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सोशल डिस्टेंसिंग का अलर्ट बताएगी यह डिवाइस, बीटेक के छात्र ने मात्र 150 रुपये में किया निर्माण, कोरोना की तीसरी लहर में हो सकती है मददगार

सतना के छोटे से गांव के एक छात्र ने सोशल डिस्टेंसिंग के लिए एक डिवाइस का निर्माण किया है. इस डिवाइस से सोशल डिस्टेंसिंग के अलर्ट के बारे में जाना जा सकेगा. तीसरी लहर से पहले यह डिवाइस काफी कारगर साबित हो सकती है.

social distancing alert device
सोशल डिस्टेंसिंग अलर्ट डिवाइस
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Published : Jul 21, 2021, 8:27 PM IST

सतना। मध्यप्रदेश केछोटे से गांव में निवासरत एक छात्र ने लॉकडाउन के दौरान कोरोना से बचाव के लिए एक डिवाइस का अविष्कार किया है. यह डिवाइस सोशल डिस्टेंसिंग अलर्ट के बारे व्यक्ति को बताएगी. इससे भीड़भाड़ वाले इलाके में कोविड से बचा जा सकेगा. छात्र के इस काम की सराहना उनके माता-पिता और शिक्षक भी कर रहे हैं.

लोगों की मदद करेगी डिवाइस.

लॉकडाउन में समय का किया सदउपयोग
जिले मुख्यालय से महज 15 किलोमीटर दूर उचेहरा तहसील के अंतर्गत भटनवारा ग्राम निवासी शुभम सोनी नाम के छात्र ने लॉकडाउन के दौरान एक ऐसा कारनामा कर दिखाया, जो सभी के लिए उपयोगी होगा. शुभम निजी महाविद्यालय का छात्र है, जो बीटेक कंप्यूटर साइंस की पढ़ाई कर रहा है. लॉकडाउन में जब वह कॉलेज नहीं जा पाता था, उस समय का छात्र ने घर में रहकर उपयोग किया.

ऑनलाइन पढ़ाई के साथ किया अविष्कार
ऑनलाइन पढ़ाई के साथ-साथ शुभम ने इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस का अविष्कार कर दिखाया. इस डिवाइस का उपयोग सोशल डिस्टेंसिंग के लिए किया जाएगा. अगर कोई भी व्यक्ति भीड़भाड़ वाले इलाके में जाता है, तो यह डिवाइस अपने गले में डाल सकता है या पॉकेट में रख सकता है. जैसे ही आप भीड़भाड़ वाले इलाके में जाते हैं तो इसका अलर्ट जारी हो जाता है. इसमें बीप की आवाज आने लगती है.

150 रुपये के खर्च से बनी डिवाइस
इस डिवाइस को बनाने में करीब 150 रुपये का खर्च आया. इसे बनाने में 20 से 25 दिन का समय लगा. वहीं इस डिवाइस में कुछ नई चीजें भी बनाई जा रही हैं, जिससे कि व्यक्ति के अंदर पल्स को जांच सकेंगे. यह डिवाइस तीसरी लहर के पहले लोगों के लिए उपयोगी मानी जा सकती है. शुभम के पिता पेशे से सोना चांदी के जेवर बनाने के एक छोटे से कारीगर है. उनके परिवार की स्थितियां भी सही नहीं है. ऐसे में उन्हें 15 वर्ष पहले डायबिटीज की एक घातक बीमारी हो गई. जिसकी वजह से उसके पिता पूरा व्यापार अपने बच्चों को सौंप दिया. अब यह बिजनेस भी उनका पूंजी पतियों के पास चला गया है.

परिवार में सबसे छोटा है शुभम
शुभम अपने घर में सबसे छोटा है. शुभम से बड़े चार भाई और हैं. डायबिटीज की बीमारी की वजह से शुभम के पिता को अब ठीक से दिखाई भी नहीं देता है, जिसकी वजह से वह अब कारीगरी का काम नहीं कर पाते हैं. उनका छोटा बेटा शुभम पढ़ने लिखने में भी बहुत कमजोर था. शुभम के परिवार को उम्मीद नहीं थी कि वह कुछ कर सकता है. इस डिवाइस को बनाने के बाद उनके परिवार की उम्मीदें जग गई हैं.

गांव की नन्ही प्रतिभा मचा रही धूम, स्कैच से बनाए महापुरुषों के चित्र

शुभम के माता-पिता भी अब बेटे के इस कार्य से बेहद खुश हैं. लॉकडाउन के दौरान कड़ी मेहनत के बाद शुभम का यह कार्य प्रशंसा का विषय बना हुआ है. शुभम के इस कार्य की वजह से उसके शिक्षक भी इसकी सराहना कर रहे हैं. शिक्षक की मानें तो इस डिवाइस को बाजार में लाने के लिए पूरा प्रयास करेंगे. अब यह डिवाइस कुछ ही घंटों में तैयार भी की जा सकती है.

सतना। मध्यप्रदेश केछोटे से गांव में निवासरत एक छात्र ने लॉकडाउन के दौरान कोरोना से बचाव के लिए एक डिवाइस का अविष्कार किया है. यह डिवाइस सोशल डिस्टेंसिंग अलर्ट के बारे व्यक्ति को बताएगी. इससे भीड़भाड़ वाले इलाके में कोविड से बचा जा सकेगा. छात्र के इस काम की सराहना उनके माता-पिता और शिक्षक भी कर रहे हैं.

लोगों की मदद करेगी डिवाइस.

लॉकडाउन में समय का किया सदउपयोग
जिले मुख्यालय से महज 15 किलोमीटर दूर उचेहरा तहसील के अंतर्गत भटनवारा ग्राम निवासी शुभम सोनी नाम के छात्र ने लॉकडाउन के दौरान एक ऐसा कारनामा कर दिखाया, जो सभी के लिए उपयोगी होगा. शुभम निजी महाविद्यालय का छात्र है, जो बीटेक कंप्यूटर साइंस की पढ़ाई कर रहा है. लॉकडाउन में जब वह कॉलेज नहीं जा पाता था, उस समय का छात्र ने घर में रहकर उपयोग किया.

ऑनलाइन पढ़ाई के साथ किया अविष्कार
ऑनलाइन पढ़ाई के साथ-साथ शुभम ने इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस का अविष्कार कर दिखाया. इस डिवाइस का उपयोग सोशल डिस्टेंसिंग के लिए किया जाएगा. अगर कोई भी व्यक्ति भीड़भाड़ वाले इलाके में जाता है, तो यह डिवाइस अपने गले में डाल सकता है या पॉकेट में रख सकता है. जैसे ही आप भीड़भाड़ वाले इलाके में जाते हैं तो इसका अलर्ट जारी हो जाता है. इसमें बीप की आवाज आने लगती है.

150 रुपये के खर्च से बनी डिवाइस
इस डिवाइस को बनाने में करीब 150 रुपये का खर्च आया. इसे बनाने में 20 से 25 दिन का समय लगा. वहीं इस डिवाइस में कुछ नई चीजें भी बनाई जा रही हैं, जिससे कि व्यक्ति के अंदर पल्स को जांच सकेंगे. यह डिवाइस तीसरी लहर के पहले लोगों के लिए उपयोगी मानी जा सकती है. शुभम के पिता पेशे से सोना चांदी के जेवर बनाने के एक छोटे से कारीगर है. उनके परिवार की स्थितियां भी सही नहीं है. ऐसे में उन्हें 15 वर्ष पहले डायबिटीज की एक घातक बीमारी हो गई. जिसकी वजह से उसके पिता पूरा व्यापार अपने बच्चों को सौंप दिया. अब यह बिजनेस भी उनका पूंजी पतियों के पास चला गया है.

परिवार में सबसे छोटा है शुभम
शुभम अपने घर में सबसे छोटा है. शुभम से बड़े चार भाई और हैं. डायबिटीज की बीमारी की वजह से शुभम के पिता को अब ठीक से दिखाई भी नहीं देता है, जिसकी वजह से वह अब कारीगरी का काम नहीं कर पाते हैं. उनका छोटा बेटा शुभम पढ़ने लिखने में भी बहुत कमजोर था. शुभम के परिवार को उम्मीद नहीं थी कि वह कुछ कर सकता है. इस डिवाइस को बनाने के बाद उनके परिवार की उम्मीदें जग गई हैं.

गांव की नन्ही प्रतिभा मचा रही धूम, स्कैच से बनाए महापुरुषों के चित्र

शुभम के माता-पिता भी अब बेटे के इस कार्य से बेहद खुश हैं. लॉकडाउन के दौरान कड़ी मेहनत के बाद शुभम का यह कार्य प्रशंसा का विषय बना हुआ है. शुभम के इस कार्य की वजह से उसके शिक्षक भी इसकी सराहना कर रहे हैं. शिक्षक की मानें तो इस डिवाइस को बाजार में लाने के लिए पूरा प्रयास करेंगे. अब यह डिवाइस कुछ ही घंटों में तैयार भी की जा सकती है.

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