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आस्था का प्रतीक 'चित्रकूट धाम', सतयुग में श्रीराम ने धरे थे यहां पांव - chitrakoot dham

मध्यप्रदेश की सीमा से लगा उत्तर प्रदेश का 'चित्रकूट धाम' न सिर्फ आस्था का प्रतीक है बल्कि अपनी नैसर्गिक सुंदरता के लिए भी जाना जाता है.

आस्था का प्रतीक 'चित्रकूट धाम'
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Published : Sep 26, 2019, 11:14 AM IST

Updated : Sep 26, 2019, 3:16 PM IST

सतना। भारतीय आस्था और धर्म के प्रतीकों में प्राचीन धार्मिक स्थलों की लंबी कतार है. उन्हीं धार्मिक स्थलों में एक ऐसा तीर्थ स्थल है, जहां भगवान राम का 84 कोशीय तपोवन क्षेत्र है. बात हो रही है 'चित्रकूट धाम' की. मध्य प्रदेश के बॉर्डर से लगे उत्तर प्रदेश के चित्रकूट की नैसर्गिक सुंदरता ईश्वर की अनुपम देन है, जो बरबस ही लोगों का मन मोह लेती है. विंध्य पर्वत और वनों से घिरा चित्रकूट कई घाटों और मंदिरों के लिए प्रसिद्ध है, जिस वजह से सालभर यहां श्रद्धालुओं का तांता लगा रहता है.

आस्था का प्रतीक 'चित्रकूट धाम'


चित्रकूट मध्य प्रदेश और उत्तर प्रदेश में 38.2 वर्ग किलोमीटर में फैला हुआ है. यहां की शांति और नैसर्गिक सुंदरता श्रद्धालुओं का मन मोह लेती है. चित्रकूट को 'अनेक आचार्यों की पहाड़ी' भी कहा जाता है. चित्रकूट धाम में पांच गांव कर्वी, सीतापुर, कामता, कोहनी और नयागांव का संगम है. भारत के प्रमुख तीर्थ स्थलों में चित्रकूट को भी प्रमुख माना जाता है.


कई कथाएं हैं प्रचलित
⦁ चित्रकूट 'चित्र+कूट' शब्दों के मेल से बना है. संस्कृत में चित्र का अर्थ अशोक और ऊंट का अर्थ शिखर या चोटी होता है. कहा जाता है कि इस वन में अशोक के पेड़ ज्यादा थे, इसलिए इसका नाम चित्रकूट पड़ा.
⦁ लोगों का मानना है कि भगवान राम देवी सीता और छोटे भाई लक्ष्मण के साथ चित्रकूट के घने जंगलों में वनवास के दौरान साढ़े ग्यारह साल ठहरे थे.
⦁ वहीं ये भगवान राम का 84 कोशीय तपोवन क्षेत्र भी है. माना जाता है कि ब्रह्मा, विष्णु और महेश ने चित्रकूट में ही सती अनुसुईया के घर में जन्म लिया था.
⦁ यहां ही ऋषि अत्री और सती अनुसुइया ने ध्यान भी लगाया था.
⦁ श्रद्धालुओं का मानना है कि वनवास के दौरान कामदगिरि पर्वत पर भगवान राम, सीता और लक्ष्मण रहते थे.


चित्रकूट के सुंदर ऊंचे-ऊंचे पर्वत, कल-कल बहते झरने, घने जंगल, चहकते पक्षियों की आवाज और बहती नदियां श्रद्धालुओं को नैसर्गिक सुंदरता से बांधे रखती है.

मंदाकिनी के तट पर रामघाट
मंदाकिनी नदी के तट पर बना रामघाट घाट वह घाट है, जहां प्रभु श्री राम स्नान किया करते थे. इस घाट पर गोस्वामी तुलसीदास जी की प्रतिमा भी है. रामघाट में गेरुआ वस्त्र धारण किए साधु-संतों की भजनों की कड़ी लगातार चलती रहती है. वहीं घाट में अनेक धार्मिक आयोजन होते रहते हैं.


जानकी कुंड
रामघाट से 2 किलोमीटर की दूरी पर है जानकी कुंड. माना जाता है कि माता सीता यहां स्नान करती थी. जानकी कुंड के समीप ही राम-जानकी रघुवीर मंदिर और संकट मोचन मंदिर भी है.


स्फटिक शिला
मंदाकिनी नदी के किनारे जानकीकुंड से कुछ ही दूरी पर स्थित है स्फटिक शिला. जहां शिला में देवी सीता के पैरों के निशान हैं.


सती अनुसुइया अत्री आश्रम
चित्रकूट में सती अनुसुइया अत्री आश्रम है, जहां अत्रि मुनि, सती अनुसुइया, दत्तात्रेय और दुर्वासा मुनि की प्रतिमा स्थापित है.


गुप्त गोदावरी की गुफाएं
चित्रकूट में गुप्त गोदावरी है, जहां दो गुफाएं हैं. पहली गुफा चौड़ी और ऊंची है. इस गुफा का प्रवेश द्वार संकरा होने के कारण इसमें आसानी से नहीं जा सकते हैं. गुफा के अंत में एक छोटा तालाब है, जिसे गोदावरी नदी कहा जाता है. दूसरी गुफा लंबी और संकरी है, जिसमें हमेशा पानी बहता रहता है. कहा जाता है कि इस गुफा के अंत में राम और लक्ष्मण ने दरबार लगाया था.


हनुमान धारा
पहाड़ी के शिखर पर स्थित हनुमान धारा जहां भगवान हनुमान की एक विशाल मूर्ति है. मूर्ति के सामने झरने से तालाब में पानी गिरता है. कहा जाता है कि लंका दहन के बाद आए हनुमान के आने पर ये धारा भगवान राम हनुमान के आराम के लिए बनवाई थी. यहां से चित्रकूट का सुंदर दृश्य भी देखा जा सकता है.


भरतकूप
ऐसा माना जाता है कि भगवान राम के राज्याभिषेक के लिए भरत ने अत्रि मुनि के परामर्श पर, भारत की सभी नदियों से जल एकत्रित कर जल एक कूप में रख दिया था. इसी कूप को भरतकूप के नाम से जाना जाता है. भगवान राम को समर्पित यहां एक मंदिर भी है.


चित्रकूट की महत्ता का वर्णन पुराणों में संत तुलसीदास, वेदव्यास,कवि कालिदास आदि ने अपनी कृतियों में किया है. मंदाकिनी नदी के किनारे बसा चित्रकूट धाम प्राचीन काल से ही भारत का सबसे प्रसिद्ध धार्मिक सांस्कृतिक स्थल रहा है. आज भी चित्रकूट की भूमि राम-लक्ष्मण और सीता के चरणों से अंकित है.


चित्रकूट में मंदाकिनी, पयस्वनी और सरयू 3 नदियां हैं, लेकिन वर्तमान में सिर्फ मंदाकिनी नदी शेष रह गई है. बाकी दो नदियां तालाब में तब्दील हो गई हैं. वहीं मंदाकिनी नदी यमुना की अंतिम नदी मानी जाती है.

सतना। भारतीय आस्था और धर्म के प्रतीकों में प्राचीन धार्मिक स्थलों की लंबी कतार है. उन्हीं धार्मिक स्थलों में एक ऐसा तीर्थ स्थल है, जहां भगवान राम का 84 कोशीय तपोवन क्षेत्र है. बात हो रही है 'चित्रकूट धाम' की. मध्य प्रदेश के बॉर्डर से लगे उत्तर प्रदेश के चित्रकूट की नैसर्गिक सुंदरता ईश्वर की अनुपम देन है, जो बरबस ही लोगों का मन मोह लेती है. विंध्य पर्वत और वनों से घिरा चित्रकूट कई घाटों और मंदिरों के लिए प्रसिद्ध है, जिस वजह से सालभर यहां श्रद्धालुओं का तांता लगा रहता है.

आस्था का प्रतीक 'चित्रकूट धाम'


चित्रकूट मध्य प्रदेश और उत्तर प्रदेश में 38.2 वर्ग किलोमीटर में फैला हुआ है. यहां की शांति और नैसर्गिक सुंदरता श्रद्धालुओं का मन मोह लेती है. चित्रकूट को 'अनेक आचार्यों की पहाड़ी' भी कहा जाता है. चित्रकूट धाम में पांच गांव कर्वी, सीतापुर, कामता, कोहनी और नयागांव का संगम है. भारत के प्रमुख तीर्थ स्थलों में चित्रकूट को भी प्रमुख माना जाता है.


कई कथाएं हैं प्रचलित
⦁ चित्रकूट 'चित्र+कूट' शब्दों के मेल से बना है. संस्कृत में चित्र का अर्थ अशोक और ऊंट का अर्थ शिखर या चोटी होता है. कहा जाता है कि इस वन में अशोक के पेड़ ज्यादा थे, इसलिए इसका नाम चित्रकूट पड़ा.
⦁ लोगों का मानना है कि भगवान राम देवी सीता और छोटे भाई लक्ष्मण के साथ चित्रकूट के घने जंगलों में वनवास के दौरान साढ़े ग्यारह साल ठहरे थे.
⦁ वहीं ये भगवान राम का 84 कोशीय तपोवन क्षेत्र भी है. माना जाता है कि ब्रह्मा, विष्णु और महेश ने चित्रकूट में ही सती अनुसुईया के घर में जन्म लिया था.
⦁ यहां ही ऋषि अत्री और सती अनुसुइया ने ध्यान भी लगाया था.
⦁ श्रद्धालुओं का मानना है कि वनवास के दौरान कामदगिरि पर्वत पर भगवान राम, सीता और लक्ष्मण रहते थे.


चित्रकूट के सुंदर ऊंचे-ऊंचे पर्वत, कल-कल बहते झरने, घने जंगल, चहकते पक्षियों की आवाज और बहती नदियां श्रद्धालुओं को नैसर्गिक सुंदरता से बांधे रखती है.

मंदाकिनी के तट पर रामघाट
मंदाकिनी नदी के तट पर बना रामघाट घाट वह घाट है, जहां प्रभु श्री राम स्नान किया करते थे. इस घाट पर गोस्वामी तुलसीदास जी की प्रतिमा भी है. रामघाट में गेरुआ वस्त्र धारण किए साधु-संतों की भजनों की कड़ी लगातार चलती रहती है. वहीं घाट में अनेक धार्मिक आयोजन होते रहते हैं.


जानकी कुंड
रामघाट से 2 किलोमीटर की दूरी पर है जानकी कुंड. माना जाता है कि माता सीता यहां स्नान करती थी. जानकी कुंड के समीप ही राम-जानकी रघुवीर मंदिर और संकट मोचन मंदिर भी है.


स्फटिक शिला
मंदाकिनी नदी के किनारे जानकीकुंड से कुछ ही दूरी पर स्थित है स्फटिक शिला. जहां शिला में देवी सीता के पैरों के निशान हैं.


सती अनुसुइया अत्री आश्रम
चित्रकूट में सती अनुसुइया अत्री आश्रम है, जहां अत्रि मुनि, सती अनुसुइया, दत्तात्रेय और दुर्वासा मुनि की प्रतिमा स्थापित है.


गुप्त गोदावरी की गुफाएं
चित्रकूट में गुप्त गोदावरी है, जहां दो गुफाएं हैं. पहली गुफा चौड़ी और ऊंची है. इस गुफा का प्रवेश द्वार संकरा होने के कारण इसमें आसानी से नहीं जा सकते हैं. गुफा के अंत में एक छोटा तालाब है, जिसे गोदावरी नदी कहा जाता है. दूसरी गुफा लंबी और संकरी है, जिसमें हमेशा पानी बहता रहता है. कहा जाता है कि इस गुफा के अंत में राम और लक्ष्मण ने दरबार लगाया था.


हनुमान धारा
पहाड़ी के शिखर पर स्थित हनुमान धारा जहां भगवान हनुमान की एक विशाल मूर्ति है. मूर्ति के सामने झरने से तालाब में पानी गिरता है. कहा जाता है कि लंका दहन के बाद आए हनुमान के आने पर ये धारा भगवान राम हनुमान के आराम के लिए बनवाई थी. यहां से चित्रकूट का सुंदर दृश्य भी देखा जा सकता है.


भरतकूप
ऐसा माना जाता है कि भगवान राम के राज्याभिषेक के लिए भरत ने अत्रि मुनि के परामर्श पर, भारत की सभी नदियों से जल एकत्रित कर जल एक कूप में रख दिया था. इसी कूप को भरतकूप के नाम से जाना जाता है. भगवान राम को समर्पित यहां एक मंदिर भी है.


चित्रकूट की महत्ता का वर्णन पुराणों में संत तुलसीदास, वेदव्यास,कवि कालिदास आदि ने अपनी कृतियों में किया है. मंदाकिनी नदी के किनारे बसा चित्रकूट धाम प्राचीन काल से ही भारत का सबसे प्रसिद्ध धार्मिक सांस्कृतिक स्थल रहा है. आज भी चित्रकूट की भूमि राम-लक्ष्मण और सीता के चरणों से अंकित है.


चित्रकूट में मंदाकिनी, पयस्वनी और सरयू 3 नदियां हैं, लेकिन वर्तमान में सिर्फ मंदाकिनी नदी शेष रह गई है. बाकी दो नदियां तालाब में तब्दील हो गई हैं. वहीं मंदाकिनी नदी यमुना की अंतिम नदी मानी जाती है.

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भारत के सबसे प्राचीन तीर्थ स्थलों में से एक स्थल चित्रकूट भी है. मध्य प्रदेश और उत्तर प्रदेश में 38.2 वर्ग किलोमीटर के क्षेत्र में फैला शांत और सुंदर चित्रकूट प्रकृति और ईश्वर की अनुपम देन है. चारों ओर से विंध्य पर्वत श्रंखलाओं और वनों से घिरे चित्रकूट को अनेक आचार्यों की पहाड़ी कहा जाता है. यहां अनेक घाट और मंदिर है जहां पूरे साल देशभर से श्रद्धालुओं का आना जाना लगा रहता है. यह भगवान राम की 84 कोशीय तपोवन क्षेत्र है. यहां पर भगवान श्री राम ने सीता और लक्ष्मण के साथ अपने 14 वर्ष के बनवास में साढे ग्यारह वर्ष बिताए थे. इस स्थान पर ऋषि अत्री और सती अनुसुइया ने ध्यान लगाया था. माना जाता है कि ब्रह्मा विष्णु और महेश चित्रकूट में ही सती अनुसूया के घर जन्मे लिया था. चित्रकूट की पावन नगरी की अगर हम पर्यटन की दृष्टि से बात करें तो चित्रकूट में विकास की गति कछुए की चाल से भी धीमी है कई सरकारी आई और चली गई लेकिन आज तक चित्रकूट का संपूर्ण विकास नहीं हो सका. यहां मंदाकिनी पयस्वनी और सरयू यह 3 नदियां थी. लेकिन यहां मंदाकिनी नदी भर शेष रह गई है. बाकी दो नदियां नालों में तब्दील हो गई हैं. मंदाकिनी नदी यमुना नदी की आखरी नदी मानी जाती है ।



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चित्रकूट धाम एक पवित्र स्थल है जहां पर पांच गांवों का संगम हैं. इस स्थान पर कर्वी,सीतापुर,कामता, कोहनि, नयागांव जैसे गांव का संगम है. भारत के प्रमुख तीर्थ स्थलों में से चित्रकूट को प्रमुख माना जाता है. लोगों की यह मान्यता है कि भगवान श्री राम देवी सीता और छोटे भाई लक्ष्मण के साथ चित्रकूट के घने जंगलों में वनवास के दौरान साढे ग्यारह वर्ष ठहरे थे. यहां के सुंदर प्राकृतिक पर्वत कल कल करते हुए बहते झरने, घने जंगल, चहकते पक्षी, बहती नदिया इस स्थान पर स्थित है. श्रद्धालुओं का मानना है कि कामदगिरि भव्य धार्मिक स्थल है जहां पर भगवान राम रहा करते थे. यहां पर भरत मिलाप मंदिर भी है जहां भरत वनवास के दौरान ने श्रीराम से कहा था कि वह अयोध्या लौट चलें.

चित्रकूट का रामघाट घाट वह घाट हैं जहां प्रभु श्री राम स्नान किया करते थे. इस घाट पर गोस्वामी तुलसीदास जी की प्रतिमा भी है. मंदाकिनी नदी के तट पर बने रामघाट में अनेक धार्मिक क्रियाकलाप चलते रहते हैं. घाट में गेरुआ वस्त्र धारण किए साधु-संतों को भजन और कीर्तन करते हैं.

चित्रकूट जानकी कुंड रामघाट से 2 किलोमीटर दूरी पर है. मंदाकिनी नदी के किनारे जानकीकुंड स्थित है. जनक पुत्री होने के कारण सीता को जानकी कहा जाता था. माना जाता है कि जानकी माता सीता यहां स्नान करती थी. जानकी कुंड के समीप ही राम जानकी रघुवीर मंदिर और संकट मोचन मंदिर है.

चित्रकूट में स्फटिक शिला हैं. जो जानकीकुंड से कुछ ही दूरी पर मंदाकिनी नदी के किनारे स्थित है. शीला पर देवी सीता के पैरों के निशान मुद्रित है.

चित्रकूट में सती अनुसुइया अत्री आश्रम है. इस आश्रम में अत्रि मुनि अनुसुइया दत्तात्रेयय और दुर्वासा मुनि की प्रतिमा स्थापित है.

चित्रकूट में गुप्त गोदावरी स्थित है. यहां दो गुफाएं हैं एक गुफा चौड़ी और ऊंची है. प्रवेश द्वार सकरा होने के कारण इसमें आसानी से नहीं घुसा जा सकता. गुफा के अंत में एक छोटा तालाब है. जिसे गोदावरी नदी कहा जाता है. दूसरी गुफा लंबी और सकरी है. जिसमें हमेशा पानी बहता है. कहा जाता है कि इस गुफा के अंत में राम और लक्ष्मण ने दरबार लगाया था.

चित्रकूट में हनुमान धारा स्थित है. पहाड़ी के शिखर पर स्थित हनुमान धारा में हनुमान जी की एक विशाल मूर्ति है. मूर्ति के सामने तालाब में झरने से पानी गिरता है. कहा जाता है कि या धारा श्री राम ने लंका दहन से आए हनुमान के आराम के लिए बनवाई थी. यहां से चित्रकूट का सुंदर दृश्य भी देखा जा सकता है.

चित्रकूट में भरतकूप स्थित है. ऐसा माना जाता है कि भगवान राम के राज्याभिषेक के लिए भरत ने भारत की सभी नदियों से जल एकत्रित कर यहां रखा था. अत्रि मुनि के परामर्श पर भरत ने जल एक कूप में रख दिया था. इसी कूप को भरतकूप के नाम से जाना जाता है. भगवान राम को समर्पित यहां एक मंदिर भी है.

चित्रकूट से निकटतम प्रयागराज खजुराहो लखनऊ बांदा झांसी शहर मौजूद है.
दरअसल चित्रकूट चित्र+कूट शब्दों के मेल से बना है. संस्कृत में चित्र का अर्थ अशोक और ऊंट का अर्थ शिखर या चोटी. इस संबंध में पुरानी कहावत है कि इस वन क्षेत्र में कभी अशोक के वृक्ष बहुतायत मिलते थे इसलिए इसका नाम चित्रकूट पड़ा.

प्रभु श्री राम की स्थली चित्रकूट की महत्ता का वर्णन पुराणों के प्रेरणा संत तुलसीदास वेदव्यास आदि कवि कालिदास ने अपनी कृतियों में किया है. मंदाकिनी नदी के किनारे बसा है चित्रकूट धाम प्राचीन काल से ही हमारे देश का सबसे प्रसिद्ध धार्मिक सांस्कृतिक स्थल रहा है. आज भी चित्रकूट के पग पग भूमि राम लक्ष्मण और सीता के चरणों से अंकित है.

चित्रकूट में मंदाकिनी पयस्वनी और सरयू यह 3 नदियां पाई जाती हैं. लेकिन अब वर्तमान में मंदाकिनी नदी शेष रह गई है बाकी दो नदियां तालाब में तब्दील हो गई हैं. मंदाकिनी नदी यमुना जी की अंतिम नदी मानी जाती है.

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विश्वतारा दूसरे -- वरिष्ठ पत्रकार सतना ।
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रमाकांत शुक्ला -- सीएमओ चित्रकूट सतना ।




Conclusion:Vo --
बहरहाल अगर हम चित्रकूट के विकास की बात करें तो चित्रकूट आज भी वैसा है जैसा पहले था. यहां विकास की गति कछुए की चाल से भी धीमी हैं. कई सरकारी आई और चली गई. सरकारों ने कई वादे किए लेकिन वह वादे सिर्फ भाषण तक ही सीमित रह गए. विकास आज तक नहीं किया गया. पर्यटन की दृष्टि से देखा जाए तो चित्रकूट में पूरे देश में सबसे ज्यादा विदेशी यहां आते थे. लेकिन अब इसके हालात और भी खराब हो चुके हैं. चित्रकूट में हर वर्ष दीपावली में मेला लगता है. जिसमें 40 से 50 लाख श्रद्धालु हर वर्ष आते हैं. वहीं हर अमावस्या को लाखों श्रद्धालु चित्रकूट दर्शन करने के लिए जाते हैं. इसके बावजूद भी चित्रकूट का विकास नहीं हो सका. चित्रकूट में सबसे बड़ा विकास का मुद्दा राम वनपथ गमन का है जो आज तक कई सरकारों ने वादे जो किए लेकिन इसे पूरा नहीं किया जा सका. अब फिर से वर्तमान कांग्रेस सरकार ने 84 कोस तपोवन क्षेत्र चित्रकूट में राम वनपथ गमन तैयार करने के लिए नया बजट पास किया गया है. साथ ही पर्यटन के दृष्टि से इसका विकास भी किया जाना है. आने वाले समय में देखने की बात यह होगी की हर बार की तरह इस बार वर्तमान कांग्रेस सरकार द्वारा किए गए वादे पूरे होते हैं या नहीं. चित्रकूट में सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि चित्रकूट का 80% भाग मध्यप्रदेश में स्थित है और 20% भाग उत्तर प्रदेश में स्थित है उसके बावजूद भी मध्य प्रदेश सरकार द्वारा विकास के नाम पर सिर्फ वादे ही किए जाते हैं ।
Last Updated : Sep 26, 2019, 3:16 PM IST
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