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ना हुआ सर्वे और ना मिला मुआवजा, सिस्टम के दांव-पेंच में फंसा अन्नदाता

मध्यप्रदेश में हुई अतिवृष्टि के कारण बर्बाद हुई फसलों का मुआवजा किसानों को अभी तक नहीं मिला है. सरकार के तमाम आश्वासनों के बाबजूद भी किसानों को मुआवजे के लिए अधिकारियों के दरवाजे खटखटाने पड़ रहे हैं.

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Published : Nov 15, 2019, 12:24 AM IST

Updated : Nov 16, 2019, 12:05 AM IST

किसान

सतना। इस साल मध्यप्रदेश के किसानों से प्रकृति ऐसी रूठी कि बेबस अन्नदाता बस अपनी बर्बादी का मंजर देखता रह गया. प्रदेश में हुई अतिवृष्टि के कारण आई बाढ़ में किसान की फसल से लेकर मवेशी तक बह गए. जैसे-तैसे प्रशासन की मदद से किसान अपनी जान बचाकर सुरक्षित स्थान पहुंच सके. जब बाढ़ उतरी तो चारों तरफ बह तबाही का ही मंजर था. सतना में भी कुछ ऐसे ही हालात थे.

किसान को मुआवजे के लिए कराए सर्वे का रियलिटी टेस्ट

सतना के अधिकांश इलाकों में किसानों की सोयाबीन उड़द मूंग की फसलें नष्ट हो गई. जब सरकार ने अतिवृष्टि से प्रभावित किसानों की मदद के लिए 30 हजार रूपए प्रति हेक्टेयर मुआवजे की घोषणा की, तो किसानों को उम्मीद की एक किरण नजर आई. लेकिन किसानों की नष्ट हुई फसलों का ना तो आज तक कोई सर्वे किया गया और ना ही किसी प्रकार का कोई मुआवजा किसानों को दिया गया.

किसानों का कहना है कि उन्होंने जिला कलेक्टर से लेकर हर जनप्रतिनिधि से मदद की गुहार लगाई लेकिन आज तक ना ही शासन-प्रशासन और ना ही किसी जनप्रतिनिधि ने इनकी ओर कोई ध्यान दिया.

Aggrieved farmer
पीड़ित किसान

इस बारे में जब सतना एसडीएम पीएस त्रिपाठी से बात की गई तो उन्होंने बताया अभी हम कुछ गांवों का सर्वे करा रहे हैं और जहां भी अतिवृष्टि के कारण फसल नष्ट हुई है, उनका सर्वे पूरा कराकर उन्हें उचित मुआवजा दिया जाएगा.

Crops wasted in the mines only
खतों में ही बर्बाद हुई फसल

ऐसे में सरकार का मुआवजे का आश्वासन किसानों को अब एक झूठे सपने जैसा लगने लगा है. हमेशा की तरह सरकारें आती-जाती रहती हैं सभी अपने-अपने चुनाव में किसानों को लेकर बड़े बड़े वादे करते हैं, लेकिन आज भी अन्नदाता इन वादों और आश्वासनों के पूरे होने का इंतजार कर रहे हैं.

सतना। इस साल मध्यप्रदेश के किसानों से प्रकृति ऐसी रूठी कि बेबस अन्नदाता बस अपनी बर्बादी का मंजर देखता रह गया. प्रदेश में हुई अतिवृष्टि के कारण आई बाढ़ में किसान की फसल से लेकर मवेशी तक बह गए. जैसे-तैसे प्रशासन की मदद से किसान अपनी जान बचाकर सुरक्षित स्थान पहुंच सके. जब बाढ़ उतरी तो चारों तरफ बह तबाही का ही मंजर था. सतना में भी कुछ ऐसे ही हालात थे.

किसान को मुआवजे के लिए कराए सर्वे का रियलिटी टेस्ट

सतना के अधिकांश इलाकों में किसानों की सोयाबीन उड़द मूंग की फसलें नष्ट हो गई. जब सरकार ने अतिवृष्टि से प्रभावित किसानों की मदद के लिए 30 हजार रूपए प्रति हेक्टेयर मुआवजे की घोषणा की, तो किसानों को उम्मीद की एक किरण नजर आई. लेकिन किसानों की नष्ट हुई फसलों का ना तो आज तक कोई सर्वे किया गया और ना ही किसी प्रकार का कोई मुआवजा किसानों को दिया गया.

किसानों का कहना है कि उन्होंने जिला कलेक्टर से लेकर हर जनप्रतिनिधि से मदद की गुहार लगाई लेकिन आज तक ना ही शासन-प्रशासन और ना ही किसी जनप्रतिनिधि ने इनकी ओर कोई ध्यान दिया.

Aggrieved farmer
पीड़ित किसान

इस बारे में जब सतना एसडीएम पीएस त्रिपाठी से बात की गई तो उन्होंने बताया अभी हम कुछ गांवों का सर्वे करा रहे हैं और जहां भी अतिवृष्टि के कारण फसल नष्ट हुई है, उनका सर्वे पूरा कराकर उन्हें उचित मुआवजा दिया जाएगा.

Crops wasted in the mines only
खतों में ही बर्बाद हुई फसल

ऐसे में सरकार का मुआवजे का आश्वासन किसानों को अब एक झूठे सपने जैसा लगने लगा है. हमेशा की तरह सरकारें आती-जाती रहती हैं सभी अपने-अपने चुनाव में किसानों को लेकर बड़े बड़े वादे करते हैं, लेकिन आज भी अन्नदाता इन वादों और आश्वासनों के पूरे होने का इंतजार कर रहे हैं.

Intro:एंकर --
पूरे मध्यप्रदेश में अतिवृष्टि से अधिकांश जगहों में किसानों की फसल नष्ट हो गई थी. सतना जिले में इस वर्ष अतिवृष्टि से किसानों के फसलें नष्ट हो गई. जिसका ना तो आज तक कोई सर्वे किया गया और ना ही किसी भी प्रकार से किसानों को मुआवजा दिया गया. धरती पुत्र अन्नदाता मुआवजे की मांग को लेकर सतना जिले में शासन प्रशासन के अधिकारियों के दरवाजे खटखटा चुका है लेकिन नतीजा सिर्फ सिफर ही रहा. और आज भी धरती पुत्र अन्नदाता मुआवजे को लेकर परेशान हैं ।


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मध्यप्रदेश के सतना जिले में इस वर्ष अगर हम बारिश की बात करें तो बारिश अधिक होने से सतना के अधिकांश इलाकों में किसानों की सोयाबीन उड़द मूंग की फसलें नष्ट हो गई. अतिवृष्टि से नष्ट हुई फसलों का आज तक शासन प्रशासन द्वारा कोई भी सर्वे नहीं कराया गया. सतना के अकेले रघुराज नगर तहसील के सोहावल ब्लाक के कई गांव भाद, इटमा, भट्टा, खामा खूजा, कुड़िया गांव में अतिवृष्टि से फसलें नष्ट हो गई. धरती पुत्र अन्नदाता इस बात को लेकर चिंतित है की अब वह आगे कैसे खेती करेगा और अन्य का उपार्जन होगा. किसानों का कहना है कि फसलें अतिवृष्टि से नष्ट होकर उसी करें फिर से बीज बन गए हैं. किसानों ने इसकी गुहार जिला कलेक्टर एवं जनप्रतिनिधियों से भी लगाई है लेकिन आज तक शासन प्रशासन और ना ही कोई जनप्रतिनिधि इस ओर ध्यान नहीं दे रहा है. धरती पुत्र अन्नदाता परेशान है लेकिन इनकी कोई भी सुनने वाला नहीं है. सरकारे आती जाती रहती हैं सभी अपने-अपने चुनाव में किसानों को लेकर बड़े बड़े वादे करते हैं लेकिन आज भी धरती पुत्र अन्नदाता इन वादों के पूरे होने का इंतजार कर रहे हैं।
इस बारे में जब सतना एसडीएम पीएस त्रिपाठी से बात की गई तो उन्होंने बताया अभी हमने कुछ गांव का सर्वे करा रहे हैं और जहां भी अतिवृष्टि से फसल नष्ट करण हुआ है उनका सर्वे पूरा कराकर उन्हें उचित मुआवजा दिया जाएगा. अब देखना यह होगा कि शासन प्रशासन कैसे अपने बातों पर सही निकलेगा ।


Conclusion:byte --
रघुराज सिंह -- किसान ।
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उपेंद्र सेन -- किसान नेता ।
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गोटइलाल कोरी -- कुड़िया गांव सोहावल ब्लाक सरपंच ।
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पीएस त्रिपाठी -- एसडीएम सतना ।
Last Updated : Nov 16, 2019, 12:05 AM IST
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