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सीहोर जिला अस्पताल में इलाज नहीं मिलने पर मासूम ने तोड़ा दम, दो घंटे तक पिता को टहलाते रहे कर्मचारी

सीहोर जिला अस्पताल सही वक्त पर इलाज नहीं मिलने की वजह से एक मासूम की मौत हो गई, परिजन ने लापरवाही का आरोप लगाते हुए कहा कि 'अगर वक्त पर इलाज मिल जाता तो मासूम की जान बचाई जा सकती थी'.

Child die due to doctors negligence in Sehore
जिला अस्पताल
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Published : Jan 3, 2020, 8:39 PM IST

Updated : Jan 3, 2020, 9:36 PM IST

सीहोर। जिला अस्पताल में एक मासूम बच्ची ने इलाज न मिलने पर दम तोड़ दिया. मासूम को सांस लेने में तकलीफ थी. परिजनों का आरोप है कि, जिला अस्पताल में उनकी बच्चे को सही वक्त पर इलाज मिल जाता, तो उसकी जान बचाई जा सकती थी. बच्ची का इलाज कराने के लिए अस्पताल में पिता डॉक्टरों को खोजता रहे, लेकिन कर्माचारी उसे यहां से वहां भेजते रहे. इस बीच दो घंटे गुजर गए और मासूम ने मां की गोद में ही तड़पते हुए दम तोड़ दिया.

लापरवाही ने लीज जान


घटना के बाद परिजनों ने इसकी शिकायत अस्पताल प्रबंधन से की. मौके पर पहुंचे सिविल सर्जन डॉ. आनंद शर्मा का कहना है कि परिसर में सीसीटीवी कैमरे लगे हुए हैं. किसी भी तरह की लापरवाही की जांच के बाद निर्णय लिया जाएगा.


जानकारी के मुताबिक गुरुवार-शुक्रवार की रात लुनियापुरा चौराहा निवासी सहदेव और उसकी पत्नी शिवानी अपनी आठ माह की बच्ची दिव्यांशी को लेकर जिला अस्पताल के मातृ-शिशु सेंटर में करीब डेढ़ बजे पहुंचे. बच्ची को सर्दी के कारण सांस लेने में तकलीफ हो रही थी, उस समय भाप देने के बाद बच्ची ठीक हो गई थी.
अस्पताल के स्टाफ के कहने पर परिजन सुबह साढ़े नौ बजे बच्ची को लेकर पहुंचे, तो बच्ची सांस लेने की तकलीफ से जूझ रही थी. इस दौरान स्टाफ ने बच्ची को डॉक्टर के घर ले जाने की बात कही और इसी तरह भटकने के दौरान उसने दम तोड़ दिया. इसके बाद जब परिजनों ने इस बात को लेकर हंगामा किया तो घटना की गंभीरता को देखते हुए सिविल सर्जन डॉ. शर्मा पहुंचे, तब जाकर परिजन शांत हुए.

सीहोर। जिला अस्पताल में एक मासूम बच्ची ने इलाज न मिलने पर दम तोड़ दिया. मासूम को सांस लेने में तकलीफ थी. परिजनों का आरोप है कि, जिला अस्पताल में उनकी बच्चे को सही वक्त पर इलाज मिल जाता, तो उसकी जान बचाई जा सकती थी. बच्ची का इलाज कराने के लिए अस्पताल में पिता डॉक्टरों को खोजता रहे, लेकिन कर्माचारी उसे यहां से वहां भेजते रहे. इस बीच दो घंटे गुजर गए और मासूम ने मां की गोद में ही तड़पते हुए दम तोड़ दिया.

लापरवाही ने लीज जान


घटना के बाद परिजनों ने इसकी शिकायत अस्पताल प्रबंधन से की. मौके पर पहुंचे सिविल सर्जन डॉ. आनंद शर्मा का कहना है कि परिसर में सीसीटीवी कैमरे लगे हुए हैं. किसी भी तरह की लापरवाही की जांच के बाद निर्णय लिया जाएगा.


जानकारी के मुताबिक गुरुवार-शुक्रवार की रात लुनियापुरा चौराहा निवासी सहदेव और उसकी पत्नी शिवानी अपनी आठ माह की बच्ची दिव्यांशी को लेकर जिला अस्पताल के मातृ-शिशु सेंटर में करीब डेढ़ बजे पहुंचे. बच्ची को सर्दी के कारण सांस लेने में तकलीफ हो रही थी, उस समय भाप देने के बाद बच्ची ठीक हो गई थी.
अस्पताल के स्टाफ के कहने पर परिजन सुबह साढ़े नौ बजे बच्ची को लेकर पहुंचे, तो बच्ची सांस लेने की तकलीफ से जूझ रही थी. इस दौरान स्टाफ ने बच्ची को डॉक्टर के घर ले जाने की बात कही और इसी तरह भटकने के दौरान उसने दम तोड़ दिया. इसके बाद जब परिजनों ने इस बात को लेकर हंगामा किया तो घटना की गंभीरता को देखते हुए सिविल सर्जन डॉ. शर्मा पहुंचे, तब जाकर परिजन शांत हुए.

Intro:सीहोर- करोड़ा रुपए का अस्पताल भवन,

लेकिन सुविधा दो कोड़ी की नहीं

डॉक्टरों की टालमटोल,

मासूम बच्ची ने मां की गोद में ही तोड़ा दम,


सीहोर। शहर के जिला अस्पताल स्थित मातृ शिशु सेंटर में सांस लेने की तकलीफ से पीडि़ती नौ माह की मासूम बच्ची का इलाज कराने के लिए अस्पताल में पिता चिकित्सकों को खोजता रहा, लेकिन चिकित्सक उसे यहां से वहां जाने को कहते रहे। इस बीच दो घंटे गुजर गए और मासूम ने मां की गोद में ही तड़पते हुए दम तोड़ दिया। घटना के बाद परिजनों ने इसकी शिकायत अस्पताल प्रबंधन से की मौके पर पहुंचे सिविल सर्जन डॉ. आनंद शर्मा का कहना है कि परिसर में सीसी कैमरे लगे हुए लापरवाही किसी की इसकी जांच के बाद निर्णय लिया जाएगा। Body:वहीं परिजनों का आरोप है कि समय पर इलाज मिल जाता तो मासूम बच जाती है।

जानकारी के अनुसार गुरुवार-शुक्रवार की दरमियानी रात को लुनियापुरा चौराहा निवासी सहदेव और उसकी पत्नी श्रीमती शिवानी कौशल अपनी नौ माह की बच्ची दिव्यांशी को लेकर जिला अस्पताल स्थित मातृ-शिशु अस्पताल में करीब डेढ़ बजे पहुंचे थे। बच्ची को सर्दी के कारण सांस लेने में तकलीफ थी। भाप देने के बाद बच्ची ठीक हो गई। यहां पर मौजूद स्टाफ ने सुबह बच्ची को लेकर आने को कहा, परिजन सुबह साढ़े नौ बजे बच्ची को लेकर आए तो बच्ची सांस लेने की तकलीफ से पीडि़त थी और तडफ़ रही थी, यहां पर मौजूद स्टाफ ने माता-पिता से कहा कि मैडम के घर पर ले जाओ, वहीं इसका इलाज होगा, लेकिन डॉक्टरों की टालमटोल, मासूम बच्ची ने मां की गोद में ही तोड़ा दम तोड़ दिया। इसके बाद जब परिजनों ने इस बात को लेकर हंगामा किया तो घटना की गंभीरता को देखते हुए सिविल सर्जन डॉ. शर्मा पहुंचे इसके बाद परिजन शांत हुए। परिजनों का कहना है कि अगर समय पर इलाज मिल जाता तो नौ माह की मासूम दिव्यांशी बच जाती।

बाईट-डॉ, आंनद शर्मा, सिविल सर्जन जिला अस्पताल
Conclusion:
Last Updated : Jan 3, 2020, 9:36 PM IST
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