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सीहोर के छात्रावासों में कार्यरत कर्मचारियों को सात माह ने नहीं मिला वेतन, कलेक्टर से लगाई गुहार

सीहोर जिल के 80 छात्रावासों में कार्यरत रसोइया, अतिथि शिक्षक, चौकीदार, सफाईकर्मी को सात माह से तनख्वाह नहीं मिली है, परेशान होकर इन सभी ने सीहोर कलेक्टर को ज्ञापन सौंपा है.

Hostel of Scheduled Caste Welfare Department
80 छात्रावासों में कार्यरत कर्मचारी को नहीं मिला वेतन
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Published : Oct 15, 2020, 10:18 PM IST

सीहोर। आदिम जाति एवं अनुसूचित जाति कल्याण विभाग के विभिन्न छात्रावासों में अंशकालिक रसोईकर्मीं, अतिथि शिक्षक, चौकीदार, सफाई कर्मी और जल वाहकों के पद पर कार्यरत कर्मचारी बीते सात माह से वेतन को तरस रहे हैं, जबकि आयुक्त आदिवासी विकास मध्यप्रदेश ने छात्रावासों में कार्यरत दैनिक वेतन भोगी, अंशकालीन एवं स्थाई कर्मियों की मजदूरी के लिए 18 जिलों को बीते 28 सितंबर को सोलह करोड़ सत्रह लाख सैतीस हजार तीन सौ इक्यासी रुपए का आवंटन किया है.

रसोईकर्मीं,अतिथि शिक्षक,चौकीदार सफाई कर्मी और जल वाहकों का कहना है कि, विभाग के सभी अधिकारी, स्थाई कर्मचारियों को नियमित वेतन का भुगतान किया जा रहा है, केवल दैनिक वेतन भोगियों, जिनका वेतन दो से पांच हजार तक है, को बीते सात माह से रोका जा रहा है. जिले में 80 से अधिक शासकीय छात्रावास हैं, जिनमें 300 से अधिक महिला पुरुष 1 रसोईकर्मीं, अतिथि शिक्षक, चौकीदार, सफाई कर्मी और जल वाहकों के रूप में कार्यरत हैं.

कलेक्ट्रेट पहुंचे आदिम जाति, अनुसूचितजाति कल्याण विभाग के छात्रावासों के कर्मचारियों ने बताया कि, रसोईकर्मियों को 5 हजार वेतन मिलता है, उससे उनका स्वयं का व परिवार का भरण पोषण होता है. अतिथि शिक्षकों, चौकीदार, सफाईकर्मी और जल वाहकों को दो से चार हजार रुपए प्रति माह वेतन दिया जाता है, लेकिन बीते सात माह से उसका भुगतान विभाग द्वारा नहीं किया गया है. कोरोना काल में भी कर्मचारियों ने निरंतर कार्य किया है, जबकी अन्य सभी शासकीय कर्मचारियों को प्राइवेट संस्थाओं में कार्यरत लोगों को कोरोना संकट माहमारी के चलते नियमित वेतन दिया जाता रहा है. कर्मचारियों का कहना है कि, दशहरा- दीपावली भी आ रही है हमारे भी बच्चे हैं, हमारी तकलीफ को ध्यान में रखकर वेतन का भुगतान कराए जाए. वेतन की मांग को लेकर सभी ने कलेक्टर को ज्ञापन सौंपा.

सीहोर। आदिम जाति एवं अनुसूचित जाति कल्याण विभाग के विभिन्न छात्रावासों में अंशकालिक रसोईकर्मीं, अतिथि शिक्षक, चौकीदार, सफाई कर्मी और जल वाहकों के पद पर कार्यरत कर्मचारी बीते सात माह से वेतन को तरस रहे हैं, जबकि आयुक्त आदिवासी विकास मध्यप्रदेश ने छात्रावासों में कार्यरत दैनिक वेतन भोगी, अंशकालीन एवं स्थाई कर्मियों की मजदूरी के लिए 18 जिलों को बीते 28 सितंबर को सोलह करोड़ सत्रह लाख सैतीस हजार तीन सौ इक्यासी रुपए का आवंटन किया है.

रसोईकर्मीं,अतिथि शिक्षक,चौकीदार सफाई कर्मी और जल वाहकों का कहना है कि, विभाग के सभी अधिकारी, स्थाई कर्मचारियों को नियमित वेतन का भुगतान किया जा रहा है, केवल दैनिक वेतन भोगियों, जिनका वेतन दो से पांच हजार तक है, को बीते सात माह से रोका जा रहा है. जिले में 80 से अधिक शासकीय छात्रावास हैं, जिनमें 300 से अधिक महिला पुरुष 1 रसोईकर्मीं, अतिथि शिक्षक, चौकीदार, सफाई कर्मी और जल वाहकों के रूप में कार्यरत हैं.

कलेक्ट्रेट पहुंचे आदिम जाति, अनुसूचितजाति कल्याण विभाग के छात्रावासों के कर्मचारियों ने बताया कि, रसोईकर्मियों को 5 हजार वेतन मिलता है, उससे उनका स्वयं का व परिवार का भरण पोषण होता है. अतिथि शिक्षकों, चौकीदार, सफाईकर्मी और जल वाहकों को दो से चार हजार रुपए प्रति माह वेतन दिया जाता है, लेकिन बीते सात माह से उसका भुगतान विभाग द्वारा नहीं किया गया है. कोरोना काल में भी कर्मचारियों ने निरंतर कार्य किया है, जबकी अन्य सभी शासकीय कर्मचारियों को प्राइवेट संस्थाओं में कार्यरत लोगों को कोरोना संकट माहमारी के चलते नियमित वेतन दिया जाता रहा है. कर्मचारियों का कहना है कि, दशहरा- दीपावली भी आ रही है हमारे भी बच्चे हैं, हमारी तकलीफ को ध्यान में रखकर वेतन का भुगतान कराए जाए. वेतन की मांग को लेकर सभी ने कलेक्टर को ज्ञापन सौंपा.

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