सीहोर। जिला अस्पताल में एक मासूम बच्ची ने इलाज न मिलने पर दम तोड़ दिया. मासूम को सांस लेने में तकलीफ थी. परिजनों का आरोप है कि, जिला अस्पताल में उनकी बच्चे को सही वक्त पर इलाज मिल जाता, तो उसकी जान बचाई जा सकती थी. बच्ची का इलाज कराने के लिए अस्पताल में पिता डॉक्टरों को खोजता रहे, लेकिन कर्माचारी उसे यहां से वहां भेजते रहे. इस बीच दो घंटे गुजर गए और मासूम ने मां की गोद में ही तड़पते हुए दम तोड़ दिया.
घटना के बाद परिजनों ने इसकी शिकायत अस्पताल प्रबंधन से की. मौके पर पहुंचे सिविल सर्जन डॉ. आनंद शर्मा का कहना है कि परिसर में सीसीटीवी कैमरे लगे हुए हैं. किसी भी तरह की लापरवाही की जांच के बाद निर्णय लिया जाएगा.
जानकारी के मुताबिक गुरुवार-शुक्रवार की रात लुनियापुरा चौराहा निवासी सहदेव और उसकी पत्नी शिवानी अपनी आठ माह की बच्ची दिव्यांशी को लेकर जिला अस्पताल के मातृ-शिशु सेंटर में करीब डेढ़ बजे पहुंचे. बच्ची को सर्दी के कारण सांस लेने में तकलीफ हो रही थी, उस समय भाप देने के बाद बच्ची ठीक हो गई थी.
अस्पताल के स्टाफ के कहने पर परिजन सुबह साढ़े नौ बजे बच्ची को लेकर पहुंचे, तो बच्ची सांस लेने की तकलीफ से जूझ रही थी. इस दौरान स्टाफ ने बच्ची को डॉक्टर के घर ले जाने की बात कही और इसी तरह भटकने के दौरान उसने दम तोड़ दिया. इसके बाद जब परिजनों ने इस बात को लेकर हंगामा किया तो घटना की गंभीरता को देखते हुए सिविल सर्जन डॉ. शर्मा पहुंचे, तब जाकर परिजन शांत हुए.