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सतना में खाद की कालाबाजारी...किसानों के फिंगर मिलान की आड़ लेकर ऐसे कर रहे फर्जीवाड़ा

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By ETV Bharat Madhya Pradesh Team

Published : Jan 4, 2024, 4:54 PM IST

मध्यप्रदेश राज्य सहकारी विपणन संघ के कर्मचारियों द्वारा किए जा रहे फर्जीवाड़े को सुनकर आप दंग रह जाएंगे. किसानों के फिंगर मिलान नहीं होने का बहाना बनाकर खाद का गमन किया जा रहा है. पहले अधिक मात्रा की पर्ची काटते हैं. फिर इस पर पेन से कम मात्रा लिखकर खाद की कालाबाजारी की जा रही है. Satna blackmaling fertilizers

Satna fertilizers blackmailing
सतना जिले में खाद की कालाबाजारी

सतना। मध्यप्रदेश राज्य सहकारी विपणन संघ के कर्मचारी खाद की कालाबाजारी कर रहे हैं. इस मामले में विभागीय अधिकारी भी खामोश हैं. मामला मैहर के देराजनगर का है. राज्य सहकारी विपणन संघ मर्यादित मध्य प्रदेश के देराजनगर में कंप्यूटर ऑपरेटर की भूमिका पर किसान सवाल उठा रहे हैं. पीओएस मशीन से स्लिप इसी ऑपरेटर द्वारा निकाली जाती है. जो बाद में पर्ची के पीछे किसानों को देने वाली मात्रा दर्ज कर देता है. इसके बाद स्टॉक से उतनी मात्रा ही किसान को दी जाती है, जितनी पर्ची के पीछे दर्ज होती है.

इसलिए कालाबाजारी का शक : इस मामले में कंप्यूटर आपरेटर का कहना है कि अगर किसी किसान का फिंगर नही लगता तो हम अधिक निकाली हुई खाद उसे दे देते हैं. अब सवाल यह है कि जब बिना फिंगर लगाए खाद देना ही नहीं है तो निकाली हुई खाद की कहीं कालाबाजारी तो नहीं की जा रही. पहले मामले के अनुसार रामनगर के देवदहा निवासी ब्रजलाल सिंह वैस के नाम पर यूरिया की पर्ची काटी गई. पीओएस मशीन में 20 बोरी दर्ज की गईं. जिसका रेट 5330 रुपए हुआ. वहीं इसी पर्ची में तीन बोरी यूरिया हाथ से लिखकर दिया गया. इस पर्ची में दर्ज 17 बोरी यूरिया कहां गईं? किन किसानों के नाम पर इसका एडजेस्टमेंट किया गया. क्या ऑपरेटर किसी प्राइवेट दुकान से मिलीभगत कर यह खेल-खेल रहा है.

कहां गई 12 बोरी खाद : दूसरे मामले के अनुसार गोरहाई के किसान भी देवराजनगर के विपणन संघ खाद लेने पहुंचे. उन्हें भी तीन बोरी खाद की जरूरत थी. उनके नाम पर 15 बोरी खाद की पर्ची निकाली गई. पर्ची के पीछे तीन बोरी हाथ से लिखी कई. इनकी 12 बोरी खाद कहां चली गई? किस किसान का फिंगर नहीं मिला. इसके बारे में कोई भी जानकारी न तो विभाग के अधिकारी को है और न ही किसी अन्य को. इसी प्रकार गैलहरी के किसान रमाकांत पटेल भी खाद लेने के लिए पहुंचे. इनके नाम पर भी 15 बोरी यूरिया की पर्ची निकाली गईं. जबकि उन्हें खाद मात्र तीन बोरी दी गई.

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अब जांच कराने की बात : वहीं, देराजनगर के ऑपरेटर आनंद बहोर द्विवेदी ने दावा किया कि वे फिंगर मिलान नहीं होने वाले किसानों की सहूलियत के लिए ऐसा करते हैं. वहीं, एसएडीईओ विष्णु त्रिपाठी का कहना है कि पीओएस मशीन से ही खाद का दिए जाने का निर्देश है. पेन से लिखना पूरी तरह से अनुचित है. अगर, ऐसा हो रहा है तो इस मामले की जांच कराई जाएगी.

सतना। मध्यप्रदेश राज्य सहकारी विपणन संघ के कर्मचारी खाद की कालाबाजारी कर रहे हैं. इस मामले में विभागीय अधिकारी भी खामोश हैं. मामला मैहर के देराजनगर का है. राज्य सहकारी विपणन संघ मर्यादित मध्य प्रदेश के देराजनगर में कंप्यूटर ऑपरेटर की भूमिका पर किसान सवाल उठा रहे हैं. पीओएस मशीन से स्लिप इसी ऑपरेटर द्वारा निकाली जाती है. जो बाद में पर्ची के पीछे किसानों को देने वाली मात्रा दर्ज कर देता है. इसके बाद स्टॉक से उतनी मात्रा ही किसान को दी जाती है, जितनी पर्ची के पीछे दर्ज होती है.

इसलिए कालाबाजारी का शक : इस मामले में कंप्यूटर आपरेटर का कहना है कि अगर किसी किसान का फिंगर नही लगता तो हम अधिक निकाली हुई खाद उसे दे देते हैं. अब सवाल यह है कि जब बिना फिंगर लगाए खाद देना ही नहीं है तो निकाली हुई खाद की कहीं कालाबाजारी तो नहीं की जा रही. पहले मामले के अनुसार रामनगर के देवदहा निवासी ब्रजलाल सिंह वैस के नाम पर यूरिया की पर्ची काटी गई. पीओएस मशीन में 20 बोरी दर्ज की गईं. जिसका रेट 5330 रुपए हुआ. वहीं इसी पर्ची में तीन बोरी यूरिया हाथ से लिखकर दिया गया. इस पर्ची में दर्ज 17 बोरी यूरिया कहां गईं? किन किसानों के नाम पर इसका एडजेस्टमेंट किया गया. क्या ऑपरेटर किसी प्राइवेट दुकान से मिलीभगत कर यह खेल-खेल रहा है.

कहां गई 12 बोरी खाद : दूसरे मामले के अनुसार गोरहाई के किसान भी देवराजनगर के विपणन संघ खाद लेने पहुंचे. उन्हें भी तीन बोरी खाद की जरूरत थी. उनके नाम पर 15 बोरी खाद की पर्ची निकाली गई. पर्ची के पीछे तीन बोरी हाथ से लिखी कई. इनकी 12 बोरी खाद कहां चली गई? किस किसान का फिंगर नहीं मिला. इसके बारे में कोई भी जानकारी न तो विभाग के अधिकारी को है और न ही किसी अन्य को. इसी प्रकार गैलहरी के किसान रमाकांत पटेल भी खाद लेने के लिए पहुंचे. इनके नाम पर भी 15 बोरी यूरिया की पर्ची निकाली गईं. जबकि उन्हें खाद मात्र तीन बोरी दी गई.

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अब जांच कराने की बात : वहीं, देराजनगर के ऑपरेटर आनंद बहोर द्विवेदी ने दावा किया कि वे फिंगर मिलान नहीं होने वाले किसानों की सहूलियत के लिए ऐसा करते हैं. वहीं, एसएडीईओ विष्णु त्रिपाठी का कहना है कि पीओएस मशीन से ही खाद का दिए जाने का निर्देश है. पेन से लिखना पूरी तरह से अनुचित है. अगर, ऐसा हो रहा है तो इस मामले की जांच कराई जाएगी.

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