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Diwali 2022: गोबर के दीपक बनाकर आत्मनिर्भर बन रही महिलाएं, स्वदेशी दीपक जलाकर जरूरतमंदों के घर भी करें रोशन

बुंदेलखंड में स्थानीय विचार संस्था के प्रयासों से महिलाओं की जिंदगी नए सिरे से रोशन हो रही है. यहां महिलाएं गोबर के दीपक बनाकर जहां स्वदेशी को बढ़ावा दे रही हैं, साथ ही दीपक बनाकर आत्मनिर्भर भी बन रही हैं. इस बार विचार संस्था ने करीब 400 महिलाओं के जरिए 7 लाख दीपक तैयार किए गये हैं, जिनकी मांग पूरे देश से आ रही है. विचार संस्था स्वदेशी को बढ़ावा देने के लिए करीब 10 हजार महिलाओं को स्वावलंबी बनाने का प्रयास कर रही है. (special story diwali 2022) (sagar vichar origination) (gobar deepak made by women in sagar)

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Published : Oct 19, 2022, 10:38 PM IST

sagar vichar organization
सागर में दीपक बना कर आत्मनिर्भर बन रही जरूरतमंद महिलाएं

सागर। बुंदेलखंड का बीड़ी उद्योग से पुराना नाता है. खासकर बुंदेलखंड में कुटीर उद्योग के तौर पर बीड़ी बनाने का काम गरीब और जरूरतमंद महिलाएं अपने रोजाना के कामकाज को निपटाने के बाद करती हैं. स्थानीय विचार संस्था के प्रयासों के चलते अब इन महिलाओं की जिंदगी नए सिरे से रोशन हो रही है. यह महिलाएं गोबर के दीपक बनाकर जहां स्वदेशी को बढ़ावा दे रही हैं, साथ ही दीपक बनाकर पैसे कमा कर अपने आप को आर्थिक रूप से मजबूत कर रही हैं. इस बार विचार संस्था ने करीब 400 महिलाओं के जरिए 7 लाख दीपक तैयार किए हैं. जिनकी मांग पूरे देश से आ रही है. विचार संस्था स्वदेशी को बढ़ावा देने के लिए गोबर के उत्पादों को तैयार करने का काम कर रही है और भविष्य में योजना है कि करीब 10 हजार महिलाओं को स्वावलंबी बनाया जाए. (special story diwali 2022 )

colorful lamp
रंग बिरंगे दीपक

आत्मनिर्भर बन रही जरूरतमंद महिलाएं: सरकार द्वारा स्वदेशी को बढ़ावा देने के प्रयास की कड़ी में विचार संस्था द्वारा गोबर के उत्पाद बनाने की शुरुआत की गई. संस्था ने तय किया कि वह शहर की गरीब और जरूरतमंद महिलाओं को प्रशिक्षित करने के बाद कच्चा माल उपलब्ध कराकर गोबर के दीपक तैयार करवाकर बाजार के माध्यम से बेचेगी. इससे जो कमाई होगी, उस कमाई में महिलाओं के लिए दीपक तैयार करने के एक रुपए और दीपक डिजाइन करने के एक रुपए मिलेंगे. इस तरह एक महिला को एक दीपक तैयार करने पर 2 रुपए की कमाई होगी. इस साल विचार संस्था से 400 महिलाओं ने जोड़कर करीब 7 लाख दीपक तैयार किए हैं. यह दीपक देश के कई बड़े शहरों में भेजे गए हैं और इनकी मांग काफी बढ़ रही है. (diwali 2022 gobar deepak)

सागर में दीपक बना कर आत्मनिर्भर बन रही जरूरतमंद महिलाएं

बीड़ी बनाना छोड़कर, तैयार कर रहीं गोबर के दीपक: सागर के तिलक गंज वार्ड में रहने वाली राम ज्योति रैकवार अभी तक घर पर बीड़ी बनाकर छोटी मोटी कमाई करती थीं. जब उन्हें विचार संस्था के प्रयासों के बारे में पता चला, तो वह विचार संस्था से जुड़ीं और उन्होंने संस्था द्वारा कराई जाने वाले ट्रेनिंग लेने के बाद गोबर के उत्पाद बनाने का काम शुरू किया. राम ज्योति बताती हैं कि पहले वह बीड़ी बनाती थी, जिसमें कमाई भी कम होती थी और सेहत के लिए भी नुकसानदायक था, लेकिन पिछले 6 महीने से विचार संस्था की मदद से गोबर के दीपक बना रही हैं और दीपक बनाने के लिए संस्था द्वारा कच्चे माल के साथ साथ प्रशिक्षण भी दिया गया है. हमारे द्वारा बनाए गए उत्पादों को बेचने का काम भी व्यवस्था की गई है.

7 lakh lamps are prepared through 400 women in Sagar
सागर में 400 महिलाओं के जरिए 7 लाख दीपक किए तैयार
Sagarsagar vichar organization
सागर में दीपक बना कर आत्मनिर्भर बन रही जरूरतमंद महिलाएं

MP: मन्नत के बदले यहां चढ़ाए जाते हैं पत्थर, जानिए क्या है दरगाह में पत्थरों का राज

कई खूबियों वाला है गोबर का दीपक: विचार संस्था के प्रमुख कपिल मलैया बताते हैं कि "स्वदेशी को बढ़ावा देने के प्रयास में हमारी ये कोशिश है. हमारी संस्था ने गोबर के उत्पाद बनाने का काम शुरू किया है. इसकी शुरुआत गोबर के दीपक बनाने से की है. ये दीपक विशुद्ध गोबर का होने के साथ-साथ कई खूबियों वाले हैं. यह ना तो पानी में गलते हैं और ना ही आग में जलते हैं. पिछले साल हमने छोटे पैमाने पर इसकी शुरुआत की थी लेकिन इस बार से हमने 400 महिलाओं को इस प्रयास से जोड़कर करीब सात लाख दीपक तैयार किए हैं. पूरे देश से इन दीपक की काफी मांग आ रही है. हमारी कोशिश है कि इस काम को लगातार बढ़ाया जाए और भविष्य में हम गोबर के दीपक के अलावा कई उत्पाद तैयार करने का विचार कर रहे हैं." (sagar vichar origination)

sagar vichar organization
सागर में विचार संस्था की पहल ला रही रंग

10 हजार महिलाओं को जोड़ने का प्रयास: विचार संस्था द्वारा महिलाओं से सिर्फ दीपक नहीं बनवाए जाते हैं, बल्कि उनकी डिजाइनिंग भी करवाई जाती है. महिलाओं को दीपक डिजाइन करने का एक रुपए मिलता है और दीपक तैयार करने का भी एक मिलता है. इस तरह एक दीपक बनाने और डिजाइन करने के 2 रुपए इन महिलाओं को हासिल होते हैं. इसके अलावा विचार संस्था इन महिलाओं द्वारा गोबर के दीपक की पैकेजिंग और मार्केटिंग भी कराती है और उसमे अलग कमाई इन महिलाओं के लिए होती है. संस्था के प्रमुख कपिल मलैया कहते हैं कि स्वदेशी को बढ़ावा देने के साथ-साथ जरूरतमंद महिलाओं को एक ऐसे हुनर से जोड़ने का हमारा प्रयास है, जो उन्हें जिंदगी भर काम आए और उन्हें आत्मनिर्भर बनाएं. (gobar deepak made by women in sagar)

sagar vichar organization
स्वदेशी दीपक जलाकर जरूरतमंदों के घर भी करें रोशन

सागर। बुंदेलखंड का बीड़ी उद्योग से पुराना नाता है. खासकर बुंदेलखंड में कुटीर उद्योग के तौर पर बीड़ी बनाने का काम गरीब और जरूरतमंद महिलाएं अपने रोजाना के कामकाज को निपटाने के बाद करती हैं. स्थानीय विचार संस्था के प्रयासों के चलते अब इन महिलाओं की जिंदगी नए सिरे से रोशन हो रही है. यह महिलाएं गोबर के दीपक बनाकर जहां स्वदेशी को बढ़ावा दे रही हैं, साथ ही दीपक बनाकर पैसे कमा कर अपने आप को आर्थिक रूप से मजबूत कर रही हैं. इस बार विचार संस्था ने करीब 400 महिलाओं के जरिए 7 लाख दीपक तैयार किए हैं. जिनकी मांग पूरे देश से आ रही है. विचार संस्था स्वदेशी को बढ़ावा देने के लिए गोबर के उत्पादों को तैयार करने का काम कर रही है और भविष्य में योजना है कि करीब 10 हजार महिलाओं को स्वावलंबी बनाया जाए. (special story diwali 2022 )

colorful lamp
रंग बिरंगे दीपक

आत्मनिर्भर बन रही जरूरतमंद महिलाएं: सरकार द्वारा स्वदेशी को बढ़ावा देने के प्रयास की कड़ी में विचार संस्था द्वारा गोबर के उत्पाद बनाने की शुरुआत की गई. संस्था ने तय किया कि वह शहर की गरीब और जरूरतमंद महिलाओं को प्रशिक्षित करने के बाद कच्चा माल उपलब्ध कराकर गोबर के दीपक तैयार करवाकर बाजार के माध्यम से बेचेगी. इससे जो कमाई होगी, उस कमाई में महिलाओं के लिए दीपक तैयार करने के एक रुपए और दीपक डिजाइन करने के एक रुपए मिलेंगे. इस तरह एक महिला को एक दीपक तैयार करने पर 2 रुपए की कमाई होगी. इस साल विचार संस्था से 400 महिलाओं ने जोड़कर करीब 7 लाख दीपक तैयार किए हैं. यह दीपक देश के कई बड़े शहरों में भेजे गए हैं और इनकी मांग काफी बढ़ रही है. (diwali 2022 gobar deepak)

सागर में दीपक बना कर आत्मनिर्भर बन रही जरूरतमंद महिलाएं

बीड़ी बनाना छोड़कर, तैयार कर रहीं गोबर के दीपक: सागर के तिलक गंज वार्ड में रहने वाली राम ज्योति रैकवार अभी तक घर पर बीड़ी बनाकर छोटी मोटी कमाई करती थीं. जब उन्हें विचार संस्था के प्रयासों के बारे में पता चला, तो वह विचार संस्था से जुड़ीं और उन्होंने संस्था द्वारा कराई जाने वाले ट्रेनिंग लेने के बाद गोबर के उत्पाद बनाने का काम शुरू किया. राम ज्योति बताती हैं कि पहले वह बीड़ी बनाती थी, जिसमें कमाई भी कम होती थी और सेहत के लिए भी नुकसानदायक था, लेकिन पिछले 6 महीने से विचार संस्था की मदद से गोबर के दीपक बना रही हैं और दीपक बनाने के लिए संस्था द्वारा कच्चे माल के साथ साथ प्रशिक्षण भी दिया गया है. हमारे द्वारा बनाए गए उत्पादों को बेचने का काम भी व्यवस्था की गई है.

7 lakh lamps are prepared through 400 women in Sagar
सागर में 400 महिलाओं के जरिए 7 लाख दीपक किए तैयार
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कई खूबियों वाला है गोबर का दीपक: विचार संस्था के प्रमुख कपिल मलैया बताते हैं कि "स्वदेशी को बढ़ावा देने के प्रयास में हमारी ये कोशिश है. हमारी संस्था ने गोबर के उत्पाद बनाने का काम शुरू किया है. इसकी शुरुआत गोबर के दीपक बनाने से की है. ये दीपक विशुद्ध गोबर का होने के साथ-साथ कई खूबियों वाले हैं. यह ना तो पानी में गलते हैं और ना ही आग में जलते हैं. पिछले साल हमने छोटे पैमाने पर इसकी शुरुआत की थी लेकिन इस बार से हमने 400 महिलाओं को इस प्रयास से जोड़कर करीब सात लाख दीपक तैयार किए हैं. पूरे देश से इन दीपक की काफी मांग आ रही है. हमारी कोशिश है कि इस काम को लगातार बढ़ाया जाए और भविष्य में हम गोबर के दीपक के अलावा कई उत्पाद तैयार करने का विचार कर रहे हैं." (sagar vichar origination)

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सागर में विचार संस्था की पहल ला रही रंग

10 हजार महिलाओं को जोड़ने का प्रयास: विचार संस्था द्वारा महिलाओं से सिर्फ दीपक नहीं बनवाए जाते हैं, बल्कि उनकी डिजाइनिंग भी करवाई जाती है. महिलाओं को दीपक डिजाइन करने का एक रुपए मिलता है और दीपक तैयार करने का भी एक मिलता है. इस तरह एक दीपक बनाने और डिजाइन करने के 2 रुपए इन महिलाओं को हासिल होते हैं. इसके अलावा विचार संस्था इन महिलाओं द्वारा गोबर के दीपक की पैकेजिंग और मार्केटिंग भी कराती है और उसमे अलग कमाई इन महिलाओं के लिए होती है. संस्था के प्रमुख कपिल मलैया कहते हैं कि स्वदेशी को बढ़ावा देने के साथ-साथ जरूरतमंद महिलाओं को एक ऐसे हुनर से जोड़ने का हमारा प्रयास है, जो उन्हें जिंदगी भर काम आए और उन्हें आत्मनिर्भर बनाएं. (gobar deepak made by women in sagar)

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स्वदेशी दीपक जलाकर जरूरतमंदों के घर भी करें रोशन
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