सागर। बुंदेलखंड में मां दुर्गा के ऐसे कई मंदिर हैं, जहां भक्तों का तांता लगा रहता है. जिले के रेहली विकासखंड में एक ऐसा ही टिकीटोरिया मंदिर है, जिसे मिनी मैहर के नाम से जाना जाता है. यहां नवरात्रि के अवसर पर हजारों की संख्या में श्रद्धालु पहुंचते हैं. यहां सिंह पर सवार मां दुर्गा के दर्शन कर भक्त आशीर्वाद लेते हैं. माना जाता है कि यहां हर मनोकामना पूरी होती है. ये मंदिर करीब 400 साल पुराना है.
खूबसूरत पहाड़ी पर सिंहवाहिनी माता का मंदिर : रेहली- जबलपुर मार्ग पर रेहली से करीब 5 किमी दूर टिकीटोरिया पहाड़ी पर यह मंदिर स्थित है. सिंहवाहिनी माता के मंदिर को बुंदेलखंड में मिनी मैहर के रूप में जाना जाता है. टिकीटोरिया मंदिर में अष्टभुजाधारी मां सिंह वाहिनी की आकर्षक प्रतिमा है. मंदिर का निर्माण करीब 400 साल पहले सागर की मराठा रानी लक्ष्मीबाई खैर ने कराया था. मंदिर में पाषाण की देवी मां की प्रतिमा की स्थापना की गई थी. लेकिन प्राचीन पाषाण की प्रतिमा को किसी अज्ञात व्यक्ति ने खंडित कर दिया था. करीब 50 साल पहले नजदीक के गांव खेजरा बरखेरा के मातादीन अवस्थी और द्रोपदी बाई द्वारा संगमरमर की आकर्षक मूर्ति स्थापित करायी गई.
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समिति ने किया मंदिर का कायाकल्प : पिछले कुछ साल पहले प्रतिमा खंडित हो जाने के बाद मंदिर में अष्टभुजाधारी सिंहवाहिनी माता के साथ सरस्वती और लक्ष्मी माता की विधिविधान के साथ प्राण प्रतिष्ठा की गई. पहले मंदिर के आसपास जंगल था और पहाड़ी पर पेड़ों के सहारे लोग दर्शन करने पहुंचते थे. पहाड़ी पर पहुँचने के लिए सीढ़ियां नहीं थीं. लगभग 20 साल पहले स्थानीय लोगों के द्वारा टिकीटोरिया जीर्णोद्धार समिति का गठन किया गया. समिति और स्थानीय लोगों के प्रयास से मंदिर का कायाकल्प कर पर्यटन स्थल के रूप में विकसित किया गया. ( Singhwahini Mata Temple in Rehli) (Mini Maihar of Bundelkhand)