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सेमल की पत्तियों में वास करते हैं त्रिदेव, दिवाली पर दरवाजे पर लगाने से आती हैं लक्ष्मी

गांव में आज भी लोग पुरानी परंपराओं को सहेज कर रखे हुए हैं. जिनमें से एक है दीपावली पर सेमल की पत्तियों को घर के दरवाजे पर लगाना, ऐसा माना जाता है कि सेमल के पत्तियों में ब्रम्हा, विष्णु, महेश का वास होता है, इन पत्तियों के लगाने से घर में लक्ष्मी का आगमन होता है.

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Published : Oct 27, 2019, 8:17 PM IST

सेमल की पत्तियों में वास करते हैं त्रिदेव

शहडोल। वक्त के साथ हर दिन बहुत कुछ बदल रहा है, फिर भी कुछ परंपराएं अभी भी जिंदा हैं. दीपावली पर गांवों में बहुत सी ऐसी मान्यताएं हैं, जिसका इंतजार लोग बड़ी ही बेसब्री से करते हैं. दीपावली पर चरवाहों की एक ऐसी ही परंपरा है, जो घर-घर जाकर एक विशेष पेड़ की तीन पत्तियों को घरों में जाकर लगाते हैं. इन पत्तियों को घरों में लगाने का राज बड़ा गहरा है, जिसके पीछे कई मान्यताएं भी हैं. पंडित सुशील शुक्ला शास्त्री बताते हैं कि सेमल के पौधे को शुभ माना गया है. जिसकी तीन पत्तियों को ब्रम्हा, विष्णु और महेश माना गया है.

सेमल की पत्तियों में वास करते हैं त्रिदेव

आज भी गांवों में जानवर चराने के लिए चरवाहे रखे जाते हैं. जो पूरे गांव के जानवरों को चराते हैं और दीपावली के दिन घर-घर पहुंचकर सेमल के पेड़ की तीन-तीन पत्तियों को घर के हर दरवाजे पर लगाते हैं. जिसके बदले उन्हें पैसे या फिर अनाज दिया जाता है. रददू बैगा पिछले दो दशक से चरवाहे का काम कर रहे हैं, वो बताते हैं कि गांव की ये पुरानी परंपरा है, इसे बहुत शुभ माना जाता है. अमावस्या के दिन सेमल की पत्ती घर-घर में जाकर लगाते हैं. जिससे पशुधन बढ़ता है साथ ही घर में लक्ष्मी आती हैं.

विष्णुजी की अर्धांगिनी लक्ष्मी जी हैं और सेमल की पत्ती घर में लगाने से ऐसा माना जाता है कि जिन घरों में इस परंपरा से तीन पत्तियां लगाई जाती हैं, वो घर धन-धान्य से भर जाता है. माना जाता है कि उस घर में माता लक्ष्मी का वास होता है. यही वजह है कि आज भी इस परंपरा को लोग बाखूबी निभा रहे हैं.

शहडोल। वक्त के साथ हर दिन बहुत कुछ बदल रहा है, फिर भी कुछ परंपराएं अभी भी जिंदा हैं. दीपावली पर गांवों में बहुत सी ऐसी मान्यताएं हैं, जिसका इंतजार लोग बड़ी ही बेसब्री से करते हैं. दीपावली पर चरवाहों की एक ऐसी ही परंपरा है, जो घर-घर जाकर एक विशेष पेड़ की तीन पत्तियों को घरों में जाकर लगाते हैं. इन पत्तियों को घरों में लगाने का राज बड़ा गहरा है, जिसके पीछे कई मान्यताएं भी हैं. पंडित सुशील शुक्ला शास्त्री बताते हैं कि सेमल के पौधे को शुभ माना गया है. जिसकी तीन पत्तियों को ब्रम्हा, विष्णु और महेश माना गया है.

सेमल की पत्तियों में वास करते हैं त्रिदेव

आज भी गांवों में जानवर चराने के लिए चरवाहे रखे जाते हैं. जो पूरे गांव के जानवरों को चराते हैं और दीपावली के दिन घर-घर पहुंचकर सेमल के पेड़ की तीन-तीन पत्तियों को घर के हर दरवाजे पर लगाते हैं. जिसके बदले उन्हें पैसे या फिर अनाज दिया जाता है. रददू बैगा पिछले दो दशक से चरवाहे का काम कर रहे हैं, वो बताते हैं कि गांव की ये पुरानी परंपरा है, इसे बहुत शुभ माना जाता है. अमावस्या के दिन सेमल की पत्ती घर-घर में जाकर लगाते हैं. जिससे पशुधन बढ़ता है साथ ही घर में लक्ष्मी आती हैं.

विष्णुजी की अर्धांगिनी लक्ष्मी जी हैं और सेमल की पत्ती घर में लगाने से ऐसा माना जाता है कि जिन घरों में इस परंपरा से तीन पत्तियां लगाई जाती हैं, वो घर धन-धान्य से भर जाता है. माना जाता है कि उस घर में माता लक्ष्मी का वास होता है. यही वजह है कि आज भी इस परंपरा को लोग बाखूबी निभा रहे हैं.

Intro:Note_
mp_sha_01_bytes_7203529 इस स्लग में दो वर्जन है पहला वर्जन चरवाहा रददू बैगा का है। फिर इसके बाद दूसरा वर्जन पंडित सुशील शुक्ला शास्त्री का है।

mp_sha_01_parampra_visual_raw_7203529 इस स्लग में संबंधित विसुअल हैं।


इस पेड़ की तीन पत्ती में ऐसा क्या छिपा है राज, दीवाली के दिन जिसे घर में लगवाने का इंतज़ार हर किसी को होता है, गांव की बहुत पुरानी परंपरा है ये

शहडोल- बदलते वक्त के साथ बहुत कुछ बदल गया है, लेकिन आज भी त्योहारों की कुछ परंपराएं जिंदा हैं। दीवाली के त्योहार में गांवो में बहुत सारी परंपराएं ऐसी हैं जिसका इंतज़ार गांव के हर व्यक्ति को होता है। हर घर में उनका बेसब्री से इंतज़ार किया जाता है। दीपावली के दिन एक ऐसी ही परंपरा है चरवाहों का जो घर घर जाकर एक विशेष पेड़ के तीन पत्तियों को घरों में जाकर लगाते हैं। इस खास पेड़ की तीन तीन पत्तयों को घरों में लगाने का बहुत बड़ा राज है इसके पीछे कई मान्यताएं हैं।


Body:घर घर जाकर चरवाहे लगाते हैं पत्तियां

बदलते वक्त में भले ही चीजें बड़ी तेजी से बदल रही हैं, लेकिन गांवों में आज भी गाय बैल को चराने के लिए चरवाहे लगाए जाते हैं, वो चरवाहे पूरे गांव के जानवरों को चराते हैं। और दीपावली के दिन घर घर पहुंचकर सेमल के पेड़ की तीन तीन पत्तियों को घर के गेट में लगाते हैं। घर में जितने दरवाजे होते हैं वहां इन पत्तियों को लगया जाता है। और उसकी जगह पर हर घर से उन्हें पैसे, और सीधा ( सीधा में चावल, दाल, नामक, मिर्ची, और सब्जी) दिया जाता है।

पुरानी परंपरा है

रददू बैगा करीब दो दशक से भी ज्यादा समय से चरवाहे का काम कर रहे हैं वो बताते हैं कि गांव की ये बहुत पुरानी परंपरा है।और इसे बहुत शुभ माना जाता है।अमावस्या के दिन सेमर की पत्ती घर घर में जाकर लगाते हैं, वो बताते हैं कि ऐसी मान्यता है की ऐसा करने से पशुधन बढ़ता है, घर में लक्ष्मी आती हैं।

सेमल का पत्ता होता है खास

पंडित सुशील शुक्ला शास्त्री बताते हैं कि सेमल के पौधे को शुभ माना गया है, और इसमें तीन पत्ती इसलिए लगाए जाते हैं क्योंकि उसमें ब्रम्हा, विष्णु, महेश तीन देवता होते हैं। ब्रम्हा जी का काम है रचना करना, विष्णु जी का काम है भोजन देना, और शिव जी का काम है मोक्ष को गति देना। ये तीन पत्ती ब्रम्हा, विष्णु महेश के लिए लगाई जाती है।
विष्णु जी की अर्धांगनी लक्ष्मी जी है और ये पत्ती लगा देने से ऐसा माना जाता है कि जिन घरों में इस परंपरा से तीन पत्तियों को लगाया जाता है वो घर धन धान्य से भर जाता है। उस घर में माता लक्ष्मी का वास होता है।

इसके अलावा गांवों में ऐसी भी मान्यता है कि सेमल के पेड़ की इन पत्तियों को इस विशेष दिन घर में लगा देने से जो तीन देवता होते हैं उनमें से एक ब्रम्हा जी भी है जिनकी रिद्धि, सिद्धियां हैं उससे बुरी ताकतें, किसी की बुरी नज़र, या किसी की बुरी छाया नहीं पड़ती है। वो सभी नष्ट हो जाती हैं।




Conclusion:गौरतलब है की दीपावली के दिन आज भी कई ऐसी परंपराएं हैं जो पुराने कई सदियों से चली आ रही हैं जो आज भी उसी क्रम में चल रही हैं। और गांवों में आज भी जिंदा हैं।
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