सीहोर। जिले के बुदनी विधानसभा क्षेत्र के चकल्दी गांव में हाट बाजार में भगोरिया की धूम देखने को मिली, जिसमें भील समाज ने बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया. आयोजन में व्यापारियों ने अपने-अपने गुड़ की जलेबी, भजिये, खारिये (सेंव), पान, कुल्फी, केले, ताड़ी, गोदना(टैटू) वाले व्यवसाय करने में जुटे हुए है. इस मौके पर युवक-युवतियां झुंड बनाकर पैदल भी जाते हैं.
भगोरिया की मस्ती में डूबा आदिवासी समाज
भगोरिया पर्व आदिवासी समुदाय ने धूम-धाम से मनाया. इसमें बारेला सामाज की महिला, पुरुष व बच्चे अपनी पारंपरिक व सामाजिक वेशभूषा में सज-धज कर नजर आते है. ढोल और मांदल की थाप पर लोग जमकर थिरकते है.
भगोरिया पर्व का महत्व
आदिवासी लोक संस्कृति के प्रमुख पर्व भगोरिया उत्सव में आदिवासी लोक संस्कृति के रंग चरम पर नजर आते हैं. इस दौरान मध्यप्रदेश के आदिवासी इलाकों में कई मेले भी लगाए जाते है और हजारों की संख्या में युवक-युवतियां सज-संवरकर पारंपरिक वस्त्रों में इन मेलों में शिरकत होती है.
कब मनाया जाता भगोरिया पर्व
होली से एक सप्ताह पहले साप्ताहिक हाट को भगोरिया पर्व के रूप में मनाया जाता है. इसमें आदिवासी बारेला समाज के लोग अपने-अपने घर से पारंपरिक व सामाजिक वेशभूषा धारण कर एक-दूसरे को गुलाल लगाते है.
भगोरिया से जुड़ी पुरानी मान्यता
पुरानी परंपरा के अनुसार युवक-युवतियां एक-दूसरे को पान खिलाते थे, जिसमें युवक युवती को शादी के लिए भगाकर ले जाते थे, जिसकी वजह से पर्व का नाम 'भगोरिया' पड़ा. हालांकि अब यह परंपरा खत्म हो गई है.