सतना। इस साल मध्यप्रदेश के किसानों से प्रकृति ऐसी रूठी कि बेबस अन्नदाता बस अपनी बर्बादी का मंजर देखता रह गया. प्रदेश में हुई अतिवृष्टि के कारण आई बाढ़ में किसान की फसल से लेकर मवेशी तक बह गए. जैसे-तैसे प्रशासन की मदद से किसान अपनी जान बचाकर सुरक्षित स्थान पहुंच सके. जब बाढ़ उतरी तो चारों तरफ बह तबाही का ही मंजर था. सतना में भी कुछ ऐसे ही हालात थे.
सतना के अधिकांश इलाकों में किसानों की सोयाबीन उड़द मूंग की फसलें नष्ट हो गई. जब सरकार ने अतिवृष्टि से प्रभावित किसानों की मदद के लिए 30 हजार रूपए प्रति हेक्टेयर मुआवजे की घोषणा की, तो किसानों को उम्मीद की एक किरण नजर आई. लेकिन किसानों की नष्ट हुई फसलों का ना तो आज तक कोई सर्वे किया गया और ना ही किसी प्रकार का कोई मुआवजा किसानों को दिया गया.
किसानों का कहना है कि उन्होंने जिला कलेक्टर से लेकर हर जनप्रतिनिधि से मदद की गुहार लगाई लेकिन आज तक ना ही शासन-प्रशासन और ना ही किसी जनप्रतिनिधि ने इनकी ओर कोई ध्यान दिया.
इस बारे में जब सतना एसडीएम पीएस त्रिपाठी से बात की गई तो उन्होंने बताया अभी हम कुछ गांवों का सर्वे करा रहे हैं और जहां भी अतिवृष्टि के कारण फसल नष्ट हुई है, उनका सर्वे पूरा कराकर उन्हें उचित मुआवजा दिया जाएगा.
ऐसे में सरकार का मुआवजे का आश्वासन किसानों को अब एक झूठे सपने जैसा लगने लगा है. हमेशा की तरह सरकारें आती-जाती रहती हैं सभी अपने-अपने चुनाव में किसानों को लेकर बड़े बड़े वादे करते हैं, लेकिन आज भी अन्नदाता इन वादों और आश्वासनों के पूरे होने का इंतजार कर रहे हैं.