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ताम्रकार परिवार की पर्यावरण बचाव को लेकर नई पहल, मिट्टी के गणपति बनाकर करते हैं निशुल्क वितरण

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Published : Sep 4, 2019, 12:43 PM IST

जिले में ताम्रकार परिवार लोगों को शुद्ध मिट्टी से बने गणपति की प्रतिमा निःशुल्क वितरित करता है. ताकि पर्यावरण प्रदूषण को बढ़ने से रोक सके.

ताम्रकार परिवार की पर्यावरण बचाव को लेकर नई पहल

सागर। जहां एक ओर पर्यावरण प्रदूषण अपनी चरम सीमा की ओर बढ़ रहा है वहीं इसके बचाव के लिए भी प्रशासन और आमजन की ओर से प्रयास बढ़ रहे हैं. सागर के इतवारा बाज़ार क्षेत्र का ताम्रकार परिवार लोगों को शुद्ध मिट्टी से बने गणपति की प्रतिमा निःशुल्क वितरित करता है.ताकि लोग पीओपी से बनी मूर्ति के बजाय शुद्ध मिट्टी से बनी मूर्ति स्थापित करे.

ताम्रकार परिवार की पर्यावरण बचाव को लेकर नई पहल

जहां पर्यावरण प्रदूषण एक वैश्विक समस्या बन चुकी है वहीं इस तरह के प्रयास एक उम्मीद की किरण और दूसरों के लिए प्रोत्साहित करने वाले उदाहरण के रूप में ताम्रकार परिवार है. यह चार पीढ़ियों से निःशुल्क शुद्ध मिट्टी से बनी गणेश प्रतिमा वितरित करता है. हर गणेश चतुर्थी को हज़ारों लोग लाइन में लगकर लेते हैं.

खास बात ये है कि इस प्रकृति संरक्षण के काम में स्वर्गीय रामेश्वर ताम्रकार का परिवार पहले अकेला ही मूर्ति बनाने का काम करता था लेकिन अब मोहल्ले के अन्य लोग भी मिलकर भगवान गणेश की मूर्ति बनाते है.

सागर। जहां एक ओर पर्यावरण प्रदूषण अपनी चरम सीमा की ओर बढ़ रहा है वहीं इसके बचाव के लिए भी प्रशासन और आमजन की ओर से प्रयास बढ़ रहे हैं. सागर के इतवारा बाज़ार क्षेत्र का ताम्रकार परिवार लोगों को शुद्ध मिट्टी से बने गणपति की प्रतिमा निःशुल्क वितरित करता है.ताकि लोग पीओपी से बनी मूर्ति के बजाय शुद्ध मिट्टी से बनी मूर्ति स्थापित करे.

ताम्रकार परिवार की पर्यावरण बचाव को लेकर नई पहल

जहां पर्यावरण प्रदूषण एक वैश्विक समस्या बन चुकी है वहीं इस तरह के प्रयास एक उम्मीद की किरण और दूसरों के लिए प्रोत्साहित करने वाले उदाहरण के रूप में ताम्रकार परिवार है. यह चार पीढ़ियों से निःशुल्क शुद्ध मिट्टी से बनी गणेश प्रतिमा वितरित करता है. हर गणेश चतुर्थी को हज़ारों लोग लाइन में लगकर लेते हैं.

खास बात ये है कि इस प्रकृति संरक्षण के काम में स्वर्गीय रामेश्वर ताम्रकार का परिवार पहले अकेला ही मूर्ति बनाने का काम करता था लेकिन अब मोहल्ले के अन्य लोग भी मिलकर भगवान गणेश की मूर्ति बनाते है.

Intro:सागर। जहां एक ओर पर्यावरण प्रदूषण अपनी चरम सीमा की ओर बढ़ रहा है वहीं इसके बचाव के लिए भी प्रशासन और आम जन की ओर से प्रयास बढ़ रहे हैं, क्योंकि पीओपी से बनी मूर्ती पर्यावरण के लिए बहुत घातक सिद्ध होती है। इसलिए मुहिम के तहत अब त्यौहारों में प्रतिबंधित पीओपी यानी प्लास्टर ऑफ पैरिस से बनी मूर्ती के बजाय शुद्ध मिट्टी से बनी मूर्ती स्थापित करने के लिए लोगों को प्रोत्साहित किया जा रहा है। Body:लेकिन सागर का एक परिवार ऐसा है जो आज से नहीं बल्कि पिछली चार पीढ़ियों से इस मुहीम को चला रहा है, जी हां सागर के इतवारा बाज़ार क्षेत्र का ताम्रकार परिवार पिछली चार पीढ़ियों से लोगों को शुद्ध मिट्टी से बने गणपती की प्रतिमा निःशुल्क वितरित करता है, जो पहले सौंकड़ों की संख्या में था अब हज़ारों की संख्या में हर साल वितरित किया जाता है।
इस साल भी गणेश चतुर्थी के मौके पर इस परिवार ने बदस्तूर लोगों को एक ही दिन में 2 हज़ार से ज़्यादा मूर्तियां वितरित की। खास बात ये है कि इस प्रकृति संरक्षण के काम में स्वर्गीय रामेश्वर ताम्रकार का परिवार पहले अकेला ही मूर्ती बनाने का काम करता था लेकिन अब मोहल्ले के अन्य लोग भी मिलकर भगवान गणेश की मूर्ती बनाते है।

बाइट- शंकर ताम्रकार, मूर्तीकार
जहाँ आज पर्यावरण प्रदूषण एक वैश्विक समस्या बन चुकी है वहीं इस तरह के प्रयास एक उम्मीद की किरण और दूसरों के लिए प्रोत्साहित करने वाले उदाहरण के रूप में सामने आ रहे हैं।
Conclusion:
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