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बिरसिंहपुर में स्थित भगवान भोलेनाथ का प्रसिद्ध मंदिर, भक्तों की हर मनोकामना होती है पूरी - सतना न्यूज

बिरसिंहपुर में स्थित भगवान भोलेनाथ का ऐसा मंदिर है जहां स्वयंभू शिवलिंग स्थापित है. यहां भक्तों की हर मनोकामनाएं पूरी होती है.

Famous temple of Lord Bholenath in Birsinghpur
भगवान भोलेनाथ का प्रसिद्ध मंदिर
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Published : Jul 5, 2020, 3:19 PM IST

सतना। जिला मुख्यालय से तकरीबन 35 किलोमीटर दूर स्थित बिरसिंहपुर कस्बे में भगवान भोलेनाथ का ऐसा मंदिर है जहां स्वयंभू शिवलिंग स्थापित हैं. जिसे गैवीनाथ धाम के नाम से जाना जाता है. यहां पर खंडित शिवलिंग की पूजा होती है और इसका वर्णन पद्म पुराण के पाताल खंड में उल्लेख है. सावन के सोमवार में यहां हर साल भक्तों का मेला लगता है.

प्रसिद्ध मंदिर

गैवीनाथ धाम है बाबा महाकाल का दूसरा रूप

गैवीनाथ धाम को उज्जैन महाकाल का दूसरा रूप लिंग कहा जाता है. पदम पुराण के अनुसार त्रेता युग में बिरसिंहपुर कस्बे में राजा वीर सिंह का राज्य हुआ करता था, उस समय बिरसिंहपुर का नाम देवपुर हुआ करता था, राजा वीर सिंह प्रतिदिन भगवान महाकाल को जल चढ़ाने के लिए घोड़े पर सवार होकर उज्जैन महाकाल दर्शन करने जाते थे और भगवान महाकाल के दर्शन कर जल चढ़ाते थे.

Famous temple of Lord Bholenath in Birsinghpur
बिरसिंहपुर स्थित भोलेनाथ का मंदिर

ऐसे पड़ा मंदिर का नाम

बताया जाता है कि लगभग 60 सालों तक यह सिलसिला चलता रहा. इस तरह राजा वृद्ध हो गए और उज्जैन जाने में परेशानी होने लगी, एक बार उन्होंने भगवान महाकाल के सामने मन की बात रखी, ऐसा माना जाता है कि भगवान महाकाल ने राजा वीर सिंह के स्वप्न में दर्शन दिए, और देवपुर में दर्शन देने की बात कही, इसके बाद नगर में गैवी यादव नामक व्यक्ति के घर में एक घटना सामने आई, घर के चूल्हे से रात को शिवलिंग रूप निकलता था, जिसे गैवी यादव की मां मुसल से ठोक कर अंदर कर देती थी, और कई दिनों तक यह सिलसिला चलता रहा.

Famous temple of Lord Bholenath
कोरोना काल में मंदिर की व्यवस्था

एक दिन महाकाल फिर राजा के स्वप्न में आए और कहां कि मैं तुम्हारी पूजा और निष्ठा से प्रसन्न होकर तुम्हारे नगर में निकलना चाहता हूं, लेकिन गैवी यादव मुझे निकलने नहीं देता, इसके बाद राजा ने गैवी यादव को बुलाया और स्वप्न की बात बताई, जिसके बाद गैवी के घर की जगह को खाली कराया गया, राजा ने उस स्थान पर भव्य मंदिर का निर्माण कराया और भगवान महाकाल के कहने पर ही शिवलिंग का नाम गैवीनाथ धाम रख दिया गया, तब से भगवान भोलेनाथ को गैवीनाथ के नाम से जाना जाने लगा.

चारों धाम जितना फल मिलता है यहां

पौराणिक मान्यताओं के अनुसार यहां पर चारों धाम से लौटने वाले भक्त भगवान भोलेनाथ के दर गैवीनाथ धाम पहुंचकर चारों धाम का जल चढ़ाते हैं, पूर्वक बताते हैं कि जितना चारों धाम भगवान का दर्शन करने से पुण्य मिलता है, उससे कहीं ज्यादा गैवीनाथ में जल चढ़ाने से मिलता है. लोग कहते हैं कि चारों धाम का जल अगर यहां नहीं चढ़ा तो चारों धाम की यात्रा अधूरी मानी जाती है. यहां पर पूरे विंध्य क्षेत्र से भक्त पहुंचते है. हर सोमवार यहां हजारों भक्त पहुंचकर भगवान भोलेनाथ की पूजा करते हैं और मन्नत मांगते हैं और यहां आने से भक्तों की हर मनोकामना पूरी होती है.

मंदिर में कम हो रही भक्तों की भीड़

कोविड-19 महामारी की वजह से 81 दिनों तक मंदिर के पट बंद कर दिए गए थे, उसके बाद मंदिर के कपाट खोले गए, गैवीनाथ धाम बिरसिंहपुर में भगवान भोलेनाथ के मंदिर के कपाट खोल दिए गए हैं वो भी पूरे ऐतियात के तौर पर. भक्तों को मूर्ति छूने की अनुमति नहीं है और जल पाइप के माध्यम से चढ़ रहा है. मंदिर के अंदर दो दो व्यक्तियों को आने की अनुमति दी जा रही है, कोरोना संक्रमण को देखते हुए मास्क सेनीटाइजर एवं सोशल डिस्टेंस का पालन की लगातार अपील की जा रही है. कोरोना के चलते भक्तों की भीड़ मंदिर में कम हो गई है.

सतना। जिला मुख्यालय से तकरीबन 35 किलोमीटर दूर स्थित बिरसिंहपुर कस्बे में भगवान भोलेनाथ का ऐसा मंदिर है जहां स्वयंभू शिवलिंग स्थापित हैं. जिसे गैवीनाथ धाम के नाम से जाना जाता है. यहां पर खंडित शिवलिंग की पूजा होती है और इसका वर्णन पद्म पुराण के पाताल खंड में उल्लेख है. सावन के सोमवार में यहां हर साल भक्तों का मेला लगता है.

प्रसिद्ध मंदिर

गैवीनाथ धाम है बाबा महाकाल का दूसरा रूप

गैवीनाथ धाम को उज्जैन महाकाल का दूसरा रूप लिंग कहा जाता है. पदम पुराण के अनुसार त्रेता युग में बिरसिंहपुर कस्बे में राजा वीर सिंह का राज्य हुआ करता था, उस समय बिरसिंहपुर का नाम देवपुर हुआ करता था, राजा वीर सिंह प्रतिदिन भगवान महाकाल को जल चढ़ाने के लिए घोड़े पर सवार होकर उज्जैन महाकाल दर्शन करने जाते थे और भगवान महाकाल के दर्शन कर जल चढ़ाते थे.

Famous temple of Lord Bholenath in Birsinghpur
बिरसिंहपुर स्थित भोलेनाथ का मंदिर

ऐसे पड़ा मंदिर का नाम

बताया जाता है कि लगभग 60 सालों तक यह सिलसिला चलता रहा. इस तरह राजा वृद्ध हो गए और उज्जैन जाने में परेशानी होने लगी, एक बार उन्होंने भगवान महाकाल के सामने मन की बात रखी, ऐसा माना जाता है कि भगवान महाकाल ने राजा वीर सिंह के स्वप्न में दर्शन दिए, और देवपुर में दर्शन देने की बात कही, इसके बाद नगर में गैवी यादव नामक व्यक्ति के घर में एक घटना सामने आई, घर के चूल्हे से रात को शिवलिंग रूप निकलता था, जिसे गैवी यादव की मां मुसल से ठोक कर अंदर कर देती थी, और कई दिनों तक यह सिलसिला चलता रहा.

Famous temple of Lord Bholenath
कोरोना काल में मंदिर की व्यवस्था

एक दिन महाकाल फिर राजा के स्वप्न में आए और कहां कि मैं तुम्हारी पूजा और निष्ठा से प्रसन्न होकर तुम्हारे नगर में निकलना चाहता हूं, लेकिन गैवी यादव मुझे निकलने नहीं देता, इसके बाद राजा ने गैवी यादव को बुलाया और स्वप्न की बात बताई, जिसके बाद गैवी के घर की जगह को खाली कराया गया, राजा ने उस स्थान पर भव्य मंदिर का निर्माण कराया और भगवान महाकाल के कहने पर ही शिवलिंग का नाम गैवीनाथ धाम रख दिया गया, तब से भगवान भोलेनाथ को गैवीनाथ के नाम से जाना जाने लगा.

चारों धाम जितना फल मिलता है यहां

पौराणिक मान्यताओं के अनुसार यहां पर चारों धाम से लौटने वाले भक्त भगवान भोलेनाथ के दर गैवीनाथ धाम पहुंचकर चारों धाम का जल चढ़ाते हैं, पूर्वक बताते हैं कि जितना चारों धाम भगवान का दर्शन करने से पुण्य मिलता है, उससे कहीं ज्यादा गैवीनाथ में जल चढ़ाने से मिलता है. लोग कहते हैं कि चारों धाम का जल अगर यहां नहीं चढ़ा तो चारों धाम की यात्रा अधूरी मानी जाती है. यहां पर पूरे विंध्य क्षेत्र से भक्त पहुंचते है. हर सोमवार यहां हजारों भक्त पहुंचकर भगवान भोलेनाथ की पूजा करते हैं और मन्नत मांगते हैं और यहां आने से भक्तों की हर मनोकामना पूरी होती है.

मंदिर में कम हो रही भक्तों की भीड़

कोविड-19 महामारी की वजह से 81 दिनों तक मंदिर के पट बंद कर दिए गए थे, उसके बाद मंदिर के कपाट खोले गए, गैवीनाथ धाम बिरसिंहपुर में भगवान भोलेनाथ के मंदिर के कपाट खोल दिए गए हैं वो भी पूरे ऐतियात के तौर पर. भक्तों को मूर्ति छूने की अनुमति नहीं है और जल पाइप के माध्यम से चढ़ रहा है. मंदिर के अंदर दो दो व्यक्तियों को आने की अनुमति दी जा रही है, कोरोना संक्रमण को देखते हुए मास्क सेनीटाइजर एवं सोशल डिस्टेंस का पालन की लगातार अपील की जा रही है. कोरोना के चलते भक्तों की भीड़ मंदिर में कम हो गई है.

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