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ऐसे तैयार होंगे शिवराज के ओलंपियन! हॉकी प्लेग्राउंड की किल्लत से जूझ रहे सतना के खिलाड़ी - टोक्यो ओलंपिक 2020

एमपी के सतना से हॉकी खिलाड़ी राष्ट्रीय स्तर तक खेल चुके हैं, इसके बावजूद जिले में एक हॉकी मैदान नहीं है. यहां खिलाड़ी सुविधाओं के आभाव में तैयारी कर रहे हैं. ऐसे में खिलाड़ियों ने सीएम शिवराज सिंह चौहान से हॉकी मैदान की गुहार लगाई है.

hockey player
हॉकी खिलाड़ी
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Published : Oct 3, 2021, 12:20 PM IST

Updated : Oct 3, 2021, 1:09 PM IST

सतना। मध्य प्रदेश सरकार एक ओर जहां हॉकी ओलंपिक (Tokyo Olympic 2020) के विजेता खिलाड़ियों का सम्मान कर रही है. वहीं दूसरी ओर सतना के नेशनल लेवल (Satna National Level Hockey Player) तक खेल चुके खिलाड़ी हॉकी की मूलभूत सुविधाओं के लिए तरस रहे हैं. ऐसे में खिलाड़ी सीएम शिवराज सिंह चौहान (Cm Shivraj Singh Chouhan) से खेल के मैदान की मांग कर रहे हैं.

हॉकी मैदान की बाट जोह रहे खिलाड़ी.

सतना में नहीं है एक भी हॉकी मैदान
मध्य प्रदेश के छोटे-छोटे गांव में निवास करने वाली तीन बेटियों ने वर्ष 2020 में हॉकी ओलंपिक में जीत हासिल की थी. इस जीत के बाद प्रदेश के मुखिया शिवराज सिंह चौहान ने इन बेटियों को 31 31 लाख रुपए देकर सम्मानित किया था. ऐसे में अगर मध्य प्रदेश के सतना जिले की बात करें तो जिले के करीब 50 से 60 खिलाड़ी स्टेट लेवल तक खेल चुके हैं. इनमें से दो खिलाड़ी नेशनल लेवल पर भी खेल चुके हैं. इसके बावजूद जिले में आज तक एक हॉकी का मैदान (Hockey Play Ground) नहीं है.

सुविधाओं के अभाव में खेल रहे सतना के खिलाड़ी
जिले में रेलवे प्रबंधन का एक खेल ग्राउंड है, जिसका नाम हॉकी खेल ग्राउंड रखा गया है. इस ग्राउंड में हॉकी को खेलने वाले करीब 40 बच्चे प्रतिदिन खेलते हैं, लेकिन ग्राउंड सही न होने की वजह से खिलाड़ियों को खेल के दौरान काफी चोटें आ जाती हैं. इसके अलावा बच्चों को खेल विभाग की ओर से भी किसी प्रकार की हॉकी किट प्रदान नहीं की जा रही है.

खिलाड़ियों ने सीएम से लगाई गुहार
हॉकी खेल के मैदान को लेकर बच्चों ने सीएम शिवराज सिंह चौहान से गुहार लगाई है. वहीं बच्चों के परिजनों का कहना है कि बच्चे खेलना तो चाहते हैं, लेकिन हॉकी के लिए कोई अच्छा ग्राउंड न होने के वजह से खेल नहीं पा रहे हैं. सरकार की ओर से हॉकी किट (Hockey Kit) भी प्रदान नहीं की जा रही है. ऐसे में सारा खर्च खुद ही वहन करना पड़ रहा है. ऐसे में सरकार को इस ओर ध्यान देना चाहिए.

नेशनल और स्टेट लेवल खेल चुके हैं खिलाड़ी
जिला खेल प्रशिक्षक एसपी तिवारी ने बताया कि हमारे यहां के बच्चे नेशनल और स्टेट लेवल तक जा चुके हैं. इस वर्ष भी टैलेंट सर्च आयोजन में तीन बच्चे सतना से सेलेक्ट हुए हैं. शासन की तरफ से स्पोर्ट किट, सूज, हॉकी के लिए जितने भी उपकरण हैं, वह खिलाड़ियों को उपलब्ध कराया जाते हैं. इस दौरान उन्होंने खुद यह स्वीकार किया कि हॉकी खिलाड़ियों के लिए कोई ग्राउंड उपलब्ध नहीं है. सतना में एक हाकी ग्राउंड की मांग के लिए शासन स्तर पर पत्र लिखा गया है.

भारतीय महिला हॉकी टीम का सम्मान, खिलाड़ियों को सौंपे गए 31 लाख रुपए के चैक, सीएम बोले- प्रदेश में बनेगा वर्ल्ड क्लास हॉकी स्टेडियम

हॉकी प्ले ग्राउंड को एक नजर में समझें
हॉकी भारत का राष्ट्रीय खेल है. इस खेल में दोनों दलों में खिलाड़ियों की संख्या 11 होती है. हॉकी का मैदान सामान्यतः 91.4 मीटर लंबा और 55 मीटर चौड़ा होता है. हॉकी के गेम की परिधि लगभग 30 सेंटीमीटर होती हैं. हॉकी की स्टिक लगभग 1 मीटर लंबी और 340 से 790 ग्राम भारी होती है. भारत में हॉकी सबसे पहले कोलकाता में खेला गया. भारत में इसका आरंभ 100 वर्ष पहले हुआ था. सन 1971 में हॉकी विश्व कप की शुरुआत हुई. सन 1975 में भारत ने पाकिस्तान को 2-1 से हराकर विश्वकप प्रतियोगिता जीती थी.

सतना। मध्य प्रदेश सरकार एक ओर जहां हॉकी ओलंपिक (Tokyo Olympic 2020) के विजेता खिलाड़ियों का सम्मान कर रही है. वहीं दूसरी ओर सतना के नेशनल लेवल (Satna National Level Hockey Player) तक खेल चुके खिलाड़ी हॉकी की मूलभूत सुविधाओं के लिए तरस रहे हैं. ऐसे में खिलाड़ी सीएम शिवराज सिंह चौहान (Cm Shivraj Singh Chouhan) से खेल के मैदान की मांग कर रहे हैं.

हॉकी मैदान की बाट जोह रहे खिलाड़ी.

सतना में नहीं है एक भी हॉकी मैदान
मध्य प्रदेश के छोटे-छोटे गांव में निवास करने वाली तीन बेटियों ने वर्ष 2020 में हॉकी ओलंपिक में जीत हासिल की थी. इस जीत के बाद प्रदेश के मुखिया शिवराज सिंह चौहान ने इन बेटियों को 31 31 लाख रुपए देकर सम्मानित किया था. ऐसे में अगर मध्य प्रदेश के सतना जिले की बात करें तो जिले के करीब 50 से 60 खिलाड़ी स्टेट लेवल तक खेल चुके हैं. इनमें से दो खिलाड़ी नेशनल लेवल पर भी खेल चुके हैं. इसके बावजूद जिले में आज तक एक हॉकी का मैदान (Hockey Play Ground) नहीं है.

सुविधाओं के अभाव में खेल रहे सतना के खिलाड़ी
जिले में रेलवे प्रबंधन का एक खेल ग्राउंड है, जिसका नाम हॉकी खेल ग्राउंड रखा गया है. इस ग्राउंड में हॉकी को खेलने वाले करीब 40 बच्चे प्रतिदिन खेलते हैं, लेकिन ग्राउंड सही न होने की वजह से खिलाड़ियों को खेल के दौरान काफी चोटें आ जाती हैं. इसके अलावा बच्चों को खेल विभाग की ओर से भी किसी प्रकार की हॉकी किट प्रदान नहीं की जा रही है.

खिलाड़ियों ने सीएम से लगाई गुहार
हॉकी खेल के मैदान को लेकर बच्चों ने सीएम शिवराज सिंह चौहान से गुहार लगाई है. वहीं बच्चों के परिजनों का कहना है कि बच्चे खेलना तो चाहते हैं, लेकिन हॉकी के लिए कोई अच्छा ग्राउंड न होने के वजह से खेल नहीं पा रहे हैं. सरकार की ओर से हॉकी किट (Hockey Kit) भी प्रदान नहीं की जा रही है. ऐसे में सारा खर्च खुद ही वहन करना पड़ रहा है. ऐसे में सरकार को इस ओर ध्यान देना चाहिए.

नेशनल और स्टेट लेवल खेल चुके हैं खिलाड़ी
जिला खेल प्रशिक्षक एसपी तिवारी ने बताया कि हमारे यहां के बच्चे नेशनल और स्टेट लेवल तक जा चुके हैं. इस वर्ष भी टैलेंट सर्च आयोजन में तीन बच्चे सतना से सेलेक्ट हुए हैं. शासन की तरफ से स्पोर्ट किट, सूज, हॉकी के लिए जितने भी उपकरण हैं, वह खिलाड़ियों को उपलब्ध कराया जाते हैं. इस दौरान उन्होंने खुद यह स्वीकार किया कि हॉकी खिलाड़ियों के लिए कोई ग्राउंड उपलब्ध नहीं है. सतना में एक हाकी ग्राउंड की मांग के लिए शासन स्तर पर पत्र लिखा गया है.

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हॉकी प्ले ग्राउंड को एक नजर में समझें
हॉकी भारत का राष्ट्रीय खेल है. इस खेल में दोनों दलों में खिलाड़ियों की संख्या 11 होती है. हॉकी का मैदान सामान्यतः 91.4 मीटर लंबा और 55 मीटर चौड़ा होता है. हॉकी के गेम की परिधि लगभग 30 सेंटीमीटर होती हैं. हॉकी की स्टिक लगभग 1 मीटर लंबी और 340 से 790 ग्राम भारी होती है. भारत में हॉकी सबसे पहले कोलकाता में खेला गया. भारत में इसका आरंभ 100 वर्ष पहले हुआ था. सन 1971 में हॉकी विश्व कप की शुरुआत हुई. सन 1975 में भारत ने पाकिस्तान को 2-1 से हराकर विश्वकप प्रतियोगिता जीती थी.

Last Updated : Oct 3, 2021, 1:09 PM IST
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