सीहोर। शिक्षा के अधिकार के तहत देश भर में स्कूल तो जरुर शुरु हो गए, पर कुछ ग्रामीण क्षेत्रों में ऐसे स्कूल भी हैं, जो बुनियादी सुविधाओं के लिए तरस रहे हैं. आदिवासी अंचल नवल गांव के पिपल्या प्राथमिक स्कूल इसका सबसे बड़ा उदाहरण है. यहां स्कूल भवन नहीं होने की वजह से 2013 से ही स्कूल झोपड़े में लग रहा है, जिसके कारण बरसात में बच्चों की छुट्टी तक करनी पड़ती है.
2013 से झोपड़ी में लगने वाले इस स्कूल में पहली से पांचवी तक के करीब 65 बच्चे पढ़ते हैं. वहीं स्कूल की भूमि पर किचन और शौचालय तो बने हुए हैं पर पढ़ने के लिए भवन नहीं है .
स्कूल प्रभारी ने बताया कि वरिष्ठ अधिकारियों को अवगत कराने के बाद भी भवन स्वीकृत नहीं किया गया. गांव के जन सहयोग से झोपड़े के ऊपर कबेलू डाल दिए गए और छात्रों को पढ़ाया जा रहा है.