सतना। जिले के शिक्षा विभाग में चार करोड़ रुपए के घोटाले का मामला सामने आया है. खनिज मद से स्कूलों में छात्र छात्राओं की बैठक व्यवस्था के लिए फर्नीचर उपलब्ध कराए जाने के लिए मिली राशि को पूर्व जिला शिक्षाधिकारी ने नियमों को ताक पर रखकर टेंडर मनमाफिक कंपनियों को दिए गए हैं. यह पूरा मामला तकरीबन चार करोड़ रुपए का हैं.
पूरा मामला 28 सितंबर का बताया जा रहा है. जहां जिला योजना समिति ने सतना जिले की शासकीय स्कूलों में पढ़ने बाले छात्र छात्राओं की बैठक व्यवस्था के लिए गौड़ खनिज मद से चार करोड़ रुपये स्वीकृत किये थे. इस राशि से जिले के स्कूलों के लिए फर्नीचर खरीदा जाना था. इस राशि को खर्च करने के लिए एक क्रय समिति का गठन किया गया था. लेकिन तत्कालीन जिला शिक्षाधिकारी बीएस देवलहरा ने तत्कालीन जिला कलेक्टर मुकेश शुक्ला से प्रशासनिक स्वीकृत तो ली मगर खुला टेंडर नहीं किया.
बताया जा रहा है कि बिना टेंडर खुलवाए ही भोपाल की कृष्णा इंडस्ट्रीज और एग्रोटेशन इंटेक कंपनी को सीधे ऑर्डर दे दिया. जिसमें कृष्णा इंडस्ट्रीज को दो करोड़ 80 लाख रुपए और एग्रोटेशन इंटेक को एक करोड़ बीस लाख का अग्रिम भुगतान भी कर दिया गया. जिसकी जानकारी न तो जिला कलेक्टर और न क्रय समिति को दी गई.
बताया जा रहा है कि फर्नीचर सप्लाई के पहले ही इस राशि का भुगतान कर दिया गया. जबकि स्कूलों में फर्नीचर की सप्लाई अब शुरु हुई है. जहां संबंधित कंपनियां मनमाफिक तरीके स फर्नीचर स्कूलों में पहुंचा रहे हैं. साथ ही इस सामग्री की न तो जांच की गई है. जिसके चलते जिले के अंधिकाश स्कूलों के शिक्षक इस फर्नीचर को अच्छा नहीं बता रहे हैं. मामले में सतना के जिला शिक्षाधिकारी टीपी सिंह का कहना है कि इस पूरे मामले में गड़बड़ी का अंदेशा है.
वही पूरे मामले में सतना जिला कलेक्टर सतेन्द्र सिंह कुछ बोलने से बचते नजर आ रहे हैं. उनका कहना है कि यह घोटाला उनके कार्यकाल का नहीं है. कलेक्टर भले ही कुछ भी कहने बचते नजर आ रहे हो लेकिन बताया जा रहा है कि इस पूरे मामले की जांच के बाद बड़े अधिकारी भी इसमें फंस सकते है.