सागर। पूर्व मुख्यमंत्री उमा भारती बीजेपी से नाराज चल रही हैं. हालांकि वह पार्टी के प्रति नाराजगी सीधे तौर पर नहीं जता रही हैं. लेकिन उनके बयानों से अंदाजा लगाया जा सकता है कि वह खुद की उपेक्षा से व्यथित हैं. पिछले दिनों लोधी समुदाय को अपने हित देखकर वोट करने के लिए उमाभारती कह चुकी हैं. ऐसे में लोधी समाज भाजपा के खिलाफ जा सकता है. अगर उमा भारती की नाराजगी का कोई तोड़ नहीं निकाला गया तो भाजपा के लिए मुश्किल होगी. दूसरी तरफ भाजपा आगामी विधानसभा चुनाव के मद्देनजर पिछड़ा वर्ग के वोट बैंक को लुभाने के लिए कोई कसर नहीं छोड़ रही है. ऐसे में उमा भारती की नाराजगी भाजपा की मुहिम पर भारी पड़ती नजर आ रही है.
ताजे बयान से बीजेपी परेशान : उमा भारती का हाल ही में दिया गया बयान मध्यप्रदेश के सियासी गलियारों में जमकर धूम मचा रहा है. इस बयान से उमा भारती ने अपने सजातीय लोधी समाज के जरिए भाजपा को सियासी ताकत का अंदाजा ऐसे समय पर कराया है, जब भाजपा 2023 चुनाव जीतने के लिए एड़ी-चोटी का जोर लगा रही है. दरअसल, उमाभारती ने लोधी समाज के लोगों को राजनैतिक बंधन से आजाद करने का बयान देते हुए भाजपा को सीधेतौर पर संकेत दिया है कि लोधी समाज का वोट बैंक भाजपा का नहीं है. अगर लोधी समाज को पर्याप्त प्रतिनिधित्व नहीं मिलता है तो यह वोट बैंक भाजपा से छिटक सकता है. खास बात ये है कि उमा भारती ने अपने इस बयान पर सफाई तो दी है लेकिन सीधेतौर पर अपने बयान पर कायम रखने रहने की भी बात कही है.
लोधी समाज को किया बंधनमुक्त : दरअसल, उमाभारती ने लोधी समाज के सम्मेलन में कहा है कि "हम प्यार के बंधन में बंधे हैं, लेकिन राजनीति के बंधन से आपको आजाद करती हूं. मैं आऊंगी, भाजपा के लिए वोट भी मांगूंगी. लेकिन आप भाजपा कार्यकर्ता नहीं हैं. इसलिए मेरे कहने पर आप भाजपा को वोट न दें. आप उसे वोट दें, जिसने आपको सम्मान के साथ स्थान दिया हो." उमा भारती का यह बयान भाजपा के लिए चिंताजनक इसलिए है क्योंकि बुंदेलखंड अंचल के अलावा ग्वालियर-चंबल इलाके में लोधी समाज के मतदाताओं का बाहुल्य है और अमूमन ये मतदाता भाजपा के पक्ष में वोट करता आया है. ब्राह्मणों के खिलाफ बयान देकर पहले ही भाजपा से निष्कासित हो चुके प्रीतम लोधी भाजपा के खिलाफ लगातार अभियान चला रहे हैं. अब उमा भारती की नाराजगी भाजपा के लिए और भारी पड़ सकती है.
अन्य मुद्दों पर भी दिखा चुकी हैं कड़े तेवर : ऐसा नहीं है कि उमाभारती ने अपने जातीय वोट बैंक के जरिए ही भाजपा को नाराजगी के संकेत दिए हैं. इसके पहले शराबबंदी और धर्म को लेकर ऐसे बयान दे चुकी हैं, जो भाजपा के लिए बड़ी चिंता की वजह हो सकते हैं. दूसरी तरफ, वह 2024 में लोकसभा चुनाव लड़ने की बात कर पार्टी को संदेश दे चुकी हैं कि वो चुनाव लड़ेंगी, यह पार्टी को तय करना है कि वह कहां से चुनाव लड़ाए. शराबबंदी के नाम पर कभी ट्वीट तो कभी शराब दुकानों पर पत्थर फेंक कर उमा भारती अपनी नाराजगी जाहिर करती रहती हैं. शह-मात का खेल सियासी गलियारों में खेलना उमा भारती अच्छी तरह से जानती हैं. इसके साथ ही हिंदुत्व की राजनीति को लेकर उन्होंने कमलनाथ के गढ़ छिंदवाड़ा में ये बयान देकर खलबली मचा दी थी कि भगवान राम और हनुमान की भक्ति पर किसी का कॉपीराइट नहीं है. भगवान राम और हनुमान भाजपा के कार्यकर्ता नहीं हैं.
कांग्रेस ने लगा दी थी लोधी वोट बैंक में सेंध : साल 2018 विधानसभा चुनाव में उमाभारती के गढ़ कहे जाने वाले बुंदेलखंड में कांग्रेस ने बड़ी चालाकी से लोधी वोट बैंक में सेंध लगा दी थी. कांग्रेस ने लोधी समाज के नए चेहरे और कुछ भाजपा नेताओं को टिकट देकर लोधी बाहुल्य वाली सीटों पर जीत हासिल की थी. कांग्रेस ने क्षेत्रीय आधार पर बड़ी चालाकी से सागर, दमोह और छतरपुर जिले की सीटों पर लोधी उम्मीदवार उतारकर ज्यादातर लोधी बाहुल्य सीटें भाजपा से छीन ली थीं. जिनमें सागर की बंडा, दमोह की दमोह और छतरपुर की बड़ा मलहरा जैसी सीटें शामिल थीं. हालांकि सियासी उठापटक के बाद दमोह के कांग्रेस विधायक राहुल लोधी भाजपा में शामिल हो गए थे. लेकिन उपचुनाव में करारी हार का सामना करना पड़ा था. वहीं बड़ा मलहरा से कांग्रेस के टिकट पर चुनाव जीते प्रद्युम्न सिंह लोधी भी भाजपा में शामिल हो गए थे और उपचुनाव में सीट बचाने में कामयाब रहे. सागर जिले के बंडा विधानसभा क्षेत्र से कांग्रेस ने नए चेहरे तरवर लोधी को मैदान में उतारा था, वह भी चुनाव जीत गए थे और आगामी चुनाव कांग्रेस के टिकट से फिर लड़ने की तैयारी में हैं.
उमा भारती के बिना नहीं मिलेगा लोधी वोट : चुनावी साल में उमा भारती के बगावती तेवर से साफ है कि अगर बीजेपी को आगामी चुनाव में लोधी मतदाताओं का वोट चाहिए तो उमा भारती जैसे नेताओं की नाराजगी दूर करनी होगी. उमा भारती की अगर नाराजगी बरकरार रही तो भाजपा के पास लोधी समाज का कोई इतना बड़ा कद्दावर चेहरा नहीं है, जो लोधी समाज के वोट दिलाने में मददगार हो. वैसे भी कांग्रेस पिछड़ा वर्ग के वोट बैंक में सेंध लगाने के लिए हरसंभव कोशिश कर रही है. अगर उमा भारती जैसी बड़ी लोधी समाज की नेता भाजपा से नाराज रहती हैं तो कांग्रेस को फायदा मिलना तय है.