सतना। 'मन में कुछ करने का जुनून और इच्छाशक्ति हो तो कुछ भी असंभव नहीं रहता. ऐसा ही कुछ कर दिखाया है मझगवां तहसील के किशनपुर के बाशिंदों ने. पेयजल संकट झेल रहे इस गांव के लोगों ने बिना किसी सरकारी मदद के सूख चुके पथरीले तालाब को उस वक्त तक खोदा जब तक कि उसमें पानी नहीं आ गया.
कड़ी मेहनत के बाद आखिरकार ग्रामीणों की मेहनत रंग लायी और अब गांव के मवेशियों की प्यास बुझने लगी है. ग्रामीण भी तालाब के गंदे पानी से अपनी प्यास बुझा रहे हैं. गांव के आसपास के पेयजल के सभी संसाधन सूख चुके हैं.
हालात ये हैं कि इलाके में भीषण जलसंकट गहराया है. दूर-दूर तक पानी मिलना मुश्किल है. आदिवासी बाहुल्य किशनपुर के लोग तालाब में पानी नहीं होने से बूंद-बूंद के लिये तरसते थे, लेकिन बुलंद हौसलों और फौलादी इरादों की दम पर ग्रामीणों ने तालाब से पानी निकालकर सरकार को आईना दिखा दिया है.
इससे पहले अधिकारियों ने क्षेत्र को निर्जल एरिया घोषित कर दिया था. लेकिन ग्रामीणों ने तालाब से पानी निकाला जिससे मवेशियों की प्यास बुझ रही है. अब आदिवासी ग्रामीण चाहते हैं कि सरकार को चाहिए की वह उनके लिये साफ पेयजल की व्यवस्था करे.
ग्रामीणों की इस उपलब्धी के बाद प्रशासनिक अमला गांव की तरफ रूख तक नहीं कर रहा है. किशनपुर के आस-पास बसे दर्जनों गांव में भी जलसंकट गहराया है. आरोप है कि प्रशासन द्वारा पेजयल की कोई व्यवस्था नहीं की गयी है.