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सतना में 30 लोगों ने किया देह दान, तीन दानदाताओं के शरीर मृत्यु के बाद रीवा मेडिकल कॉलेज को सौंपे गये

सतना में 30 लोगों ने की अपनी देहदान, तीन दानदाताओं के शरीर को रीवा मेडिकल कॉलेज को उनके निधन के बाद सौंपा भी जा चुका है.

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Published : Mar 20, 2019, 12:22 AM IST

देहदन के शपथ पत्र

सतना। धार्मिक पुराणों में ऋषि दधीचि का जिक्र मिलता है, जिन्होंने अपना शरीर दान देकर देवताओं की रक्षा की थी. लेकिन, कलयुग में भी ऐसे इंसान हैं, जो अपनी देह दान इसलिए कर रहे हैं, ताकि चिकित्सा के क्षेत्र में काम करने वाले छात्र-छात्राओं द्वारा मानव अंगों की वास्तविक जांच पड़ताल हो सके. सतना जिले में अब तक 30 से ज्यादा लोगों ने अपना शरीर दान किया है. वहीं तीन दानदाताओं के शरीर को रीवा मेडिकल कॉलेज को उनके निधन के बाद सौंपा भी जा चुका है.

ये पहल सतना जिले की सामाजिक संस्था की है. संस्था ने इस मुहिम को शुरू किया और अब तक 30 से ज्यादा लोगों ने मृत्यु के बाद अपना शरीर दान देने की सहमति दे दी है. उन्होंने बकायदा शपथ पत्र देकर जिला प्रशासन और रीवा मेडिकल कालेज में अपना पंजीयन कराया है. अब तक तीन लोगों के मृत शरीर को रीवा मेडिकल कालेज में जमा भी हो चुका है, जहां मेडिकल की पढ़ाई करने वाले छात्र-छात्राएं इनका प्रायोगिक रूप से इस्तेमाल कर रहे हैं.

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बहरहाल, रक्तदान, नेत्रदान और देहदान के लिए लोग जागरूक हो रहे हैं. लोगो की सोच में बदलाव आ रहा है और लोग धार्मिक मान्यताओं को छोड़कर आधुनिक जीवन को आत्मसात कर आगे बढ़ रहे हैं.

सतना। धार्मिक पुराणों में ऋषि दधीचि का जिक्र मिलता है, जिन्होंने अपना शरीर दान देकर देवताओं की रक्षा की थी. लेकिन, कलयुग में भी ऐसे इंसान हैं, जो अपनी देह दान इसलिए कर रहे हैं, ताकि चिकित्सा के क्षेत्र में काम करने वाले छात्र-छात्राओं द्वारा मानव अंगों की वास्तविक जांच पड़ताल हो सके. सतना जिले में अब तक 30 से ज्यादा लोगों ने अपना शरीर दान किया है. वहीं तीन दानदाताओं के शरीर को रीवा मेडिकल कॉलेज को उनके निधन के बाद सौंपा भी जा चुका है.

ये पहल सतना जिले की सामाजिक संस्था की है. संस्था ने इस मुहिम को शुरू किया और अब तक 30 से ज्यादा लोगों ने मृत्यु के बाद अपना शरीर दान देने की सहमति दे दी है. उन्होंने बकायदा शपथ पत्र देकर जिला प्रशासन और रीवा मेडिकल कालेज में अपना पंजीयन कराया है. अब तक तीन लोगों के मृत शरीर को रीवा मेडिकल कालेज में जमा भी हो चुका है, जहां मेडिकल की पढ़ाई करने वाले छात्र-छात्राएं इनका प्रायोगिक रूप से इस्तेमाल कर रहे हैं.

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बहरहाल, रक्तदान, नेत्रदान और देहदान के लिए लोग जागरूक हो रहे हैं. लोगो की सोच में बदलाव आ रहा है और लोग धार्मिक मान्यताओं को छोड़कर आधुनिक जीवन को आत्मसात कर आगे बढ़ रहे हैं.
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सतना में 30 लोगों ने किया देह दान, तीन दानदाताओं के शरीर मृत्यु के बाद रीवा मेडिकल कॉलेज को सौंपे गये



सतना। धार्मिक पुराणों में ऋषि दधीचि का जिक्र मिलता है, जिन्होंने अपना शरीर दान देकर देवताओं की रक्षा की थी. लेकिन, कलयुग में भी ऐसे इंसान हैं, जो अपनी देह दान इसलिए कर रहे हैं, ताकि चिकित्सा के क्षेत्र में काम करने वाले छात्र-छात्राओं द्वारा मानव अंगों की वास्तविक जांच पड़ताल हो सके. सतना जिले में अब तक 30 से ज्यादा लोगों ने अपना शरीर दान किया है. वहीं तीन दानदाताओं के शरीर को रीवा मेडिकल कॉलेज को उनके निधन के बाद सौंपा भी जा चुका है.

ये पहल सतना जिले की सामाजिक संस्था की है. संस्था ने इस मुहिम को शुरू किया और अब तक 30 से ज्यादा लोगों ने मृत्यु के बाद अपना शरीर दान देने की सहमति दे दी है. उन्होंने बकायदा शपथ पत्र देकर जिला प्रशासन और रीवा मेडिकल कालेज में अपना पंजीयन कराया है. अब तक तीन लोगों के मृत शरीर को रीवा मेडिकल कालेज में जमा भी हो चुका है, जहां मेडिकल की पढ़ाई करने वाले छात्र-छात्राएं इनका प्रायोगिक रूप से इस्तेमाल कर रहे हैं.

बहरहाल, रक्तदान, नेत्रदान और देहदान के लिए लोग जागरूक हो रहे हैं. लोगो की सोच में बदलाव आ रहा है और लोग धार्मिक मान्यताओं को छोड़कर आधुनिक जीवन को आत्मसात कर आगे बढ़ रहे हैं.

रामलखन सिंह -- दानदाता पिथौराबाद निवासी ।


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