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सतना में स्वास्थ्य सुविधा सड़कों पर

सतना जिले में स्वास्थ्य सुविधाएं बेपटरी हो चुकी हैं. जिला अस्पताल में कोविड-19 के अलावा अन्य मरीजों को उपचार की सुविधा नहीं मिल पा रही है. हिमोग्लोबिन कम होने पर बीमारी से ग्रसित विवेक सिंह को अस्पताल ने भर्ती कराने से मना कर दिया.

satna district hospital refused to admit patient
स्वास्थ्य सुविधा सड़कों पर
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Published : Apr 18, 2021, 10:06 AM IST

सतना। जिला अस्पताल में स्वास्थ्य सुविधाओं का हाल बेहाल है. कोविड-19 बीमारी से ग्रसित मरीजों के अलावा अन्य बीमारी के उपचार के लिए सुविधाएं नहीं मिल पा रही है. ऐसी ही एक तस्वीर हैरान कर देने वाली सामने आई है, जहां सड़क किनारे मरीज को लेटाए हुए परिजन इलाज करवाने के लिए परेशान हो रहे है.

भर्ती कराने से किया मना

शहर में अब स्वास्थ्य सुविधा सड़कों के किनारे आ चुकी है. जी हां एक ऐसी तस्वीर सामने आई है, जो हैरान कर देने वाली है. ये सरकारी सिस्टम के लिए करारा तमाचा है. स्टेशन रोड अंतर्गत एक निजी नर्सिंग होम के सामने पीड़ित मरीज के परिजन परेशान हो रहे हैं, लेकिन न तो उनको कोई देखने वाला है और न ही सुनने वाला. दरअसल, हिमोग्लोबिन कम होने पर बीमारी से ग्रसित विवेक सिंह उपचार कराने के लिए अपने परिजनों के साथ जिसा अस्पताल आए थे, लेकिन डॉक्टर्स और स्टाफ ने उन्हें भर्ती करने से साफ इनकार कर दिया. उन लोगों ने कहा कि यहां पर बेड की कोई व्यवस्था नहीं है. आप अपनी व्यवस्था खुद कर लीजिए. ऐसे में पीड़ित मरीज विवेक सिंह को लेकर परिजन शहर के कुछ निजी अस्पतालों के भी चक्कर काटते रहे, लेकिन निजी अस्पताल में भी उन्हें उपचार के लिए दाखिला नहीं मिला. लिहाजा मरीज और उसके परिजन परेशान हो रहे थे. हालांकि, तहसीलदार से बात होने के बाद मरीज को जिला अस्पताल भेजा गया, लेकिन उसके बावजूद भी न तो अस्पताल में डॉक्टर सुनने वाला था और न ही कोई स्टाफ.

स्वास्थ्य सुविधा सड़कों पर

पीड़ित मरीज को लेकर जैसे-तैसे उसके परिजन उचेहरा सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र के लिए रवाना हो गए, लेकिन शहर में 10 दिनों का कोरोना कर्फ्यू भी लगाया गया है. ऐसे में कई घंटे सड़क किनारे मरीज और उसके परिजन परेशान होते रहे. इससे साफ तौर पर अंदाजा लगाया जा सकता है कि अभी भी अस्पतालों में भर्ती होना मुश्किल है.

सतना। जिला अस्पताल में स्वास्थ्य सुविधाओं का हाल बेहाल है. कोविड-19 बीमारी से ग्रसित मरीजों के अलावा अन्य बीमारी के उपचार के लिए सुविधाएं नहीं मिल पा रही है. ऐसी ही एक तस्वीर हैरान कर देने वाली सामने आई है, जहां सड़क किनारे मरीज को लेटाए हुए परिजन इलाज करवाने के लिए परेशान हो रहे है.

भर्ती कराने से किया मना

शहर में अब स्वास्थ्य सुविधा सड़कों के किनारे आ चुकी है. जी हां एक ऐसी तस्वीर सामने आई है, जो हैरान कर देने वाली है. ये सरकारी सिस्टम के लिए करारा तमाचा है. स्टेशन रोड अंतर्गत एक निजी नर्सिंग होम के सामने पीड़ित मरीज के परिजन परेशान हो रहे हैं, लेकिन न तो उनको कोई देखने वाला है और न ही सुनने वाला. दरअसल, हिमोग्लोबिन कम होने पर बीमारी से ग्रसित विवेक सिंह उपचार कराने के लिए अपने परिजनों के साथ जिसा अस्पताल आए थे, लेकिन डॉक्टर्स और स्टाफ ने उन्हें भर्ती करने से साफ इनकार कर दिया. उन लोगों ने कहा कि यहां पर बेड की कोई व्यवस्था नहीं है. आप अपनी व्यवस्था खुद कर लीजिए. ऐसे में पीड़ित मरीज विवेक सिंह को लेकर परिजन शहर के कुछ निजी अस्पतालों के भी चक्कर काटते रहे, लेकिन निजी अस्पताल में भी उन्हें उपचार के लिए दाखिला नहीं मिला. लिहाजा मरीज और उसके परिजन परेशान हो रहे थे. हालांकि, तहसीलदार से बात होने के बाद मरीज को जिला अस्पताल भेजा गया, लेकिन उसके बावजूद भी न तो अस्पताल में डॉक्टर सुनने वाला था और न ही कोई स्टाफ.

स्वास्थ्य सुविधा सड़कों पर

पीड़ित मरीज को लेकर जैसे-तैसे उसके परिजन उचेहरा सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र के लिए रवाना हो गए, लेकिन शहर में 10 दिनों का कोरोना कर्फ्यू भी लगाया गया है. ऐसे में कई घंटे सड़क किनारे मरीज और उसके परिजन परेशान होते रहे. इससे साफ तौर पर अंदाजा लगाया जा सकता है कि अभी भी अस्पतालों में भर्ती होना मुश्किल है.

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