए हैं. वहीं भेड़ों के साथ चरवाहे जंगल में पांच जगहों पर डेरा डाले हुए हैं.


ग्रामीणों ने नाकेदार आशीष वर्मा और सोलंकी, डिप्टी रेंजर सलीम बेग और रेंजर पंकज शर्मा के साथ अन्य बड़े अधिकारियों की इसमें मिलीभगत होने की बात कही है. वहीं इस मामले में ब्लॉक कांग्रेस अध्यक्ष मोहनलाल शर्मा ने कहा कि लाखों रुपए लेकर भेड़ चरवाए जाने का मामला सामने आया है. ग्रामीणों ने भी रेंजर, डिप्टी रेंजर और नाकेदार पर आरोप लगाए हैं. इस मामले में एसडीओ ने कहा कि इसकी सूचना वन मंडल के अधिकारी को दे दी गई है. जिसकी रिपोर्ट के बाद ही इस मामले पर कोई कार्रवाई की जाएगी.

Intro:रक्षक ही बने भक्षक, ग्रामीणों ने लगाया आरोप, राशि लेकर चरवाई जा रही जंगलों में भेड़.....

वरिष्ठ अधिकारियों को जानकारी के बाद भी नहीं की कार्यवाही....

कांग्रेस नेता ने की शिकायत

जांच दल को गलत जानकारी देकर किया गुमराह.और उन्हें वापस रवाना किया...

Anchor/v/b- जहां वनों के विकास को लेकर करोड़ों रुपए के प्रोजेक्ट बनाए जाते हैं पौधे लगाए जाते हैं प्लांटेशन होते हैं लेकिन वन कर्मचारी इन सब से दूर कुछ और मंशा रखते हुए वनों का विनाश कराने में, अवैध कटाई एवं अवैध रूप से वन भूमि पर अतिक्रमण करवाने में लगे हुए हैं। यह हम नहीं कह रहे हैं क्षेत्र की जनता कह रही है यह वह जनता है जो वनों का विकास चाहती है लेकिन जिन रक्षकों को  सरकार द्वारा करोड़ों रुपए की सैलरी देकर जिन्हें वन के विकास के लिए लगाया है वहीं जंगल का विनाश करने में लगे हुए हैं 


 ऐसा ही एक मामला जिले के लाडकुई वन परिक्षेत्र क्षेत्र के अंतर्गत आने वाले पिपलानी सर्किल के बीट किशनपुर, डोंगलापानी और खजूरपानी में देखने को मिला जहां वन विभाग के कर्मचारी द्वारा राजस्थान से आई भेड़े चरवाई जा रही है और इसके लिए भेड़ मालिक से भरपूर राशि भी ली गई है क्षेत्रवासियों का कहना है कि 01 सितंबर से क्षेत्र में नाकेदार आशीष वर्मा के साथ नाकेदार गोयल और डिप्टी रेंजर सलीम बेग द्वारा पैसा लेकर जंगल में भेड़ चरवाई जा रही है वहीं इसमें रेंजर पंकज शर्मा की मिलीभगत से भी इनकार नहीं किया जा सकता। 
     
Body:जानकारी के अनुसार जंगल में भेड़ के होने से वन संपदा को नुकसान तो है ही लेकिन उन किसानों को भी नुकसान हो रहा है जिनके खेतों में इस समय सोयाबीन की फसल लगी है जिसको लेकर आए दिन किसानों एवं भेड़ मालिकों के बीच विवाद हो रहा है वहीं इस पूरे मामले की जानकारी वरिष्ठ अधिकारियों को होने के बाद भी नाकेदार, डिप्टी रेंजर व रेंजर पर कोई कार्यवाही नहीं की जा रही है। जिससे कारण यह कहना भी गलत नहीं है कि वनरक्षक के अलावा वरिष्ठ अधिकारी भी इसमें लिप्त है जिनके कारण वनरक्षको के हौसले बुलंद है।
           अगर हम ग्रामीणों की माने तो उनका कहना है कि नाकेदार आशीष वर्मा व सोलंकी द्वारा भेड़ मालिक से प्रतिदिन के हिसाब से राशि ली गई है जिसमें 10-10 दिन के 25 से 30 हजार रूपये के करीब लिए गए हैं वही डिप्टी रेंजर सलीम बेग को भी राशि अन्य भेड़ मालिक द्वारा दी गई है जंगल में लगभग 05 अलग-अलग स्थान पर डेरे रुके हुए हैं व पाँचों डेरा वालो से अलग-अलग राशि ली गई है। वही रेंजर पंकज शर्मा लाडकुई सामान्य के द्वारा राशि लेने की बात सामने आई है कई ग्रामीणों का कहना है कि वन विभाग के कर्मचारी द्वारा राशि लाखों रुपए में ली गई है।
         
 वही ग्रामीण नाम नहीं बताने की शर्त पर इन सब बातों का खुलासा तो कर रहे हैं लेकिन कोई भी प्रत्यक्ष बोल नहीं पा रहा है इसका प्रमुख कारण उनका जंगल में निवास करने व वन अधिकारियों द्वारा बाद में परेशान करने का डर सता रहा है जो कि एक सच्चाई भी है आए दिन वन विभाग द्वारा राशि लेकर सिल्लियाॅ ले जाते वाहन छोड़ने की घटनाएं भी देखी जा रही है। 

          वही ब्लॉक कांग्रेस अध्यक्ष मोहनलाल शर्मा ने बताया कि हमें ग्रामीणों द्वारा संज्ञान में आया है कि वन कर्मचारियों द्वारा लाखों रुपए की राशि लेकर वन क्षेत्र में भेड़ों को चरबाया जा रहा है वही हेमराज पठारी द्वारा भी रेंजर पंकज शर्मा, डिप्टी रेंजर सलीम बेग व नाकेदार आशीष वर्मा के द्वारा भेड मालिकों से लाखो रूपये की राशि लेने का आरोप लगाया गया है।
          इन सब बातों के बावजूद वरिष्ठ अधिकारी एवं प्रशासन इस ओर कोई कड़े कदम नहीं उठा रहा है जिसके चलते वन कर्मचारी, अधिकारी के हौसले बुलंद है और वह इस प्रकार के कृत्य को करने में जरा भी हिचक नहीं रहे। 

बाईट - मनोज भदोरिया, एसडीओ वन विभाग बुधनी

बाईट - मोहनलाल शर्मा ब्लाक कांग्रेस अध्यक्ष लाडकुई
Conclusion:
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