सागर। डॉ. हरिसिंह गौर प्रदेश की उस शख्सियत का नाम है जिसने काम तो बहुत बड़ा किया, लेकिन उनके काम के बरक्स उन्हें वो प्रसिद्धि नहीं मिल सकी, जिसके वो हकदार थे. डॉ. हरिसिंह गौर को एमपी का महामना कहा जाए तो कम नहीं होगा. जहां एक ओर महामना मदनमोहन मालवीय ने चंदा इकठ्ठा कर बनारस हिंदु विश्वविद्यालय की नींव रखी तो वहीं डॉक्टर गौर ने अपना सर्वस्व न्योछावर कर सागर यूनिवर्सिटी के सपने को सच कर दिखाया.
डॉ. हरिसिंह गौर एक महान शिक्षाविद, समाज सुधारक, साहित्यकार, न्यायविद के रूप में पहचाने जाते हैं, लेकिन उनकी शख्सियत के कुछ और पहलू हैं जो इन सबसे ऊपर हैं, वो पहलू हैं उनका स्वप्न दृष्टा और दानवीर होना. उन्होंने सपना देखा कि बुंदेलखंड के युवाओं में शिक्षा की अलख जगे. इस सपने को पूरा करने के लिए जरूरी था कि इस क्षेत्र में कोई स्तरीय विश्वविद्यालय हो. लेकिन, मजबूत इरादों वाले लोग जब कुछ ठान लेते हैं तो उसे पूरा करके ही मानते हैं.
डॉक्टर गौर ने ये सपना पूरा करने के लिए अपनी पूरी संपत्ति सागर विश्वविद्यालय के निर्माण के लिए दान कर दी और बुंदेलखंड को दे दिया शिक्षा का ऐसा केंद्र, जिसने प्रदेश ही नहीं देश को भी ऐसी हस्तियां दीं जो अपने-अपने क्षेत्र में रोशनी बनकर बिखर गईं. आशुतोष राणा, गोविंद नामदेव, मुकेश तिवारी, जैसे गंभीर अभिनेताओं ने इस विश्वविद्यालय का नाम रोशन किया तो वहीं गोपाल भार्गव, गोविंद सिंह राजपूत, भूपेंद्र सिंह जैसे नेताओं ने प्रदेश की राजनीति में अपनी धूम मचाई. वहीं आध्यात्मिक क्षेत्र की बात की जाए तो ओशो रजनीश जैसी शख्सियत इस यूनिवर्सिटी की देन है. लेकिन, ये सब तभी संभव हो सका जब डॉ. गौर ने बुंदेलखंड में शिक्षा की अलख जगाने का सपना देखा. ऐसे में ये कहना गलत न होगा कि बुंदेलखंड के युवाओं के लिए डॉ. गौर, महामना मदन मोहन मालवीय से कम नहीं थे, लेकिन उनकी ही धरती से उन्हें वैसा सम्मान नहीं मिल सका जिसके वो हकदार थे.