सतना: वैसे तो भगवान हनुमान जी के बहुत से रूप होते हैं, जैसे रुद्रमुखी हनुमान, दक्षिणमुखी हनुमान, एकमुखी हनुमान, पंचमुखी हनुमान लेकिन, क्या कभी आपने तोता मुखी हनुमान जी का रूप देखा है, अगर नहीं तो हम आपको तोता मुखी हनुमान जी के दर्शन कराएंगे. तोतमुखी हनुमान के दर्शन आपको चित्रकूट में होंगे. ऐसी मान्यता है कि तोतामुखी हनुमान का भोग आम और बैर है, जो कि उन्हें बेहद पसंद है और जो भी भक्त यहां आम और बैर का फल चढ़ाता है उसकी हर मनोकामनाएं पूर्ण होती है. इस तोता मुखी हनुमान जी के मंदिर के स्थान पर गोस्वामी तुलसीदास जी को भगवान श्रीराम के दर्शन प्राप्त हुए थे. यह दर्शन तोतामुखी हनुमान जी के द्वारा प्राप्त हुए थे.
तोतामुखी हनुमान क्यों खास: तोतामुखी हनुमान जी के बारे में पुजारी मोहित दास बताते हैं कि "यहां पर आपको तोता मुखी हनुमान जी के दर्शन प्राप्त होंगे, यहीं पर गोस्वामी तुलसीदास जी को भगवान श्री राम के दर्शन प्राप्त हुए थे. ऐसी मान्यता है कि इस स्थान पर गोस्वामी तुलसीदास जी ने छह महीने तक राम नाम का भजन किया था. एक दिन गोस्वामी तुलसीदास जी भगवान श्रीराम की भक्ति में लीन चंदन घिस रहे थे, तब भगवान श्री राम खुद उनके सामने आए और तुलसीदास जी से चंदन लगाने के लिए मांगने लगे. गोस्वामी तुलसीदास जी चंदन घिसने में मगन थे और उन्हें भगवान नहीं दिखाई दे रहे थे.
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हनुमान जी का नाम तोतामुखी क्यों पड़ा: पुजारी बताते हैं कि "हनुमानजी ने देखा कि हमेशा की तरह आज फिर गोस्वामी तुलसीदास जी चंदन घिसने में मगन हैं, ऐसे में वह भगवान के दर्शन नहीं कर पाएंगे. हनुमान जी का कार्य है भक्त और भगवान का मिलन कराना, तब हनुमान जी ने तोते का रूप लिया और तोते के रूप में तुलसीदास जी को एक चौपाई सुनाया जो विश्व भर में प्रसिद्ध है. 'चित्रकूट के घाट पर भई संतन की भीड़, तुलसीदास चंदन घिसैं तिलक देत रघुवीर'. जब तुलसीदास जी ने इस दोहे को मीठी वाणी में सुना तब उन्होंने अपने नेत्र खोले तो उन्हें भगवान श्री राम के दर्शन हो गए, तब से यहां पर हनुमान जी का नाम तोतामुखी हनुमान पड़ गया.