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अजब एमपी में तेल का गजब खेल! पड़ोसी तीन राज्यों में तेल सस्ता, यूपी-छत्तीसगढ़ और गुजरात से पेट्रोल-डीजल भरवाते हैं लोग - ईटीवी भारत न्यूज

तेल के खेल में फिलहाल पूरे देश की राजनीति उलझी हुई है, दिवाली से पहले जहां विपक्ष सरकार पर हमलावर थी, वहीं टैक्स कम करने के बाद भाजपा ने गैर बीजेपी शासित राज्यों को कठघरे में खड़ा कर दिया है. इनके बीच मध्य प्रदेश में तेल अभी भी पड़ोस के तीन राज्यों से महंगा मिल रहा है.

oil price high in MP
अजब एमपी में तेल का गजब खेल
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Published : Nov 9, 2021, 4:48 PM IST

सतना/अनूपपुर/दाहोद(गुजरात)। देश की राजनीति में तेल की कीमत (oil price) हमेशा एक ज्वलंत मुद्दा रही है. एकबार फिर तेल के दामों को लेकर केंद्र सरकार, बीजेपी शासित सरकार और विपक्ष आमने-सामने है. केंद्र ने तेल के दाम पर एक्साइज ड्यूटी घटाई, जिसके बाद राज्यों ने भी वैट घटाकर लोगों को राहत दी. एमपी सरकार भी इस बात पर अपनी पीठ थपथपा रही है, कि उन्होंने दाम कर लोगों को बड़ी राहत दी है. लेकिन बड़ी बात ये है कि प्रदेश से सटे तीन पड़ोसी राज्यों में तेल मध्य प्रदेश से सस्ता बिक रहा है. जिसके कारण लोग दूसरे राज्य जाकर पेट्रोल-डीजल (petrol-diesel) भरवाते हैं.

यूपी से तेल लेते हैं एमपी के लोग

उत्तर प्रदेश से तेल भरवाते हैं एमपी वासी

बढ़ती महंगाई के बीच अगर आम आदमी के चंद रुपये भी बचते हैं, तो वो राहत महसूस करता है. कुछ ऐसा ही है, सतना से सटे चित्रकूट में. भौगोलिक दृष्टिकोण से चित्रकूट मध्यप्रदेश और उत्तरप्रदेश दोनों सीमाओं पर बसता है, यूपी का हिस्सा कम तो एमपी का हिस्सा ज्यादा है. और महज 5 किलोमीटर की दूरी पर पेट्रोल-डीजल की कीमतों में करीब 10 रुपए का अंतर है. यूपी के हिस्से के पेट्रोल पम्पों में पेट्रोल 99.74 रुपये प्रति लीटर और डीजल 82.53 रुपये प्रति लीटर बिक रहा है, जबकि मध्य प्रदेश में पेट्रोल 109.52रुपये और डीजल 92.98 रुपये प्रति लीटर बिक रहा है. महज 5 किमी की दूरी पर 10 रुपये के अंतर ने मध्यप्रदेश के पेट्रोल पम्प का भट्ठा बिठा दिया है. एमपी की सरहद का एक मात्र पेट्रोल पम्प घाटे में होने की वजह से बंद हो गया. अब चित्रकूट के लोग यूपी के सीतापुर, रानीपुर (चित्रकूट यूपी) पेट्रोल-डीजल भराने के लिए जाते हैं.

छत्तीसगढ़ में तेल सस्ता

छत्तीसगढ़ सीमा पार कर लोग पहुंचते हैं सस्ता पेट्रोल लेने
मध्य प्रदेश अनूपपुर जिला पेट्रोल डीजल बढ़ते दामों को लेकर हमेशा ही सुर्खियों में बना रहा, परंतु छत्तीसगढ़ सीमा से लगे अनूपपुर जिले वासी आज भी पेट्रोल-डीजल लेने के लिए छत्तीसगढ़ का रुख करते हैं. छत्तीसगढ़ का खोगा पानी पेट्रोल पंप जिलेवासियों के लिए 5 किमी दूर पड़ता है, लेकिन तेल की कीमतों में यहां भी 10 रुपये प्रति लीटर का फर्क आता है.अनूपपुर निवासी तेल की कम कीमतों के लिए छत्तीसगढ़ सरकार को बधाई देते हुए कहते हैं कि मध्य प्रदेश में पेट्रोल-डीजल (petrol-diesel) के दाम बहुत हैं, हम लोग हमेशा ही से अनूपपुर जिले से लगे राजनगर सी सेक्टर, पौराधार, झीमर, आमडाड के लोग ईंधन तेल लेने छत्तीसगढ़ आते हैं.

एमपी से गुजरात जाते हैं लोग

एमपी से लोग गुजरात जा रहें पेट्रोल-डीजल भरवाने

प्रदेश से सटे पड़ोसी राज्य गुजरात की भी वहीं कहानी है, यहां तेल की कीमतें सौ के आंकड़े से नीचे है. ऐसे में मध्य प्रदेश से लोग सस्ता पेट्रोल-डीजल लेने की जुगत में गुजरात आते हैं. एमपी से सटे गुजरात के दाहोद जिले से लोग तेल भरवाते हैं. इंदौर-अहमदाबाद राष्ट्रीय राजमार्ग पर दाहोद जिले के जलाद गांव में स्थित पेट्रोल पंप पर गुजरातवासियों से ज्यादा मध्य प्रदेश के लोग पेट्रोल-डीजल भरवाने आते हैं. पेट्रोल पंप मालिक सुनीलभाई के मुताबिक, दाहोद जिले में मध्यप्रदेश की तुलना में पेट्रोल 12 रुपये और डीजल औसतन 2 रुपये सस्ता है. नतीजतन उनके पेट्रोल पंप पर ग्राहकों की संख्या में 10 प्रतिशत की वृद्धि हुई है.

एमपी में पड़ोसी राज्यों से तेल महंगा क्यों

मध्यप्रदेश में अभी भी सीमावर्ती तीन राज्यों से महंगा पेट्रोल बिक रहा है. केंद्र सरकार की घोषणा के पहले मध्य प्रदेश सरकार पेट्रोल पर 33% वैट ले रही थी और 4 रुपए 50 पैसे जो एडिशनल टैक्स (Additional tax on petrol) कहलाता है, इसके साथ 1% सेस अलग से. वहीं डीजल पर पहले 23 % वैट था. डीजल पर 3 रुपये प्रति लीटर एडिशनल टैक्स और 1% सेस और लिया जाता था.

गजब है तेल का खेल

तेल के खेल में बीजेपी ने ऐसी गुगली डाली, जिसमें विपक्ष उलझ गया. दिवाली से पहले तक विपक्ष मोदी सरकार पर पेट्रोल और डीजल की कीमतों को लेकर हमलावर थी, अब भारतीय जनता पार्टी गैर बीजेपी शासित राज्यों में वैट (VAT) में कमी करने के लिए प्रदर्शन कर रही है. कांग्रेस और अन्य दल डीजल-पेट्रोल की कीमतों पर हमलावर होने के बजाय वैट की लड़ाई में सफाई दे रहे हैं.तमाम विश्लेषणों के बाद भी लोगों में संदेश जा रहा था कि पेट्रोल और डीजल की कीमत केंद्र सरकार के भारी-भरकम टैक्स के कारण आसमान छू रही है. इसमें राज्यों की तरफ से वसूला जाने वाला वैट कहीं खो गया था. बीजेपी शासित राज्यों ने पेट्रोल और डीजल पर वैट कम कर लोगों का गुस्सा कम करने की कोशिश की, साथ ही गैर बीजेपी शासित राज्यों की सरकारों कठघरे में ले आई.मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ईंधन की कीमतों में वृद्धि को लेकर बहुत मुखर थीं, लेकिन जैसे ही दिवाली पर केंद्र सरकार ने उत्पाद शुल्क कम किया, टीएमसी चुप हो गई. राहुल गांधी भी खामोश हो गए. महाराष्ट्र सरकार में बैठी शिवसेना वैट कम करने के लिए मुआवजे की मांग करने लगे. यानी दो ही दिनों में बीजेपी ने एक चाल से पासा पलट दिया.

VAT के बहाने मैसेज देने में कामयाब रही बीजेपी

एक्साइज ड्यूटी में कमी के बाद बीजेपी और एनडीए शासित राज्यों ने वैट कम कर दिया. कांग्रेस और गैर बीजेपी शासित राज्यों ने वैट कम करने से मना कर दिया. इसके बाद राज्यों में लगने वाले वैट पर जिस तरह चर्चा हुई, उससे बीजेपी ने इस संदेश को साफ कर दिया कि राज्य सरकारें भी पेट्रोल-डीजल का रेट अपने स्तर से कम कर सकती है. साथ ही, पेट्रोल और डीजल ने सिर्फ केंद्र सरकार का नहीं बल्कि राज्यों का खजाना भरता है.

सतना/अनूपपुर/दाहोद(गुजरात)। देश की राजनीति में तेल की कीमत (oil price) हमेशा एक ज्वलंत मुद्दा रही है. एकबार फिर तेल के दामों को लेकर केंद्र सरकार, बीजेपी शासित सरकार और विपक्ष आमने-सामने है. केंद्र ने तेल के दाम पर एक्साइज ड्यूटी घटाई, जिसके बाद राज्यों ने भी वैट घटाकर लोगों को राहत दी. एमपी सरकार भी इस बात पर अपनी पीठ थपथपा रही है, कि उन्होंने दाम कर लोगों को बड़ी राहत दी है. लेकिन बड़ी बात ये है कि प्रदेश से सटे तीन पड़ोसी राज्यों में तेल मध्य प्रदेश से सस्ता बिक रहा है. जिसके कारण लोग दूसरे राज्य जाकर पेट्रोल-डीजल (petrol-diesel) भरवाते हैं.

यूपी से तेल लेते हैं एमपी के लोग

उत्तर प्रदेश से तेल भरवाते हैं एमपी वासी

बढ़ती महंगाई के बीच अगर आम आदमी के चंद रुपये भी बचते हैं, तो वो राहत महसूस करता है. कुछ ऐसा ही है, सतना से सटे चित्रकूट में. भौगोलिक दृष्टिकोण से चित्रकूट मध्यप्रदेश और उत्तरप्रदेश दोनों सीमाओं पर बसता है, यूपी का हिस्सा कम तो एमपी का हिस्सा ज्यादा है. और महज 5 किलोमीटर की दूरी पर पेट्रोल-डीजल की कीमतों में करीब 10 रुपए का अंतर है. यूपी के हिस्से के पेट्रोल पम्पों में पेट्रोल 99.74 रुपये प्रति लीटर और डीजल 82.53 रुपये प्रति लीटर बिक रहा है, जबकि मध्य प्रदेश में पेट्रोल 109.52रुपये और डीजल 92.98 रुपये प्रति लीटर बिक रहा है. महज 5 किमी की दूरी पर 10 रुपये के अंतर ने मध्यप्रदेश के पेट्रोल पम्प का भट्ठा बिठा दिया है. एमपी की सरहद का एक मात्र पेट्रोल पम्प घाटे में होने की वजह से बंद हो गया. अब चित्रकूट के लोग यूपी के सीतापुर, रानीपुर (चित्रकूट यूपी) पेट्रोल-डीजल भराने के लिए जाते हैं.

छत्तीसगढ़ में तेल सस्ता

छत्तीसगढ़ सीमा पार कर लोग पहुंचते हैं सस्ता पेट्रोल लेने
मध्य प्रदेश अनूपपुर जिला पेट्रोल डीजल बढ़ते दामों को लेकर हमेशा ही सुर्खियों में बना रहा, परंतु छत्तीसगढ़ सीमा से लगे अनूपपुर जिले वासी आज भी पेट्रोल-डीजल लेने के लिए छत्तीसगढ़ का रुख करते हैं. छत्तीसगढ़ का खोगा पानी पेट्रोल पंप जिलेवासियों के लिए 5 किमी दूर पड़ता है, लेकिन तेल की कीमतों में यहां भी 10 रुपये प्रति लीटर का फर्क आता है.अनूपपुर निवासी तेल की कम कीमतों के लिए छत्तीसगढ़ सरकार को बधाई देते हुए कहते हैं कि मध्य प्रदेश में पेट्रोल-डीजल (petrol-diesel) के दाम बहुत हैं, हम लोग हमेशा ही से अनूपपुर जिले से लगे राजनगर सी सेक्टर, पौराधार, झीमर, आमडाड के लोग ईंधन तेल लेने छत्तीसगढ़ आते हैं.

एमपी से गुजरात जाते हैं लोग

एमपी से लोग गुजरात जा रहें पेट्रोल-डीजल भरवाने

प्रदेश से सटे पड़ोसी राज्य गुजरात की भी वहीं कहानी है, यहां तेल की कीमतें सौ के आंकड़े से नीचे है. ऐसे में मध्य प्रदेश से लोग सस्ता पेट्रोल-डीजल लेने की जुगत में गुजरात आते हैं. एमपी से सटे गुजरात के दाहोद जिले से लोग तेल भरवाते हैं. इंदौर-अहमदाबाद राष्ट्रीय राजमार्ग पर दाहोद जिले के जलाद गांव में स्थित पेट्रोल पंप पर गुजरातवासियों से ज्यादा मध्य प्रदेश के लोग पेट्रोल-डीजल भरवाने आते हैं. पेट्रोल पंप मालिक सुनीलभाई के मुताबिक, दाहोद जिले में मध्यप्रदेश की तुलना में पेट्रोल 12 रुपये और डीजल औसतन 2 रुपये सस्ता है. नतीजतन उनके पेट्रोल पंप पर ग्राहकों की संख्या में 10 प्रतिशत की वृद्धि हुई है.

एमपी में पड़ोसी राज्यों से तेल महंगा क्यों

मध्यप्रदेश में अभी भी सीमावर्ती तीन राज्यों से महंगा पेट्रोल बिक रहा है. केंद्र सरकार की घोषणा के पहले मध्य प्रदेश सरकार पेट्रोल पर 33% वैट ले रही थी और 4 रुपए 50 पैसे जो एडिशनल टैक्स (Additional tax on petrol) कहलाता है, इसके साथ 1% सेस अलग से. वहीं डीजल पर पहले 23 % वैट था. डीजल पर 3 रुपये प्रति लीटर एडिशनल टैक्स और 1% सेस और लिया जाता था.

गजब है तेल का खेल

तेल के खेल में बीजेपी ने ऐसी गुगली डाली, जिसमें विपक्ष उलझ गया. दिवाली से पहले तक विपक्ष मोदी सरकार पर पेट्रोल और डीजल की कीमतों को लेकर हमलावर थी, अब भारतीय जनता पार्टी गैर बीजेपी शासित राज्यों में वैट (VAT) में कमी करने के लिए प्रदर्शन कर रही है. कांग्रेस और अन्य दल डीजल-पेट्रोल की कीमतों पर हमलावर होने के बजाय वैट की लड़ाई में सफाई दे रहे हैं.तमाम विश्लेषणों के बाद भी लोगों में संदेश जा रहा था कि पेट्रोल और डीजल की कीमत केंद्र सरकार के भारी-भरकम टैक्स के कारण आसमान छू रही है. इसमें राज्यों की तरफ से वसूला जाने वाला वैट कहीं खो गया था. बीजेपी शासित राज्यों ने पेट्रोल और डीजल पर वैट कम कर लोगों का गुस्सा कम करने की कोशिश की, साथ ही गैर बीजेपी शासित राज्यों की सरकारों कठघरे में ले आई.मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ईंधन की कीमतों में वृद्धि को लेकर बहुत मुखर थीं, लेकिन जैसे ही दिवाली पर केंद्र सरकार ने उत्पाद शुल्क कम किया, टीएमसी चुप हो गई. राहुल गांधी भी खामोश हो गए. महाराष्ट्र सरकार में बैठी शिवसेना वैट कम करने के लिए मुआवजे की मांग करने लगे. यानी दो ही दिनों में बीजेपी ने एक चाल से पासा पलट दिया.

VAT के बहाने मैसेज देने में कामयाब रही बीजेपी

एक्साइज ड्यूटी में कमी के बाद बीजेपी और एनडीए शासित राज्यों ने वैट कम कर दिया. कांग्रेस और गैर बीजेपी शासित राज्यों ने वैट कम करने से मना कर दिया. इसके बाद राज्यों में लगने वाले वैट पर जिस तरह चर्चा हुई, उससे बीजेपी ने इस संदेश को साफ कर दिया कि राज्य सरकारें भी पेट्रोल-डीजल का रेट अपने स्तर से कम कर सकती है. साथ ही, पेट्रोल और डीजल ने सिर्फ केंद्र सरकार का नहीं बल्कि राज्यों का खजाना भरता है.

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