सागर। चुनावी साल में मध्यप्रदेश सरकार को अध्यापक और नवीन शिक्षक वर्ग के कर्मचारियों की नाराजगी झेलनी पड़ रही है. शासकीय शिक्षक संघ के बैनर तले ये कर्मचारी खुलकर आक्रोश जताने लगे हैं. इनकी मांग है कि नियुक्ति दिनांक से वरिष्ठता देकर अन्य सुविधाओं के साथ पुरानी पेंशन बहाल की जाए. इसी सिलसिले में सागर में वरिष्ठता बहाली मंच द्वारा रविवार को रैली निकाली गई. यह रैली नारे लगाते हुए कलेक्ट्रेट पहुंची, जहां मांगों के संबंध में ज्ञापन सौंपा गया.
पदोन्नति समेत शासकीय लाभ नहीं मिल रहे : आंदोलनरत कर्मचारियों ने बताया कि नवीन शिक्षा संवर्ग के गठन के समय भूलवश या जानबूझकर 3 लाख शिक्षकों की नियुक्ति दिनांक एक जुलाई 2018 से मान्य की गई है. इसके कारण इस संवर्ग को पदोन्नति समेत किसी भी तरह का शासकीय लाभ नहीं मिल पा रहा है. रिटायर होने के बाद शिक्षक गंभीर आर्थिक परेशानियों से जूझ रहे हैं. कर्मचारियों ने कहा, 'हमारी समस्या का सिर्फ एक ही हल है. प्रथम नियुक्ति दिनांक से हमारी वरिष्ठता का आंकलन किया जाना चाहिए. अगर मांग नहीं मानी गई तो हम उग्र आंदोलन के लिए मजबूर होंगे.'
मुख्यमंत्री से करेंगे मुलाकात : रैली में शामिल कर्मचारियों ने हाथों में बैनर थाम रखे थे और पुरानी पेंशन बहाल करो लिखी टोपियां लगाई थीं. ये सभी स्वीडिश मिशन स्कूल परिसर में एकत्रित होकर रैली के रूप में कलेक्ट्रेट पहुंचे और मुख्यमंत्री को संबोधित ज्ञापन सौंपा गया. आंदोलनकारियों का कहना है कि मांगों पर विचार नहीं किए जाने की स्थिति में आगामी 26 फरवरी को हर जिले से हजारों की संख्या में कर्मचारी राजधानी भोपाल में इकट्ठा होंगे. जहां मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान से मुलाकात कर मांगें पूरी करने का ज्ञापन सौंपा जाएगा.
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पूर्व की सेवा शून्य कर दी गई : शासकीय शिक्षक संघ के जिलाध्यक्ष आलोक गुप्ता ने कहा, 'मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के अभूतपूर्व निर्णय के चलते अध्यापक संवर्ग के 3 लाख कर्मचारियों को शासकीय लोकसेवक का दर्जा प्राप्त हुआ था. लेकिन नवीन शैक्षणिक संवर्ग 2018 में उच्च माध्यमिक शिक्षक, माध्यमिक शिक्षक और प्राथमिक शिक्षकों की नियुक्ति 1 जुलाई 2018 से मानकर पूर्व की सेवा को शून्य कर दिया गया है. नवीन शिक्षा संवर्ग में वे लाभ रोक दिए गए हैं, जो अध्यापक संवर्ग में प्रदान किए गए थे.' वहीं, प्रांतीय शिक्षक संघ के जिलाध्यक्ष शैलेंद्र सिंह गंभीरिया बोले, '1995 से भर्ती शिक्षाकर्मी, गुरुजी और संविदा शिक्षक भर्ती समय से ही सेवा शर्तों को सही तरीके से लागू कराने के लिए संघर्ष कर रहे हैं. हजारों की संख्या में ऐसे कर्मचारी रिटायर होने के बाद अमानवीय आर्थिक परेशानियां झेल रहे हैं. प्रथम नियुक्ति दिनांक से सेवा अवधि जोड़ा जाना जरूरी है. जिसके अभाव में क्रमोन्नति, पदोन्नति, ग्रेच्युटी, पुरानी पेंशन और अन्य लाभ मिलना संभव नहीं है.'