सागर। बुंदेलखंड में कला संस्कृति का अपना विशेष महत्व है. हर त्योहार को बुंदेलखंड के लोग एक अलग और अनूठी परंपरा के साथ मनाते हैं. इसी तरह रहली विकासखंड के चेहरा ग्राम में पिछले 30 सालों से बहती हुई नदी के बीच मां जगदंबा की झांकी सजाई जाती है. कलकल बहती नदी में मां जगदंबा की मनोहारी झांकी सबके लिए आकर्षिण के केंद्र रहती है. खास बात यह है कि माता की आरती बुंदेली परंपरा और वाद्य यंत्रों के साथ की जाती है. (shardiya navratri 2022)
नदी के बीच सजी मां की मनोहारी झांकी: रेहली विकासखंड के चुहरा ग्राम में नवरात्रि का त्योहार बुंदेली परंपरा के साथ आकर्षक तरीके से मनाया जा रहा है. गांव से निकलने वाली कैथ नदी के बीचोंबीच जगत जननी मां जगदंबा का मनमोहक दरबार सजाया गया है. बुंदेली वाद्ययंत्रों की गूंज और जगमगाते हजारों दीपकों से रात्रिकालीन संगीतमय आरती का मनमोहक नजारा देखते ही बनता है. बहती हुई नदी के बीच कमल के फूल के आकार की नांव में मां का मंडप में मां दुर्गा का दरबार सजाया गया है. आकर्षक साजसज्जा के साथ नदी की धारा में जलविहार करती माता की चलित झांकी को देखने के लिए दूर-दूर से लोग पहुंच रहे हैं. बुंदेली वाद्य यंत्रों की मनोहारी धुन के साथ होने वाली संध्याकालीन महाआरती में आसपास के कई गावों के श्रद्धालु मां के दर्शन करने पहुंचते हैं. (sagar maa jagdamba jhanki)
पिछले 30 सालों से लगातार हो रही स्थापना: दुर्गा कमेटी के संयोजक डॉक्टर उमेश वैद्य ने बताया कि, धर्मजागरण के उद्देश्य से 30 वर्ष पहले गांव में ही नवरात्रि अनूठा आयोजन करने की प्रेरणा माता से मिली थी. तभी से परंपरा सतत चली आ रही है. माता की आरती हम लोग बुंदेली वाद्य यंत्रों से करते हैं. हमारी कोशिश होती है कि माता के दरबार में परंपरा और संस्कृति नजर आए. हम लोग अपने आयोजन का किसी तरह से शहरीकरण नहीं करते हैं. (sagar maa jagdamba beautiful jhanki)