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सतना की स्वप्निल बनीं इसरो में साइंटिस्ट, प्रदेश का बढ़ाया मान - satna news

जिस इसरो की कामयाबी का डंका पूरी दुनिया में बज रहा है. उसी इसरो फैमली का मध्यप्रदेश की बेटी हिस्सा बन गई हैं. सतना जिले के गोरैया गांव की रहने वाली स्वप्निल सिंह का इसरो में वैज्ञानिक पद पर चयन हुआ है.

सतना की बेटी स्वप्निल बनीं इसरो में साइंटिस्ट
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Published : Jul 28, 2019, 10:58 PM IST

Updated : Jul 28, 2019, 11:41 PM IST

सतना। हिंदुस्तान का चंद्रयान-2 जल्द ही चांद की सतह पर कदम रखने वाला है, इसरो की इस कामयाबी पर भारत की क्षमता का लोहा पूरी दुनिया मान रही है. चंद्रयान-2 के रवाना होने के साथ ही पूरी दुनिया से भारत और इसरो को खूब बधाई मिली, उसी इसरो में चयनित होकर सतना की बेटी स्वप्निल ने प्रदेश का मान बढ़ाया है. जिसका चयन इसरो में बतौर वैज्ञानिक हुआ हैं.

सतना की बेटी स्वप्निल बनी इसरो में साइंटिस्ट

स्वप्निल की बचपन में खुले आसमान के नीचे लेट कर तारे गिनने की आदत कब रूचि में तब्दील हो गई. स्वप्निल बताती है कि विज्ञान में रूचि कक्षा पांच से ही से शुरू हो गई थी. तारामंडल के रहस्य को जानने के लिए किताबें पढ़नी शुरू की. स्कूल में शिक्षिकों से सवाल पूछने शुरू किये तो शिक्षक किताब ही भेट कर दिया करते थे.

स्वप्निल बेंगलुरु स्थिति यू .आर.राव सेटेलाइट सेंटर में साइंटिस्ट पद पर सेलेक्ट हुई हैं. इस सेंटर में जितनी भी सैटेलाइट बनती है उनको बनाने में और उनकी टेंस्टिंग में स्वप्निल अपना हाथ बटाएगी.गांव से लेकर अंतरिक्ष का सफर करने वाली स्वप्निल के सपना पूरे होने से पूरा परिवार गौरवान्वित महसूस कर रहा है.चंद्रयान-2 के सफलतापूर्वक प्रक्षेपण के बाद इसरो की कामयाबी का डंका पूरी दुनिया में बज रहा है. उसी इसरो का हस्सा बनना अपने आप में गर्व की बात है.

सतना। हिंदुस्तान का चंद्रयान-2 जल्द ही चांद की सतह पर कदम रखने वाला है, इसरो की इस कामयाबी पर भारत की क्षमता का लोहा पूरी दुनिया मान रही है. चंद्रयान-2 के रवाना होने के साथ ही पूरी दुनिया से भारत और इसरो को खूब बधाई मिली, उसी इसरो में चयनित होकर सतना की बेटी स्वप्निल ने प्रदेश का मान बढ़ाया है. जिसका चयन इसरो में बतौर वैज्ञानिक हुआ हैं.

सतना की बेटी स्वप्निल बनी इसरो में साइंटिस्ट

स्वप्निल की बचपन में खुले आसमान के नीचे लेट कर तारे गिनने की आदत कब रूचि में तब्दील हो गई. स्वप्निल बताती है कि विज्ञान में रूचि कक्षा पांच से ही से शुरू हो गई थी. तारामंडल के रहस्य को जानने के लिए किताबें पढ़नी शुरू की. स्कूल में शिक्षिकों से सवाल पूछने शुरू किये तो शिक्षक किताब ही भेट कर दिया करते थे.

स्वप्निल बेंगलुरु स्थिति यू .आर.राव सेटेलाइट सेंटर में साइंटिस्ट पद पर सेलेक्ट हुई हैं. इस सेंटर में जितनी भी सैटेलाइट बनती है उनको बनाने में और उनकी टेंस्टिंग में स्वप्निल अपना हाथ बटाएगी.गांव से लेकर अंतरिक्ष का सफर करने वाली स्वप्निल के सपना पूरे होने से पूरा परिवार गौरवान्वित महसूस कर रहा है.चंद्रयान-2 के सफलतापूर्वक प्रक्षेपण के बाद इसरो की कामयाबी का डंका पूरी दुनिया में बज रहा है. उसी इसरो का हस्सा बनना अपने आप में गर्व की बात है.

Intro:"सतना की बेटी बनी इसरो में साइंटिस्ट"
"अंतरिक्ष में तारामंडल से खेलेगी"

एंकर इंट्रो --
बचपन में जिंदा रहे हो खोए टकटकी लगाकर उन्हें देखती रहती थी । अंतरिक्ष के तारों के साथ खेलेगी । जी हां सतना के एक बेटी स्वप्निल सिंह इसरो के साइंटिस्ट बन गई है मैं बेंगलुरु यू आर राव सेटेलाइट सेंटर में काम करेगी । सतना की होनहार लाडो खगोल शास्त्र में अब वैज्ञानिक पद पर इसरो में सेवाएं देगी । और सौरमंडल में तारों का अनुसंधान करेगी ।


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कहते हैं मन में जज्बा रखो अगर कुछ कर दिखाने का तो वह अवश्य पूरा होता है । ऐसा ही एक सतना जिले का बात हैं ।
सतना जिले के गोरैया गांव निवासी स्वप्निल सिंह ने आसमान में उड़ान भरी है । सतना के इस होनहार लाडो का चयन वैज्ञानिक के रूप में हुआ है । जो अंतरिक्ष के तारामंडल पर शोध करेगी । बचपन में स्टार गिनने वाली अब तारों से खेलेगी । बचपन में हम आपने कई मर्तबा खुले आसमान के नीचे बैठे या फिर लेते हुए तारों को गिनने और उनके रहस्य को जानने का प्रयास किया होगा। लेकिन कभी कामयाब नहीं हो पाए । एक ऐसे ही जिले के रामपुर बघेलान ब्लॉक के छोटे से गांव गोरैया के रहने वाली 30 वर्षीय स्वप्निल सिंह बचपन में तारे गिनने वाली अब तारों से खेलेगी और उनके रहस्यों को भी सुलझयगी । स्वप्निल ऐश्वर्या बेंगलुरु स्थिति यू आर राव सेटेलाइट सेंटर में साइंटिस्ट पद पर सेलेक्ट हुए हैं । अमो सैटेलाइट को बनाने में हाथ बटाएगी ।

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इस बारे में स्वप्निल ने बताया कि वो बचपन में रात को जब बिक्री होने पर खुले आसमान के नीचे सोती थी तो तारों के रहस्य को देखती थी । और उसके मन में सवालों की झड़ी उठती थी । स्कूल में यह सवाल शिक्षकों से भी करती थी । ऐसे में शिक्षक किताबें भेटकर सवालों से बचते थे । साला का चक्कर बदला किताबें पढ़ते पढ़ते होनहार बेटी अब अंतरिक्ष के रहस्य को सुलझाने में आगे आ चुकी ।गांव से सेटेलाइट सेंटर का सफर करने वाली स्वप्निल के पापा बृजेंद्र प्रताप सिंह कर्नल है तो माता शशी सिंह आर्मी स्कूल में टीचर हैं । दादी और चाचा चाची गांव में ही रहते हैं जबकि बुआ गांव में टीचर । पापा के जहां पोस्टिंग होती स्वप्निल का एडमिशन वही हो जाता । स्वप्निल के प्रारंभिक शिक्षा लखनऊ के आर्मी स्कूल से हुई । इस तरह देश के 12 शहरों में स्वप्निल की स्कूलिंग हुई । साइंस सब्जेक्ट से इंटरमीडिएट करने के बाद अपने सपनों को साकार करने के लिए स्वप्निल ने जेईई मेंस एडवांस के जरिए त्रिवेंद्रम (केरल) के इंडियन इंस्टीट्यूट आफ स्पेस साइंस एंड टेक्नोलॉजी में दाखिला लिया । बाद में स्वप्निल ने इसी से संस्थान से खोगोल विज्ञान से पोस्ट ग्रेजुएशन भी कंप्लीट किया ।पोस्ट ग्रेजुएशन करने के दरमियान ही उन्होंने माउंट आबू कोडईकोनल (तमिलनाडु)जीएम आर्टी पुणे रेडियो टेलिस्कोप में इंटर्नशिप किया ।टेलिस्कोप के माध्यम से जब उन्होंने तारो को नाज़िदक से देखा । तो महसूस किया यही उसका लक्ष्य हैं ।खोगोल विज्ञान के 31 विद्यार्थियों को मिलाकर कुल 110 प्रतिभागियों का इसरो ने इंटरव्यू लिया ।जिसमे खोगोल विज्ञान के 31 विद्यार्थियों में से स्वप्निल दूसरे स्थान पर रही ।इस तरह उन्हें इसरों ने यू आर राव सेटेलाइट सेंटर के लिए बतौर साइंटिस्ट चुना ।स्वप्निल का सपना है कि शौर्य मंडल के रहस्यों को सुलझाय।

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स्वप्निल के आइडल देश के परमाणु ताकत देने वाले वैज्ञानिक और पूर्व राष्ट्रपति एपीजे अब्दुल कलाम और उनके पैरेंट्स है । स्वप्निल को कलाम के सूत्र वाक्य जितने सवाल पूछना है पूछो.. और जो नहीं आते हैं उन्हें खोजो बेहद प्रभावित किया । पिछले साल जून में पढ़ाई के दौरान यू आर राव सैटेलाइट सेंटर बेंगलुरु जाने का मौका मिला वहीं चंद्रयान-2 की तैयारी चल रही थी । उन्होंने तभी ठान लिया था कि इस सेंटर का हिस्सा बनकर रहेगी । स्वप्निल क्लच इसरो में ज्यादा से ज्यादा योगदान देना और खगोल विज्ञान पर पीएचडी करना है । इसके लिए उन्होंने थीसिस लिखना भी शुरू कर दिया। सपना के इस सफलता से परिवार के हर सदस्य गौरवान्वित महसूस कर रहा है ।

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स्वप्निल सिंह -- साइंटिस्ट इसरो ।
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शशी प्रभा सिंह -- स्वप्निल की बुआ ।



Conclusion:vo 4--
बहरहाल स्वप्निल का सपना साकार होता नजर आ रहा जिसे बचपन में देख अबूझ पहेली मानती थी। अब हो उस रहस्य को जानने की ठानी हैं ।
Last Updated : Jul 28, 2019, 11:41 PM IST
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