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एमपी में शिक्षा का 'सत्यानाश', बरगद के पेड़ के नीचे लग रही है क्लास

सतना जिले के टिकरा गांव में एक ऐसा विद्यालय जो आजादी के 70 साल बाद भी भवन विहीन संचालित हो रहा. कई बार विद्यालय के शिक्षक के शिकायत के बावजूद भी इस विद्यालय को आज तक भवन नहीं मिला. नतीजा यह है कि आज भी इस विद्यालय को खुले आसमान के नीचे बरगद के वृक्ष के आड़ मे संचालित हो रहा है.

टिकरा गांव में नहीं है स्कूल भवन
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Published : Jul 18, 2019, 5:37 PM IST

Updated : Jul 18, 2019, 6:19 PM IST

सतना। जिले के टिकरा गांव के मासूम आज भी स्वराज की बाट जोह रहे हैं. यहां पर शिक्षा के नाम पर नौनिहालों के साथ भद्दा मजाक किया जा रहा है. बच्चों के भविष्य के साथ खिलवाड़ और जिंदगी को खतरे में डाला जा रहा है. बरगद के पेड़ के नीचे लगी क्लास उस सिस्टम पर तमाचा और शासन-प्रशासन पर लानत है, जो चांद तारों पर जाने की बड़ी-बड़ी बातें तो करता है लेकिन आजादी के 70 साल बाद भी और तो छोड़िए बच्चों को महज स्कूल भवन तक मुहैया नहीं करा सका है.

एमपी में शिक्षा का 'सत्यानाश', बरगद के पेड़ के नीचे लग रही है क्लास

सतना जिला मुख्यालय से महज 45 किलोमीटर दूर स्थित टिकरा गांव में पिछले 25 सालों से भवन नहीं होने से स्कूल बरगद के पेड़ के नीचे ही चल रहा है. मासूम बच्चे गर्मी में लू की लपट, तो ठंडी में ठिठुरन और बरसात में बारिश की फुहार सब कुछ सहने को मजबूर हैं. बरसात के मौसम में स्कूल मौसम के मिजाज के हिसाब लगता है. लोगों का कहना है कि कई बार तो बच्चों को बिच्छू और जहरीले सांपों से सामना करना पड़ा है. लोग हालात से मजबूर हैं और शासन-प्रशासन बहरा बना हुआ है.

सतना जिले में 26 ऐसे स्कूल हैं जो भवन विहीन संचालित हो रहे हैं. 1995 में टिकरा में जब स्कूल खुला तब से अब तक एक पीढ़ी स्कूल बनने का इंतजार करते-करते जवान हो गई. गांव की कितनी पीढियां न जाने इसी बरगद के पेड़ के नीचे ऐसे ही तालीम ली हैं, लेकिन आज तक स्कूल भवन नहीं बन पाया है. यहां के हालत देखकर यही लगता है कि भले ही शिक्षा व्यवस्था को सुधारने के लाख दावे शासन प्रशासन द्वारा किये जा रहे हों सच्चाई यही है कि नौनिहालों का भविष्य सवारने के बजाय शासन उनके साथ सौतेला व्यवहार कर रहा है और शिक्षा का सत्यानाश हो रहा है.

सतना। जिले के टिकरा गांव के मासूम आज भी स्वराज की बाट जोह रहे हैं. यहां पर शिक्षा के नाम पर नौनिहालों के साथ भद्दा मजाक किया जा रहा है. बच्चों के भविष्य के साथ खिलवाड़ और जिंदगी को खतरे में डाला जा रहा है. बरगद के पेड़ के नीचे लगी क्लास उस सिस्टम पर तमाचा और शासन-प्रशासन पर लानत है, जो चांद तारों पर जाने की बड़ी-बड़ी बातें तो करता है लेकिन आजादी के 70 साल बाद भी और तो छोड़िए बच्चों को महज स्कूल भवन तक मुहैया नहीं करा सका है.

एमपी में शिक्षा का 'सत्यानाश', बरगद के पेड़ के नीचे लग रही है क्लास

सतना जिला मुख्यालय से महज 45 किलोमीटर दूर स्थित टिकरा गांव में पिछले 25 सालों से भवन नहीं होने से स्कूल बरगद के पेड़ के नीचे ही चल रहा है. मासूम बच्चे गर्मी में लू की लपट, तो ठंडी में ठिठुरन और बरसात में बारिश की फुहार सब कुछ सहने को मजबूर हैं. बरसात के मौसम में स्कूल मौसम के मिजाज के हिसाब लगता है. लोगों का कहना है कि कई बार तो बच्चों को बिच्छू और जहरीले सांपों से सामना करना पड़ा है. लोग हालात से मजबूर हैं और शासन-प्रशासन बहरा बना हुआ है.

सतना जिले में 26 ऐसे स्कूल हैं जो भवन विहीन संचालित हो रहे हैं. 1995 में टिकरा में जब स्कूल खुला तब से अब तक एक पीढ़ी स्कूल बनने का इंतजार करते-करते जवान हो गई. गांव की कितनी पीढियां न जाने इसी बरगद के पेड़ के नीचे ऐसे ही तालीम ली हैं, लेकिन आज तक स्कूल भवन नहीं बन पाया है. यहां के हालत देखकर यही लगता है कि भले ही शिक्षा व्यवस्था को सुधारने के लाख दावे शासन प्रशासन द्वारा किये जा रहे हों सच्चाई यही है कि नौनिहालों का भविष्य सवारने के बजाय शासन उनके साथ सौतेला व्यवहार कर रहा है और शिक्षा का सत्यानाश हो रहा है.

Intro:"अजब एमपी का गजब स्कूल"
"बरगद के वृक्ष के नीचे संवारा जा रहा देश का भविष्य"
"आजादी के 70 साल बाद भी भवन विहीन संचालित हो रहा यह विद्यालय"

एंकर इंट्रो --
सतना जिले में चित्रकूट विधानसभा क्षेत्र के टिकरा गांव में एक ऐसा विद्यालय जो आजादी के 70 साल बाद भी भवन विहीन संचालित हो रहा । टिकरा गांव के सरकारी स्कूल के हालात सरकार के मुंह में तमाशे से कम नहीं है । कई बार विद्यालय के शिक्षक के शिकायत के बावजूद भी इस विद्यालय को आज तक भवन नहीं मिला । नतीजा यह है कि आज भी इस विद्यालय को खुले आसमान के नीचे बरगद के वृक्ष के आड़ मे संचालित हो रहा। इससे साफ तौर से यह जाहिर होता है कि सरकारें आती है जाती है लेकिन आज तक इस विद्यालय को भवन नहीं मिला। अब कैसे सबरेगा देश का भविष्य । छोटे-छोटे नौनिहालों का भविष्य अंधकार में नजर आ रहा ।


Body:Vo ---
यह तस्वीरें सरकार के दावों और नेताओं के वादों की वास्तविक तस्वीर है । सतना जिले के राम की तपोभूमि चित्रकूट विधानसभा क्षेत्र के बांका पंचायत के टिकरा गांव में सन 1995 से शासकीय प्राथमिक पाठशाला टिकरा संचालित हो रही है । इस विद्यालय में लगभग 50 नौनिहाल अध्ययनरत है । लेकिन आज तक स्कूल भवन विहीन संचालित हो रही है । पिछले 25 वर्षों से बरगद के वृक्ष की छांव के आड़ में चल रहा यह विद्यालय। यहां पढ़ने वाले मासूम नौनिहाल बरसात में कीड़े मकोड़े सांप और बिजली गिरने का डर बना रहता है। यही हाल गर्मी के समय में लूट लपट और ठंडी के मौसम में ठिठुरन इस प्रकार से और मौसम में नौनिहालों को डर बना रहता है। इन समस्याओं की वजह से नौनिहालों का भविष्य अंधकार में नजर आ रहा है और काफी नुकसान झेलना पड़ता है । इस बात की जानकारी सतना जिला प्रशासन और जनप्रतिनिधियों को नहीं । सरकारे आती-जाती रही लेकिन यहां का नतीजा सिर्फ सिफर ही रहा । आदिवासी क्षेत्रों ने की वजह से लोगों की माने तो उनके बच्चों से सरकार और जिला प्रशासन सौतेला व्यवहार कर रही है। यह विद्यालय सतना जिला मुख्यालय से 45 किलोमीटर दूर संचालित हो रहा है लेकिन इसके बावजूद दी शासन-प्रशासन और जनप्रतिनिधियों के सिर पट जू तक नहीं रेंग रही । खुले आसमान के नीचे देश का भविष्य संवारा जा रहा।

वाक थ्रू
प्रदीप कश्यप etv bharat सतना ।

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अमर सिंह -- अभिभावक टिकरा गांव सतना ।

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धर्मदास -- स्थानीय निवासी टिकरा सतना ।

Vo --
इस पर विद्यालय के सहायक अध्यापक ने बताया कि सन 1995 से यह विद्यालय संचालित है, इसकी शिकायत के लिए हम जिला प्रशासन जिला शिक्षा अधिकारी और जनप्रतिनिधियों से भी कर चुके हैं लेकिन आज का इस पर अधिकारियों एवं जनप्रतिनिधियों के सिर पर जूं तक नहीं रेंग रही है । नतीजा सिर्फ सिफर ही रहा । यहां बरसात के समय में बच्चे खुले आसमान के नीचे पढ़ते हैं जिससे बिजली गिरने का डर सांप कीड़े मकोड़े आदि का डर बना रहता है यही हाल ठंडी और गर्मी का भी है ठंड में ठिठुरते नौनिहाल और गर्मी में लू की लपट का डर बना रहता है। विगत 25 वर्षों से संचालित हो रहे विद्यालय जैसे का तैसा ही है ।

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छोटे लाल सिंह -- सहायक अध्यापक शा. प्रा. शाला टिकरा सतना ।





Conclusion:Vo 3--
बहरहाल सतना जिले की 26 ऐसे स्कूल हैं जो भवन विहीन संचालित हो रही हैं । उनमें से एक सतना जिला मुख्यालय से 45 किलोमीटर दूर बांका पंचायत टिकरा ग्राम में संचालित हो रहा हैं । जहां बच्चे दाखिला लेते हैं शिक्षक ही पदस्थ है मगर बुनियादी जरूरत भवन ना होने से भगवान भरोसे चल रहा है विद्यालय । इस गांव में मासूम नौनिहालों का बरगद के वृक्ष के नीचे भविष्य संवर रहा है । नौनिहालों के अभिभावक शिक्षकों की माने तो जिला प्रशासन और जनप्रतिनिधियों से लोगों का भरोसा उठता जा रहा है ।
Last Updated : Jul 18, 2019, 6:19 PM IST
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