सतना। सरकार द्वारा चलाई जा रही योजनाओं के बाद भी जिले में सरकारी स्कूल के शिक्षा का हाल बेहाल है, छात्रों को ना ही विषय का नाम पता है और ना ही उन्हें हिंदी लिखना आता है.
शिक्षक ना ही वक्त पर स्कूल आते हैं, ना ही बच्चों को पढ़ाते हैं, मोबाइल पर व्यस्त रहते हैं प्राचार्य
सतना के शासकीय वेंकट क्रमांक- 2 विद्यालय में शिक्षक की मनमानी से छात्र परेशान हैं. वहीं स्कूल के प्राचार्य भी विद्यालय के बाहर पैर फैला कर आराम से बैठकर मोबाइल चलाते रहते हैं.
शासकीय वेंकट क्रमांक 2 विद्यालय में शिक्षा का हाल बेहाल
सतना। सरकार द्वारा चलाई जा रही योजनाओं के बाद भी जिले में सरकारी स्कूल के शिक्षा का हाल बेहाल है, छात्रों को ना ही विषय का नाम पता है और ना ही उन्हें हिंदी लिखना आता है.
Intro:एंकर --
सतना जिले में सरकारी स्कूल के शिक्षा का हाल बेहाल हो चुका है. शिक्षक की मनमानी का दंश झेल रहे छात्र. छात्रों से हिंदी लिखना नहीं आता और ना ही अपने विषय का नाम. ऐसे में कैसे सांवरे का देश का भविष्य. विद्यालय के शिक्षक समय पर विद्यालय आते नहीं. इसकी सबसे बड़ी वजह विद्यालय के प्राचार्य की कमी जो कभी विद्यालय में शिक्षक को देखते नहीं कि कौन कब आ रहा और कब जा रहा है. जी हां हम बात कर रहे हैं सतना शहर के शासकीय वेंकट क्रमांक 2 विद्यालय की जहां विद्यालय के प्रचार को प्राचार्य कक्ष के बाहर पैर फैला कर बैठना और आराम से मोबाइल चलाना उसके बाद फिर घर चले जाना इसके अलावा कुछ आता ही नहीं तो ऐसे में कैसे पढ़ेंगे छात्र और कैसे बढ़ेंगे ।
Body:Vo --
मामला सतना शहर के शासकीय वेंकट क्रमांक 2 विद्यालय कहां हैं. जहां विद्यालय के छात्रों को शुद्ध हिंदी लिखना नहीं आता और ना ही अपने विषय का नाम लिख पाते हैं. लेकिन जब बात की जाए अगर विद्यालय के शिक्षकों की विद्यालय के शिक्षक समय पर कक्षाओं में नहीं जाते हैं और जाते भी क्यू क्योंकि जिन शिक्षकों को देखना और समय-समय पर उन्हें गाइड करने का काम जिस प्राचार्य के पास है. वह प्राचार्य खुद विद्यालय समय पर मोबाइल में व्हाट्सएप चलाने में मदमस्त रहते हैं. जी हां वेंकट क्रमांक 2 विद्यालय के प्राचार्य जमुना सिंह परिहार अपने विद्यालय समय पर अपने कक्ष में मौजूद नहीं रहते हैं. मैं तो विद्यालय के बाहर पैर फैला कर आराम से बैठकर मोबाइल चलाने में मदमस्त रहते हैं. इन तस्वीरों को देखकर आप अंदाजा लगा सकते हैं की प्राचार्य महोदय किस प्रकार से विद्यालय में रहते हैं. इसका गलत असर छात्र पर भी जाता है लेकिन इनसे विद्यालय प्राचार्य को कोई फर्क ही नहीं पड़ता. प्राचार्य महोदय खुद स्वीकार रहे हैं कि वह मोबाइल फोन में व्हाट्सएप में आई सीएम हेल्पलाइन की कंप्लेन और शिक्षा विभाग की जानकारी देख रहा हूं. अब ऐसे में सवाल खड़ा होता है की प्राचार्य महोदय को क्या विद्यालय समय पर ही मोबाइल में व्हाट्सएप की पूरी जानकारी आती है. ऐसे में उन्हें विद्यालय के छात्र छात्राओं कोई मतलब नहीं रहता कौन क्या कर रहा है इससे प्राचार्य को कोई फर्क ही नहीं पड़ता. प्राचार्य महोदय का पूरा दिन छोड़कर सिर्फ विद्यालय समय में ही मोबाइल चलाना याद रहता है. यही वजह है कि सरकारी स्कूलों में शिक्षा का स्तर नीचे की ओर गिरता जा रहा है छात्र शुद्ध हिंदी में लिख पा रहे हैं और ऐसे में विद्यालय के शिक्षकों को उनकी पढ़ाई से कोई फर्क नहीं पड़ता ।
Vo --
इस बारे में जब जिला शिक्षा अधिकारी टी.पी. सिंह से बात की गई तो उन्होंने पढ़ाई को लेकर कहां की अगर किसी विद्यालय में शिक्षा को लेकर ऐसी कोई कंप्लेन है उनकी जानकारी ली जाएगी क्योंकि दक्षता के बाद ही छात्रों को आगे पढ़ने के लिए भेजा जाता है. अगर विद्यालय में ऐसी कंप्लेन है तो इसकी जांच की जाएगी और संबंधित शिक्षक के खिलाफ कार्रवाई प्रस्तावित की जाएगी. प्राचार्य के मोबाइल और पैर फैला कर बैठने को लेकर कहां की संबंध में हम संबंधित प्रचार से जवाब तलब करेंगे कि ऐसी स्थिति क्यों उत्पन्न हुई क्योंकि शिक्षा का प्रधान जो होता है उसने इस प्रकार से गलत मैसेज छात्रों के ऊपर जाता है पूरे विद्यालय में माहौल गलत तरीके से क्रिएट होगा. अगर प्राचार्य मोबाइल चला रहे हैं तो बिल्कुल गलत है और उन्हें विद्यालय समय में अपना दायित्व निर्वाहन करना चाहिए. एक जिम्मेदार अधिकारी को इस प्रकार से ध्यान देना बिल्कुल गलत है इसमें संबंधित प्राचार्य से पूछताछ की जाएगी।
Conclusion:byte --
जमुना सिंह परिहार -- प्राचार्य शा.वेंकट क्र.2 विद्यालय सतना ।
byte --
टी.पी. सिंह -- जिला शिक्षा अधिकारी सतना ।
सतना जिले में सरकारी स्कूल के शिक्षा का हाल बेहाल हो चुका है. शिक्षक की मनमानी का दंश झेल रहे छात्र. छात्रों से हिंदी लिखना नहीं आता और ना ही अपने विषय का नाम. ऐसे में कैसे सांवरे का देश का भविष्य. विद्यालय के शिक्षक समय पर विद्यालय आते नहीं. इसकी सबसे बड़ी वजह विद्यालय के प्राचार्य की कमी जो कभी विद्यालय में शिक्षक को देखते नहीं कि कौन कब आ रहा और कब जा रहा है. जी हां हम बात कर रहे हैं सतना शहर के शासकीय वेंकट क्रमांक 2 विद्यालय की जहां विद्यालय के प्रचार को प्राचार्य कक्ष के बाहर पैर फैला कर बैठना और आराम से मोबाइल चलाना उसके बाद फिर घर चले जाना इसके अलावा कुछ आता ही नहीं तो ऐसे में कैसे पढ़ेंगे छात्र और कैसे बढ़ेंगे ।
Body:Vo --
मामला सतना शहर के शासकीय वेंकट क्रमांक 2 विद्यालय कहां हैं. जहां विद्यालय के छात्रों को शुद्ध हिंदी लिखना नहीं आता और ना ही अपने विषय का नाम लिख पाते हैं. लेकिन जब बात की जाए अगर विद्यालय के शिक्षकों की विद्यालय के शिक्षक समय पर कक्षाओं में नहीं जाते हैं और जाते भी क्यू क्योंकि जिन शिक्षकों को देखना और समय-समय पर उन्हें गाइड करने का काम जिस प्राचार्य के पास है. वह प्राचार्य खुद विद्यालय समय पर मोबाइल में व्हाट्सएप चलाने में मदमस्त रहते हैं. जी हां वेंकट क्रमांक 2 विद्यालय के प्राचार्य जमुना सिंह परिहार अपने विद्यालय समय पर अपने कक्ष में मौजूद नहीं रहते हैं. मैं तो विद्यालय के बाहर पैर फैला कर आराम से बैठकर मोबाइल चलाने में मदमस्त रहते हैं. इन तस्वीरों को देखकर आप अंदाजा लगा सकते हैं की प्राचार्य महोदय किस प्रकार से विद्यालय में रहते हैं. इसका गलत असर छात्र पर भी जाता है लेकिन इनसे विद्यालय प्राचार्य को कोई फर्क ही नहीं पड़ता. प्राचार्य महोदय खुद स्वीकार रहे हैं कि वह मोबाइल फोन में व्हाट्सएप में आई सीएम हेल्पलाइन की कंप्लेन और शिक्षा विभाग की जानकारी देख रहा हूं. अब ऐसे में सवाल खड़ा होता है की प्राचार्य महोदय को क्या विद्यालय समय पर ही मोबाइल में व्हाट्सएप की पूरी जानकारी आती है. ऐसे में उन्हें विद्यालय के छात्र छात्राओं कोई मतलब नहीं रहता कौन क्या कर रहा है इससे प्राचार्य को कोई फर्क ही नहीं पड़ता. प्राचार्य महोदय का पूरा दिन छोड़कर सिर्फ विद्यालय समय में ही मोबाइल चलाना याद रहता है. यही वजह है कि सरकारी स्कूलों में शिक्षा का स्तर नीचे की ओर गिरता जा रहा है छात्र शुद्ध हिंदी में लिख पा रहे हैं और ऐसे में विद्यालय के शिक्षकों को उनकी पढ़ाई से कोई फर्क नहीं पड़ता ।
Vo --
इस बारे में जब जिला शिक्षा अधिकारी टी.पी. सिंह से बात की गई तो उन्होंने पढ़ाई को लेकर कहां की अगर किसी विद्यालय में शिक्षा को लेकर ऐसी कोई कंप्लेन है उनकी जानकारी ली जाएगी क्योंकि दक्षता के बाद ही छात्रों को आगे पढ़ने के लिए भेजा जाता है. अगर विद्यालय में ऐसी कंप्लेन है तो इसकी जांच की जाएगी और संबंधित शिक्षक के खिलाफ कार्रवाई प्रस्तावित की जाएगी. प्राचार्य के मोबाइल और पैर फैला कर बैठने को लेकर कहां की संबंध में हम संबंधित प्रचार से जवाब तलब करेंगे कि ऐसी स्थिति क्यों उत्पन्न हुई क्योंकि शिक्षा का प्रधान जो होता है उसने इस प्रकार से गलत मैसेज छात्रों के ऊपर जाता है पूरे विद्यालय में माहौल गलत तरीके से क्रिएट होगा. अगर प्राचार्य मोबाइल चला रहे हैं तो बिल्कुल गलत है और उन्हें विद्यालय समय में अपना दायित्व निर्वाहन करना चाहिए. एक जिम्मेदार अधिकारी को इस प्रकार से ध्यान देना बिल्कुल गलत है इसमें संबंधित प्राचार्य से पूछताछ की जाएगी।
Conclusion:byte --
जमुना सिंह परिहार -- प्राचार्य शा.वेंकट क्र.2 विद्यालय सतना ।
byte --
टी.पी. सिंह -- जिला शिक्षा अधिकारी सतना ।
Last Updated : Sep 19, 2019, 11:39 PM IST