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तीन उप चुनाव जीती लेकिन रैगांव क्यों हारी भाजपा, हाईकमान ने मांगा जवाब

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Published : Nov 8, 2021, 7:18 AM IST

Updated : Nov 8, 2021, 2:23 PM IST

बीजेपी हाईकमान ने रैगांव चुनाव में मिली हार को लेकर प्रदेश पदाधिकारियों से जवाब तलब किया है. बीजेपी 3 सीटों को लेकर जश्न जरूर मना रही है, लेकिन हाईकमान ने पूछा है कि आखिर क्या बात है कि बीजेपी खुद अपनी परंपरागत सीट रैगांव हार गई

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भोपाल। मध्यप्रदेश में बीजेपी ने चार उपचुनाव में से तीन में तो जीत हासिल कर ली, लेकिन खुद की परंपरागत सीट गंवाने के बाद हाईकमान ने इसकी रिपोर्ट तलब की है. बीजेपी हाईकमान ने रैगांव चुनाव में मिली हार को लेकर प्रदेश पदाधिकारियों से जवाब तलब किया है. बीजेपी 3 सीटों को लेकर जश्न जरूर मना रही है, लेकिन हाईकमान ने पूछा है कि आखिर क्या बात है कि बीजेपी खुद अपनी परंपरागत सीट रैगांव हार गई. इसे लेकर प्रदेश कार्यालय में चिंतन मंथन भी हुआ. बीजेपी का चुनावी मैदान में मैनेजमेंट तीन सीटों पर सफलता पा गया, लेकिन दमोह उपचुनाव जैसे भितरघात को नहीं हटा पाया.

प्रदेश पदाधिकारियों से जवाब तलब.

पूर्व नेता प्रतिपक्ष अजय सिंह को दी गई थी रैगांव की जिम्मेदारी
रैगांव चुनाव की जिम्मेदारी कांग्रेस की तरफ से अजय सिंह 'राहुल' को दी गई थी, तो वहीं बीजेपी सांसद गणेश सिंह बीजेपी की तरफ से जिम्मेदारी संभाल रहे थे. अजय सिंह ये जान रहे थे कि यदि रैगांव चुनाव जीत जाते हैं, तो कांग्रेस हाईकमान के सामने उनका दावा मजबूत होगा और वह एक सशक्त लीडर के रूप में उभर सकेंगे, क्योंकि विधानसभा चुनाव वे हार चुके थे. अजय सिंह लगातर सक्रिय रहे और कांग्रेस ने वहां पर महंगाई ,विकास का न होना मुद्दा बनाया. इसके अलावा कांग्रेस को पार्टी के भितरघात का फायदा मिला. जुगल किशोर बागरी को टिकट न देना भाजपा को महंगा साबित हुआ

क्यों हारी बीजेपी
बीजेपी ने प्रतिमा बागरी को खड़ा किया, लेकिन सभाओं में सम्बोधन के दौरान वे अच्छी वक्ता नहीं रहीं. उनका चुपचाप रहना भी प्रतिमा पर भारी पड़ गया. दूसरी तरफ जहां बीजेपी कमलनाथ की कर्ज माफी को मुद्दा बना रही थी. वहीं किसान को लगा कि यदि कांग्रेस सरकार रहती तो वह 2 लाख रुपये का कर्ज माफ कर देती, लेकिन बीजेपी सरकार ने यह नहीं किया. डीजल और पेट्रोल के बढ़ते दामों के साथ-साथ किसानों की नाराजगी बीजेपी को भारी पड़ी. दूसरा कांग्रेस प्रत्याशी कल्पना वर्मा जिस समाज से आती हैं, उनकी जनसंख्या सीट पर काफी ज्यादा है . बसपा की वजह से भी भाजपा चुनाव हार गई. बसपा ने रैगांव सीट में कोई कैंडिडेट नहीं उतारा जिसका फायदा कांग्रेस को मिला.

MP में फिर चलेगा टीकाकरण महा अभियान, CM बोले-100 फीसदी वैक्सीनेशन का है लक्ष्य

बीजेपी हाईकमान को भेजी रिपोर्ट
बीजेपी ने हाईकमान को अपनी जानकारी दे दी. उसका कहना है कि भाजपा ने लगातार मैदान में जी तोड़ मेहनत की कांग्रेस की दो परंपरागत सीटें भी छीन लीं, लेकिन रैगांव में पार्टी प्रत्याशी के कारण हार गई. एक वजह यह भी बताई गई है कि दमोह जैसा भितरघात यहां रैगांव में भी बीजेपी को भारी पड़ गया. इन सबके बीच बीजेपी का मानना है कि लगातार पार्टी में चिंतन मंथन होता रहता है और समीक्षा भी होती है. दो उप चुनाव हो चुके और बीजेपी का अभ्यास हो चुका है अब आगे भी चुनावी मोड में बीजेपी आ गई है

भोपाल। मध्यप्रदेश में बीजेपी ने चार उपचुनाव में से तीन में तो जीत हासिल कर ली, लेकिन खुद की परंपरागत सीट गंवाने के बाद हाईकमान ने इसकी रिपोर्ट तलब की है. बीजेपी हाईकमान ने रैगांव चुनाव में मिली हार को लेकर प्रदेश पदाधिकारियों से जवाब तलब किया है. बीजेपी 3 सीटों को लेकर जश्न जरूर मना रही है, लेकिन हाईकमान ने पूछा है कि आखिर क्या बात है कि बीजेपी खुद अपनी परंपरागत सीट रैगांव हार गई. इसे लेकर प्रदेश कार्यालय में चिंतन मंथन भी हुआ. बीजेपी का चुनावी मैदान में मैनेजमेंट तीन सीटों पर सफलता पा गया, लेकिन दमोह उपचुनाव जैसे भितरघात को नहीं हटा पाया.

प्रदेश पदाधिकारियों से जवाब तलब.

पूर्व नेता प्रतिपक्ष अजय सिंह को दी गई थी रैगांव की जिम्मेदारी
रैगांव चुनाव की जिम्मेदारी कांग्रेस की तरफ से अजय सिंह 'राहुल' को दी गई थी, तो वहीं बीजेपी सांसद गणेश सिंह बीजेपी की तरफ से जिम्मेदारी संभाल रहे थे. अजय सिंह ये जान रहे थे कि यदि रैगांव चुनाव जीत जाते हैं, तो कांग्रेस हाईकमान के सामने उनका दावा मजबूत होगा और वह एक सशक्त लीडर के रूप में उभर सकेंगे, क्योंकि विधानसभा चुनाव वे हार चुके थे. अजय सिंह लगातर सक्रिय रहे और कांग्रेस ने वहां पर महंगाई ,विकास का न होना मुद्दा बनाया. इसके अलावा कांग्रेस को पार्टी के भितरघात का फायदा मिला. जुगल किशोर बागरी को टिकट न देना भाजपा को महंगा साबित हुआ

क्यों हारी बीजेपी
बीजेपी ने प्रतिमा बागरी को खड़ा किया, लेकिन सभाओं में सम्बोधन के दौरान वे अच्छी वक्ता नहीं रहीं. उनका चुपचाप रहना भी प्रतिमा पर भारी पड़ गया. दूसरी तरफ जहां बीजेपी कमलनाथ की कर्ज माफी को मुद्दा बना रही थी. वहीं किसान को लगा कि यदि कांग्रेस सरकार रहती तो वह 2 लाख रुपये का कर्ज माफ कर देती, लेकिन बीजेपी सरकार ने यह नहीं किया. डीजल और पेट्रोल के बढ़ते दामों के साथ-साथ किसानों की नाराजगी बीजेपी को भारी पड़ी. दूसरा कांग्रेस प्रत्याशी कल्पना वर्मा जिस समाज से आती हैं, उनकी जनसंख्या सीट पर काफी ज्यादा है . बसपा की वजह से भी भाजपा चुनाव हार गई. बसपा ने रैगांव सीट में कोई कैंडिडेट नहीं उतारा जिसका फायदा कांग्रेस को मिला.

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बीजेपी हाईकमान को भेजी रिपोर्ट
बीजेपी ने हाईकमान को अपनी जानकारी दे दी. उसका कहना है कि भाजपा ने लगातार मैदान में जी तोड़ मेहनत की कांग्रेस की दो परंपरागत सीटें भी छीन लीं, लेकिन रैगांव में पार्टी प्रत्याशी के कारण हार गई. एक वजह यह भी बताई गई है कि दमोह जैसा भितरघात यहां रैगांव में भी बीजेपी को भारी पड़ गया. इन सबके बीच बीजेपी का मानना है कि लगातार पार्टी में चिंतन मंथन होता रहता है और समीक्षा भी होती है. दो उप चुनाव हो चुके और बीजेपी का अभ्यास हो चुका है अब आगे भी चुनावी मोड में बीजेपी आ गई है

Last Updated : Nov 8, 2021, 2:23 PM IST
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