सतना। विंध्य क्षेत्र की महत्वपूर्ण विधानसभा सीटों में से एक सतना सीट है. वर्तमान समय में इस विधानसभा सीट के विधायक कांग्रेस पार्टी के सिद्धार्थ सुखलाल कुशवाहा है, जिन्होंने वर्ष 2018 में बीजेपी के शंकरलाल तिवारी को हराकर जीत का परचम लहराया था और इसके बाद कांग्रेस की सरकार मध्यप्रदेश में बनी थी, लेकिन यह सरकार 15 महीनों तक ही रह सकी. सतना विधानसभा सीट के सन 1957 में सबसे पहले विधायक कांग्रेस पार्टी से में शिवानंद रहे और शिवानंद विधानसभा अध्यक्ष भी रहे.
विधानसभा क्षेत्र की प्रमुख मुद्दे: सतना विधानसभा क्षेत्र में अगर हम चुनावी मुद्दे की बात करें तो यहां पर समस्या बिजली, पानी, सड़क के साथ रोजगार अपने आप में एक बड़ी समस्या है, क्योंकि सतना विधानसभा क्षेत्र में पांच बड़ी सीमेंट फैक्ट्री है लेकिन उसके बावजूद भी यहां के लोगों को रोजगार से वंचित हैं. चुनावी मुद्दे में रोजगार सबसे बड़ी समस्या सामने आती है, इसके अलावा विगत 18 वर्षों की बीजेपी सरकार इन दिनों बिजली और पानी लोगों को दिग्गी राजा सरकार की याद दिला रही है.
विधानसभा क्षेत्र में मतदाता संख्या: सतना जिले में सात विधानसभा सीट हैं. सतना विधानसभा क्षेत्र में 1 लाख 24 हजार 101 पुरूष, 1 लाख 13 हजार 489 महिला और 13 थर्ड जेण्डर मिलाकर 2 लाख 37 हजार 603 मतदाता हैं, यहां का जेण्डर रेशियों सर्वाधिक 914.50 है.
2018 विधानसभा चुनाव: 2018 में विधानसभा चुनाव में कांग्रेस प्रत्याशी सिद्धार्थ सुखलाल कुशवाहा ने भाजपा के शंकरलाल तिवारी को 12 हजार 558 वोटों से हराया, सिद्धार्थ सुखलाल कुशवाहा को 60 हजार 105 वोट और शंकरलाल तिवारी को 47 हजार 547 वोट मिले.
पिछले 3 विधानसभा चुनाव: 2008 में शंकर लाल तिवारी भारतीय जनता पार्टी से विधायक चुने गए, उन्होंने कांग्रेस पार्टी से सईद अहमद को हराया था, इस चुनाव में शंकरलाल तिवारी को 38 हजार 682 वोट मिले थे, तो वहीं सईद अहमद को 27 हजार 882 वोट मिले थे. शंकरलाल तिवारी ने 10 हजार 800 वोटों से जीत हासिल की थी. इसके बाद सन् 2013 में शंकर लाल तिवारी भारतीय जनता पार्टी से फिर विधायक चुने गए, उन्होंने कांग्रेस पार्टी के राजाराम त्रिपाठी को 15 हजार 332 वोटों से हराया. इस चुनाव में शंकरलाल तिवारी को 56 हजार 160 वोट मिले थे. इसके बाद सन 2018 में कांग्रेस पार्टी से सिद्धार्थ सुखलाल कुशवाहा ने बीजेपी के शंकरलाल को हारकर जीत दर्ज की.
बीजेपी के पूर्व विधायक से बातचीत: भारतीय जनता पार्टी के पूर्व विधायक शंकरलाल तिवारी का कहना है कि आगामी 2023 की चुनाव की तैयारी सरकार के द्वारा की जा रही है और सरकार की योजनाओं को आम जनता तक ले जाने का कार्य कर रहे हैं, जनता के सतत संपर्क में बने हुए हैं, ताकि जनता को शासन की योजनाओं का लाभ मिल सके, इसके अलावा वर्तमान कांग्रेस विधायक सिद्धार्थ सुखलाल कुशवाहा के कार्यकाल के 5 वर्ष पूरे होने जा रहे हैं और इस दौरान चाहे विकास की बात हो, चाहे जनहित की बात हो, इस बीच सतना का बहुत बड़ा नुकसान हुआ है.
महाविद्यालय की मांग: शंकरलाल तिवारी का कहना है कि आगामी चुनाव में हमारे चुनावी मुद्दे शिक्षा पहली प्राथमिकता होगी कि सतना विधानसभा क्षेत्र में एजुकेशन के लिए दो महाविद्यालय और एक एग्रीकल्चर महाविद्यालय की बेहद आवश्यकता है, जिसके लिए हमारा पूरा प्रयास रहेगा कि यहां के बच्चों को शिक्षा की अच्छी सुविधा मिल सके, इसके अलावा सतना स्मार्ट सिटी के अंतर्गत एक सुपर स्पेशलिटी अस्पताल और महिला चिकित्सालय बनाने के लिए हमारा प्रयास रहेगा, इसके साथ ही लाडली बहना योजना की राशि बढ़ाई जाएगी, जिससे सरकार पर जनता भरोसा प्राप्त होगा।
सतना विधानसभा क्षेत्र के विधायक
1957 से 1972: सतना विधानसभा सीट के सन 1957 में सबसे पहले विधायक कांग्रेस पार्टी से में शिवानंद रहे, और शिवानंद विधानसभा अध्यक्ष भी रहे, उसके बाद सन 1962 में दादा सुखेंद्र सिंह भारतीय जनसंघ पार्टी से विधायक रहे, सन 1967 में कांताबेन पारेख कांग्रेस पार्टी के विधायक रहे, वही सन 1972 में कांता बेन पारेख दोबारा विधायक बने.
1977 से 1985: इसके बाद सन् 1977 में अरुण सिंह कांग्रेस पार्टी से विधायक चुने गए, उन्होंने जनसंघ पार्टी से हुकुमचंद को हराया था, इस चुनाव में हुकुमचंद को 20,281 वोट मिले थे, तो वही अरुण सिंह को 20,901 वोट मिले थे, और अरुण सिंह ने 620 वोटों से जीत हासिल की थी.
1980 में लालता प्रसाद खरे कांग्रेस पार्टी से विधायक चुने गए, उन्होंने जनसंघ पार्टी के मुरलीधर शर्मा को हराया था, इस चुनाव में हुकुमचंद को 8,604 वोट मिले थे, तो वही लालता प्रसाद खरे को 24,352 वोट मिले थे, और लालता प्रसाद खरे ने 15,748 वोटों से जीत हासिल की थी इसके बाद वह पुनः सन् 1985 में कांग्रेस पार्टी से विधायक चुने गए.
इसके बाद सन् 1990 में बृजेंद्र नाथ पाठक भारतीय जनता पार्टी से विधायक चुने गए, उन्होंने कांग्रेस पार्टी से लालता प्रसाद खरे को हराया था, इस चुनाव में बृजेंद्र नाथ पाठक को 32,514 वोट मिले थे, तो वही लालता प्रसाद खरे को 26,605 वोट मिले थे, और बृजेंद्र नाथ पाठक ने 5,909 वोटों से जीत हासिल की थी। इसके बाद उन्हें पुनः सन 1993 में बृजेंद्र नाथ पाठक विधायक बने.
शंकर लाल तिवारी की एंट्री: इसके बाद सन् 1998 में सईद अहमद कांग्रेस पार्टी से विधायक चुने गए, उन्होंने भारतीय जनता पार्टी से शंकर लाल तिवारी को हराया था, इस चुनाव में सईद अहमद को 33,408 वोट मिले थे, तो वही शंकरलाल तिवारी को 30,983 वोट मिले थे, और सईद अहमद ने 2,425 वोटों से जीत हासिल की थी.
इसके बाद सन् 2003 में शंकर लाल तिवारी भारतीय जनता पार्टी से विधायक चुने गए, उन्होंने कांग्रेस पार्टी से सईद अहमद को हराया था, इस चुनाव में शंकरलाल तिवारी को 58,845 वोट मिले थे, तो वही सईद अहमद को 31,690 वोट मिले थे, और शंकरलाल तिवारी ने 20,155 वोटों से जीत हासिल की थी.