सागर। ईसाई धर्म के अनुयायियों ने भारत में अंग्रेजी हकुमत के दौरान बहुत से खूबसूरत चर्चों का निर्माण प्रार्थना के लिए करवाया था. इनमें से एक चर्च सागर जिले का सेंट पीटर भी है. इसे सागर के सबसे पुराने चर्च के रुप में मान्यता मिली है. सेंट पीटर्स चर्च सन 1835 से 1838 के बीच बना और 12 जनवरी सन 1841 को चर्च में पहली प्रार्थना आयोजित की गई. उस दौर में सेंट पीटर्स चर्च सेंट्रल इंडिया का मुख्यालय और भारत में बनाए गए चर्च में सबसे खूबसूरत माना जाता था.
सेंट पीटर्स चर्च को प्रोटेस्टेंट्स मतावलंबियों का चर्च माना जाता है. जहां कोई भी मूर्ति स्थापित नहीं है. छावनी परिषद के पास में स्थापित सेंट पीटर्स चर्च में समय-समय पर कई बड़े धर्मगुरु आते रहे हैं. इस चर्च की बनावट बहुत ही खूबसूरत है. इसके अस्तित्व के महत्व को ध्यान में रखते हुए चर्च के रिनोवेशन में इसकी पुरानी कलाकृतियों और बनावट के साथ कोई भी छेड़छाड़ नहीं की गई है. यही वजह है कि यह अपने निर्माण के 160 साल बाद भी अपने वास्तविक रूप में ही स्थापित है. चर्च के प्रबंधन के सचिव सनेन्द्र कनासिया बताते हैं कि इस चर्च के निर्माण के लिए इटली से कारीगर बुलाए गए थे. उस वक्त यह चर्च सबसे खूबसूरत चर्च में एक था. वहीं यह मध्य भारत के सभी चर्चों का धार्मिक केंद्र था, यानी मुख्यालय का तमगा इसे हासिल था. हालांकि आज भी यह संभाग के सभी प्रोटेस्टेंट चर्च का मुख्यालय बना हुआ है.
सेंट पीटर्स चर्च से जुड़े अनुयायियों द्वारा यह नियमित प्रार्थना सभा की जाती है. जहां पूरे विश्व और भारत के लिए प्रार्थना तो होती ही है साथ ही इसमें प्रधानमंत्री से लेकर मंत्री, विधायक और वार्ड के पार्षद के लिए भी अलग से प्रार्थना की जाती है. जिसमें उनके द्वारा लिए हुए निर्णय के माध्यम से कोरोना महामारी काल में जल्द ही देश के नागरिकों के लिए अच्छे फैसले लिए जाएं और भारत को ऐसी महामारी और विपदा से निजात मिल सके.
कोरोना संक्रमण की वजह से इस साल चर्च में क्रिसमस का पर्व हर साल की तरह धूमधाम से नहीं मनाया जा रहा है. कोरोना गाइड लाइन के अनुसार संयमित और नियमित तरीके से सादगी के साथ प्रभु यीशु के जन्म दिवस पर लोगों के कुशल क्षेम की प्रार्थना की जाएगी.