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उड़नपरी के नाम से मशहूर बुशरा ने लहराया परचम, 6 मिनट 24 सेकंड में पूरी की दो हजार मीटर रेस

प्रदेश की बुशरा गौरी खान ने आंध्र प्रदेश के विजयवाड़ा में आयोजित नेशनल जूनियर एथलेटिक्स चैम्पियनशिप में दो हजार मीटर की दौड़ बुशरा ने 6 मिनट 24 सेकंड में पूरी की है.

उड़नपरी के नाम से मशहूर बुशरा ने लहराया परचम
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Published : Nov 22, 2019, 2:53 AM IST

Updated : Nov 22, 2019, 5:10 AM IST

सीहोर। शहर में उड़न परी के नाम से मशहूर बुशरा गौरी खान ने एक बार फिर से देश और प्रदेश का नाम रोशन किया है.आंध्र प्रदेश के विजयवाड़ा के पास गुंटुर में चल रही नेशनल जूनियर एथलेटिक्स चैम्पियनशिप में दो हजार मीटर की दौड़ में बुशरा ने 6 मिनट 24 सेकंड में यह रेस पूरी की.अब बुशरा का लक्ष्य इंटरनेशनल चैम्पियनशिप में गोल्ड मेडल हासिल करना है.

उड़नपरी के नाम से मशहूर बुशरा ने लहराया परचम

छोटे से गांव से कामयाबी का सफर

प्रदेश की बेटी बुशरा खान ने आंध्रप्रदेश के विजयवाड़ा के पास गुंटुर में चल रही नेशनल जूनियर एथलेटिक्स चैम्पियनशिप में दो हजार मीटर की रेस महज 6 मिनट 24 सेकंड में पूरी कर पिछले पांच सालों का रिकार्ड तोड़ दिया. बता दें कि बुशरा ने 35वीं नेशनल जूनियर एथलेटिक्स चैम्पियनशिप में यह रेस पूरी कर नया कीर्तिमान बनाया है. बुशरा कक्षा 10 वीं की छात्रा है. बुशरा ने सीहोर में ही एथलेटिक्स की ट्रेनिंग शुरू की थी. विशाखापट्‌टनम में साल 2017 में 600 मीटर की दौड़ में ब्राउंस मेडल हासिल किया था. इसके बाद 2018 में तिरुपति में बुशरा ने 1000 मीटर की दौड़ में सिल्वर मेडल हासिल किया था.

बुशरा खान सीहोर से 5 किलोमिटर दूर स्थित छोटे से गांव पचामा से आती है .परिवार की आर्थिक स्थिति ठीक नहीं होने के बाद भी बचपन से ही बुशरा में कुछ करने गुजरने का जज्बा था. बुशरा ने एथलेटिक्स में कड़ी मेहनत की.बुशरा ने अगल-अलग जगह पर आयोजित होने वाली हर प्रतियोगिता में हिस्सा लिया. वहीं हर प्रतियोगिता में जीतने के कारण ही बुशरा को जिले में उड़नपरी के नाम से लोग जानने लगे.

गरीबी परिवार से आती है बुशरा

बुशरा के पिता गफ्फार खान मिल में मजदूरी करने का काम करते है. वह 3 बेटियों के पिता है. बावजूद इसके उन्होंने बुशरा के लिए वो तमाम संसाधन जुटाए जो एक खिलाड़ी के लिए जरुरी होते है. बुशरा ने यह रेस जीतकर न सिर्फ अपने परिजनों का बल्कि शहर का नाम भी रोशन किया.

प्रशासन ने दिया आर्थिक मदद का आश्वासन

बुशरा ने बताया कि मुझे बहुत खुशी हो रही है की मेरे मम्मी- पापा के सपोर्ट से मैंने यह मुकाम हासिल किया है, मैं आगे जाकर इंटरनेशनल जीतकर गोल्ड मेडल लाना चाहती हूं.बुशरा ने भावुक होते हुए बताया कि मुझे उम्मीद नहीं थी कि मैं रनिंग करूंगी मुझे मेरे पेरेंट्स, टीचर, कोच, सभी ने सपोर्ट किया. वहीं बुशरा के पिता गफ्फार खान ने कहा की मुझे बहुत गर्व महसूस हो रहा हूं. मेरी बेटी ने सीहोर का नाम रोशन किया. एडीएम विनोद चतुर्वेदी ने कहा कि बुशरा ने राष्ट्रीय स्तर पर ये उपलब्धि हासिल की है जो बहुत अच्छी बात है . एडीएम ने बुशरा के परिवार को आर्थिक मदद देने का आश्वासन भी दिया है.

सीहोर। शहर में उड़न परी के नाम से मशहूर बुशरा गौरी खान ने एक बार फिर से देश और प्रदेश का नाम रोशन किया है.आंध्र प्रदेश के विजयवाड़ा के पास गुंटुर में चल रही नेशनल जूनियर एथलेटिक्स चैम्पियनशिप में दो हजार मीटर की दौड़ में बुशरा ने 6 मिनट 24 सेकंड में यह रेस पूरी की.अब बुशरा का लक्ष्य इंटरनेशनल चैम्पियनशिप में गोल्ड मेडल हासिल करना है.

उड़नपरी के नाम से मशहूर बुशरा ने लहराया परचम

छोटे से गांव से कामयाबी का सफर

प्रदेश की बेटी बुशरा खान ने आंध्रप्रदेश के विजयवाड़ा के पास गुंटुर में चल रही नेशनल जूनियर एथलेटिक्स चैम्पियनशिप में दो हजार मीटर की रेस महज 6 मिनट 24 सेकंड में पूरी कर पिछले पांच सालों का रिकार्ड तोड़ दिया. बता दें कि बुशरा ने 35वीं नेशनल जूनियर एथलेटिक्स चैम्पियनशिप में यह रेस पूरी कर नया कीर्तिमान बनाया है. बुशरा कक्षा 10 वीं की छात्रा है. बुशरा ने सीहोर में ही एथलेटिक्स की ट्रेनिंग शुरू की थी. विशाखापट्‌टनम में साल 2017 में 600 मीटर की दौड़ में ब्राउंस मेडल हासिल किया था. इसके बाद 2018 में तिरुपति में बुशरा ने 1000 मीटर की दौड़ में सिल्वर मेडल हासिल किया था.

बुशरा खान सीहोर से 5 किलोमिटर दूर स्थित छोटे से गांव पचामा से आती है .परिवार की आर्थिक स्थिति ठीक नहीं होने के बाद भी बचपन से ही बुशरा में कुछ करने गुजरने का जज्बा था. बुशरा ने एथलेटिक्स में कड़ी मेहनत की.बुशरा ने अगल-अलग जगह पर आयोजित होने वाली हर प्रतियोगिता में हिस्सा लिया. वहीं हर प्रतियोगिता में जीतने के कारण ही बुशरा को जिले में उड़नपरी के नाम से लोग जानने लगे.

गरीबी परिवार से आती है बुशरा

बुशरा के पिता गफ्फार खान मिल में मजदूरी करने का काम करते है. वह 3 बेटियों के पिता है. बावजूद इसके उन्होंने बुशरा के लिए वो तमाम संसाधन जुटाए जो एक खिलाड़ी के लिए जरुरी होते है. बुशरा ने यह रेस जीतकर न सिर्फ अपने परिजनों का बल्कि शहर का नाम भी रोशन किया.

प्रशासन ने दिया आर्थिक मदद का आश्वासन

बुशरा ने बताया कि मुझे बहुत खुशी हो रही है की मेरे मम्मी- पापा के सपोर्ट से मैंने यह मुकाम हासिल किया है, मैं आगे जाकर इंटरनेशनल जीतकर गोल्ड मेडल लाना चाहती हूं.बुशरा ने भावुक होते हुए बताया कि मुझे उम्मीद नहीं थी कि मैं रनिंग करूंगी मुझे मेरे पेरेंट्स, टीचर, कोच, सभी ने सपोर्ट किया. वहीं बुशरा के पिता गफ्फार खान ने कहा की मुझे बहुत गर्व महसूस हो रहा हूं. मेरी बेटी ने सीहोर का नाम रोशन किया. एडीएम विनोद चतुर्वेदी ने कहा कि बुशरा ने राष्ट्रीय स्तर पर ये उपलब्धि हासिल की है जो बहुत अच्छी बात है . एडीएम ने बुशरा के परिवार को आर्थिक मदद देने का आश्वासन भी दिया है.

Intro:सीहोर- उड़नपरी के नाम से मशहूर छात्रा ने लहराया परचम

- दो हजार मीटर की दौड़ में बुशरा खान ने 6 मिनट 24 में पूरी करके तोड़ा रिकार्ड,

- पिछले पांच साल का रिकार्ड

-आंध्रप्रदेश के विजयवाड़ा में नेशनल जूनियर एथलेटिक्स चैम्पियनशिप में जीता गोल्ड,
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बाईट- 01 छात्रा बुशरा,

बाईट- 02 गफ्फार खान, बुशरा के पिता,

बाईट-03 विनोद चतुर्वेदी एडीएम, सीहोर

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सीहोर- शहर में उड़न परी के नाम से मशहूर बुशरा गौरी खान ने एक बार फिर से देश और प्रदेश में सीहोर का नाम रोशन किया है।

- आंध्र प्रदेश के विजयवाड़ा के पास गुंटुर में चल रही नेशनल जूनियर एथलेटिक्स चैम्पियनशिप में दो हजार मीटर की दौड़ 6 मिनट 24 सेकंड में पूरी करके शहर की बुशरा खान ने पिछले पांच सालों का रिकार्ड तोड़ दिया। विजयवाड़ा में चल रही 35वीं नेशनल जूनियर एथलेटिक्स चैम्पियनशिप में दो हजार मीटर की दौड़ पूरी करके नया कीर्तिमान बनाया।

Body:- शहर की उड़नपरी कहलाने वाली बुशरा कक्षा 10 वीं की छात्रा है। बुशरा ने सीहोर में ही एथलेटिक्स की ट्रेनिंग शुरू की थी। विशाखापट्‌टनम में वर्ष 2017 में 600 मीटर की दौड़ में ब्राउंस मेडल प्राप्त किया था। इसके बाद 2018 में तिरुपति में बुशरा ने 1000 मीटर की दौड़ में सिल्वर मेडल प्राप्त किया था। बुशरा की इस उपलब्धि पर नगर के खेल प्रेमियों में हर्ष की लहर दौड़ गई।

- बुशरा खान सीहोर से 5 किलोमिटर दूर स्थित छोटे से गाँव पचामा के निवासी गफ्फार खान गौरी की बेटी है। परिवार की आर्थिक स्थिति ठीक नहीं होने के बाद भी बचपन से ही बुशरा में कुछ करने का जज्बा था। बुशरा ने एथलेटिक्स में कड़ी मेहनत की।

- बुशरा ने अगल अलग जगह पर आयोजित होने वाली हर प्रतियोगिता में हिस्सा लिया बुशरा के हर प्रतियोगिता में जीतने के कारण ही बुशरा को जिले में उड़नपरी के नाम से लोग जानने लगे।

- बुशरा के पिता गफ्फार खान मिल में मजदूर है 3 बेटियों के पिता है बुशरा की दो छोटी बहन है बावजूद इसके उन्हनो बुशरा के लिए वो तमाम संसाधन जुटाए जो एक खिलाड़ी के लिए आवयश्क होते है । बुशरा ने रेस जीतकर न सिर्फ अपने परिजनों का बल्कि शहर का नाम भी रोशन किया।

- मीडिया से चर्चा करते हुए बुशरा ने बताया कि मुझे बहुत खुशी मिल रही है मेरे मम्मी पापा के सपोर्ट किया आज मुझे बहुत खुशी होरही है। में तैयारी कर रही हूं आगे जाकर इंटरनेशनल जीतकर गोल्ड लाना चाहती हूं। मुझे उम्मीद नही थी कि में रनिंग करूंगी मुझे पेरेंट्स, टीचर कोच, सभी सपोर्ट करते है,

- वही बुशरा के पिता गफ्फार खान ने कंहा की में बहुत खुशी महसूस कर रहा हूं। मेरी बेटी ने सीहोर का नाम रोशन किया। मैं बहुत गरीब परिवार से हूं। मेंने संघर्ष करने के बाद बेटी आगे बढ़ाया सभी ने बेटी को सपोर्ट किया मुझे बहुत खुशी है।

एडीएम विनोद चतुर्वेदी ने कहा कि लड़की ने राष्ट्रिय स्तर की बहुत अच्छी उपलब्धि हासिल की है. और अच्छे अंतर् से हसिल की है हमे ऐसा लगता है उसे प्रोत्साहित किया जाए कोचिंग की जाए और भी कम्पटीशन है उसमे भी टॉप करेगी। उनकी आर्थिक स्थति ठीक नहीं है उनके परिवार की स्थति अच्छी नहीं उसे आगे बढ़ा सके इसलिए आवश्यक है उसकी मदद की जाए इसको लेकर हमने रोटरी क्लब वालो से चर्चा करेंगे। हम लोग प्रयास करेंगे उसको आर्थिक साहयता मिल जाए उनके शट बूट मायने रखते है उनका खर्चा उठाना ही उनके लिए संभव नहीं है हम लोग प्रयास करेंगे संस्थाओ से और समाजिक लोगो से मदद करे. Conclusion:
Last Updated : Nov 22, 2019, 5:10 AM IST
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