सतना। मध्यप्रदेश में बिगड़ती कानून-व्यवस्था को लेकर शिवराज सिंह ने मुख्यमंत्री कमलनाथ पर निशाना साधा है. कुछ दिनों पहले सतना में किसान के अपहरण मामले में सीएम कमलनाथ ने ट्वीट किया था, जिस पर शिवराज सिंह ने सरकार को घेरते हुए ट्वीट किया है. उन्होंने लिखा कि शांति का टापू मध्यप्रदेश आज अपराधियों का गढ़ बन गया है. बता दें कि सीएम कमलनाथ ने सतना के हरसेड गांव से किसान अवधेश द्विवेदी की हुई अपहरण की घटना को गंभीर बताया था और कड़ी कार्रवाई का आश्वासन दिया था. इस पर शिवराज ने कहा कि केवल ट्वीट करने से कुछ नहीं होगा, बल्कि ठोस कदम उठाने की जरूरत है.
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शांति का टापू मध्यप्रदेश आज अपराधियों का गढ़ बन गया।
— Shivraj Singh Chouhan (@ChouhanShivraj) September 9, 2019 " class="align-text-top noRightClick twitterSection" data="
कमलनाथ जी,सिर्फ ट्वीट करने से समस्या हल नहीं होगी,ठोस कदम उठाने होंगे,आपके शासन में पुनः सक्रिय हुए अपहरणकर्ताओं को जड़ से खत्म करने की ज़रूरत है।उम्मीद है कि श्री अवधेश द्विवेदी को शीघ्र ढूंढकर उनके परिजनों तक पहुँचाया जाएगा। https://t.co/mZxAkbjQUA
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— Shivraj Singh Chouhan (@ChouhanShivraj) September 9, 2019
कमलनाथ जी,सिर्फ ट्वीट करने से समस्या हल नहीं होगी,ठोस कदम उठाने होंगे,आपके शासन में पुनः सक्रिय हुए अपहरणकर्ताओं को जड़ से खत्म करने की ज़रूरत है।उम्मीद है कि श्री अवधेश द्विवेदी को शीघ्र ढूंढकर उनके परिजनों तक पहुँचाया जाएगा। https://t.co/mZxAkbjQUAशांति का टापू मध्यप्रदेश आज अपराधियों का गढ़ बन गया।
— Shivraj Singh Chouhan (@ChouhanShivraj) September 9, 2019
कमलनाथ जी,सिर्फ ट्वीट करने से समस्या हल नहीं होगी,ठोस कदम उठाने होंगे,आपके शासन में पुनः सक्रिय हुए अपहरणकर्ताओं को जड़ से खत्म करने की ज़रूरत है।उम्मीद है कि श्री अवधेश द्विवेदी को शीघ्र ढूंढकर उनके परिजनों तक पहुँचाया जाएगा। https://t.co/mZxAkbjQUA
बता दें कि मध्यप्रदेश में कानून-व्यवस्था पूरी तरह से चौपट हो गई है. प्रदेश में लगातार बढ़ता अपराध का ग्राफ इस बात की गवाही दे रहा है. अपहरण, फिरौती औैर कत्ल जैसे गंभीर अपराधों का प्रदेश में जैसे उद्योग चल रहा है. राज्य में पिछले कुछ अरसे में अपराधी तत्वों के हौसले इतने बढ़ गए हैं कि उनके लिए पुलिस का असर भी बौना हो चला है.
प्रदेश में सबसे चिंताजनक स्थिति किसानों की है. सबसे नया मामला हरसेड गांव का है. यहां किसान अवधेश समदड़िया का अपहरण कर 50 लाख की फिरौती की मांग की गई. अपहृत किसान अवधेश का तीन दिन बाद भी कोई पता नहीं चला. 7 लाख के इनामी बदमाश बबली के गिरोह ने किसान का अपरहण किया था. हैरानी की बात है कि यूपी और एमपी की 12 पुलिस टीम भी किसान का अभी तक कोई सुराग नहीं लगा पाई है.
निशाने पर मासूम
सतना जिले के लोगों को सबसे ज्यादा अपहरण का डर सताता है. आलम ये है कि अपहरण और गुमशुदगी के मामले में सबसे ज्यादा शिकार मासूम हो रहे हैं. चित्रकूट में 12 फरवरी को हुए श्रेयांस-प्रियांश अपहरण हत्याकांड ने पूरे देश को हिलाकर रख दिया था. दो जुड़वां भाईयों के अपहरण मामले में ट्यूशन टीचर रामकेश यादव शामिल था. उसने बच्चों का अपहरण कर पकड़े जाने के डर से फिरौती लेने के बावजूद उनकी हत्या कर दी थी. बाद में रामकेश ने सतना जेल में आत्महत्या कर ली. उस केस में पुलिस की नाकामी सबके सामने थी.
चित्रकूट के दिल दहलाने वाले मामले को लोग भूले भी नहीं थे कि एक के बाद प्रदेश में मासूमों के अपहरण के मामले रुके नहीं. उसके बाद भी कई मामले सामने आए. सतना जिले के अमरपाटन चोरहटा गांव से भी मासूम का अपहरण कर हत्या कर दी गई. 13 साल के विकास प्रजापति का शव बंशीपुर गांव के कुएं में मिला था. विकास का अपहरण कर अपहरणकर्ताओं ने 10 लाख की फिरौती मांगी थी. इसके पहले नागौद में मासूम के अपहरण के बाद हत्या कर दी गई थी.
मासूमों के अपहरण कर हत्या के मामले यहीं नहीं रुके, रामपुर थाना क्षेत्र में 9 साल की बच्ची को अगवा कर लिया गया. ऑटो चालक नाबालिग बच्ची का अपहरण कर बेचने की फिराक में था, हालांकि इसमें आरोपी को पुलिस ने पकड़ लिया था.
महिला भी निशाने पर
सतना जिले के उचेहरा के खोह की बस्ती में पति के सामने ही पत्नी का अपहरण हो गया. महिला ससुराल जा रही थी, इसी बीच रास्ते में जाते वक्त महिला का बदमाशों ने अपहरण कर लिया.
क्या कहते हैं आंकड़े
अगर सतना जिले की ही बात करें, तो ग्रामीण और शहरी दोनों इलाकों से बड़ी संख्या में बच्चों के अपहरण के मामले सामने आए हैं. तीन साल में पुलिस के आंकड़ों के मुताबिक, 721 बच्चों का अपहरण हुआ है. बच्चों के अपहरण केस में सबसे ज्यादा बच्चियां लापता हैं, जिसमें 341 नाबालिग लड़के-लड़कियां लापता हैं. सबसे हैरान कर देने वाली बात ये है कि पुलिस अब तक इन बच्चों की तलाश नहीं कर पाई है.
लिहाजा ये घटनाएं मध्य प्रदेश की बिगड़ती कानून-व्यवस्था की गवाही देती नजर आ रही है. मध्य प्रदेश में लगातार बिगड़ती कानून-व्यवस्था पार्टियों के लिए हमेशा से ही राजनीतिक रोटियां सेंकने का काम आती रही हैं, लेकिन सवाल उठता है कि आखिर कब तक किसान और मासूमों की बलि चढ़ती रहेगी.