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Sagar News: जैविक खेती से अच्छा मुनाफा कमा रहा किसान, कहा- अच्छी कीमत के लिए समय प्रबंधन जरूरी - हिन्दी मध्यप्रदेश न्यूज

रेहली विकासखंड के किसान विवेक नायक परंपरागत जैविक खेती की तरफ लौटे हैं. इस परंपरागत जैविक खेती से वह अच्छा मुनाफा कमा रहे हैं.

Sagar organic farming
जैविक खेती से अच्छा मुनाफा कमा रहा किसान
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Published : Mar 19, 2023, 3:55 PM IST

जैविक खेती से अच्छा मुनाफा कमा रहा किसान

सागर। रासायनिक खेती के चलते किसानों की कृषि और उद्यानिकी फसलों का उत्पादन जरूर बढ़ गया है, लेकिन इस खेती से जमीन की उर्वरा शक्ति खत्म हो रही है. दूसरी तरफ रासायनिक तरीके से उगाई गई फल सब्जियां खाकर आम आदमी कई बीमारियों को न्योता दे रहा है. ऐसे में जिले के रेहली विकासखंड के किसान विवेक नायक परंपरागत जैविक खेती की तरफ लौट कर अच्छा मुनाफा कमा रहे हैं. खास बात यह है कि, प्रगतिशील किसान विवेक नायक जैविक खेती का समय प्रबंधन ऐसा करते हैं कि, जब भी उनकी फसल आती है. उसके बेहतर दाम मिलते हैं.

परंपरागत खेती की तरफ लौटने की वजहः किसान विवेक नायक कहते हैं कि, बड़े पैमाने पर रासायनिक खेती करके किसानों ने जमीनों की उर्वरा शक्ति और उपजाऊ को खत्म कर लिया है. इसका असर यह हुआ है कि खेती की जमीन कठोर होती जा रही है. तेजी से उत्पादन गिर रहा है. यह देखकर मैंने सोचा कि क्यों न पुरानी परंपरागत जैविक खेती की तरफ लौटा जाए. इससे जमीन की उर्वरा शक्ति भी बढ़ेगी और खर्च भी कम होगा. जो दवाइयां जैविक खेती में उपयोग करते हैं, वह हम खुद बनाते हैं. इससे काफी खेती की लागत भी कम होती है और कमाई उतनी ही होती है. अगर आप रासायनिक खाद, बीज और दवाइयां खरीद कर डालेंगे और दूसरी तरफ जैविक तरीके से खाद बीज और दवाइयां तैयार करेंगे, जो कि गोबर से ही तैयार हो जाती हैं. तो आप की फसल की लागत भी कम होगी और उत्पादन भी अच्छा होगा.

फसल का समय प्रबंधन जरूरीः आमतौर पर किसान बड़े पैमाने पर सब्जी और फल फूल की खेती करते हैं, लेकिन आए दिन ऐसे नजारे देखने मिलते हैं कि उचित दाम न मिलने के कारण किसान अपनी फसल सड़कों पर फेंक देते हैं या जानवरों को खाने के लिए डाल देते हैं. इन हालातों से निपटने के लिए विवेक नायक का कहना है कि, किसान को पता नहीं रहता है कि हमने जो भी सब्जी लगाई है. जब इसकी फसल आएगी तो उसकी कीमत क्या होगी. आज बीज बोएंगे, तो कब फल देना शुरू होगा. कब बाजार में क्या कीमत मिलेगी. इसके लिए जरूरी है कि सबसे पहले रिसर्च और टेबल वर्क किया जाए. मैं पहले टेबल वर्क करता हूं कि आज अगर कोई बीज लगाऊंगा तो फसल कब तक आएगी और उस वक्त उसकी कीमत क्या होगी. आज जब लोग सब्जी का अच्छा दाम नहीं मिलने का रोना रो रहे हैं और कहते हैं कि सब्जी सस्ती हो गई है. तब मेरे पास कोई भी सस्ती सब्जी नहीं है. आज मेरे पास मिर्च, लौकी, बींस जैसी कई ऐसी सब्जियां हैं, जिनके काफी अच्छे दाम मिल रहे हैं. अगर आप विधिवत तरीके से टेबल वर्क करके काम करेंगे, तो कोई घाटा नहीं होगा.

Must Read:- ये भी पढ़ें... जैविक खेती के जुड़ी खबरें...

सब्जियों के मिलते हैं अच्छे दामः किसान विवेक नायक बताती है कि बाजार में जैविक और रासायनिक फसल की अलग पहचान रहती है. हमारे पास जो जैविक तरीके से उगाई गई सब्जियां हैं. उनका बिना फ्रिज के एक हफ्ते तक सिर्फ छाया में रखकर भंडारण किया जा सकता है. वह एक हफ्ते तक खराब नहीं होती हैं और इनका स्वाद रासायनिक तरीके से उगाई गई सब्जी से अलग होता है. जैविक तरीके से उगाई गई सब्जियों का एक बार आदमी उपयोग करेगा और पका कर खाएगा, तो उसे पता चल जाएगा कि यह जैविक है ना कि रासायनिक जैविक तरीके से उगाई गई सब्जी ना तो सड़ती है. न काली पड़ती है और मार्केट में भी प्रति किलो 10 रुपये और 15 रुपये ज्यादा दाम मिलते हैं.

जैविक खेती से अच्छा मुनाफा कमा रहा किसान

सागर। रासायनिक खेती के चलते किसानों की कृषि और उद्यानिकी फसलों का उत्पादन जरूर बढ़ गया है, लेकिन इस खेती से जमीन की उर्वरा शक्ति खत्म हो रही है. दूसरी तरफ रासायनिक तरीके से उगाई गई फल सब्जियां खाकर आम आदमी कई बीमारियों को न्योता दे रहा है. ऐसे में जिले के रेहली विकासखंड के किसान विवेक नायक परंपरागत जैविक खेती की तरफ लौट कर अच्छा मुनाफा कमा रहे हैं. खास बात यह है कि, प्रगतिशील किसान विवेक नायक जैविक खेती का समय प्रबंधन ऐसा करते हैं कि, जब भी उनकी फसल आती है. उसके बेहतर दाम मिलते हैं.

परंपरागत खेती की तरफ लौटने की वजहः किसान विवेक नायक कहते हैं कि, बड़े पैमाने पर रासायनिक खेती करके किसानों ने जमीनों की उर्वरा शक्ति और उपजाऊ को खत्म कर लिया है. इसका असर यह हुआ है कि खेती की जमीन कठोर होती जा रही है. तेजी से उत्पादन गिर रहा है. यह देखकर मैंने सोचा कि क्यों न पुरानी परंपरागत जैविक खेती की तरफ लौटा जाए. इससे जमीन की उर्वरा शक्ति भी बढ़ेगी और खर्च भी कम होगा. जो दवाइयां जैविक खेती में उपयोग करते हैं, वह हम खुद बनाते हैं. इससे काफी खेती की लागत भी कम होती है और कमाई उतनी ही होती है. अगर आप रासायनिक खाद, बीज और दवाइयां खरीद कर डालेंगे और दूसरी तरफ जैविक तरीके से खाद बीज और दवाइयां तैयार करेंगे, जो कि गोबर से ही तैयार हो जाती हैं. तो आप की फसल की लागत भी कम होगी और उत्पादन भी अच्छा होगा.

फसल का समय प्रबंधन जरूरीः आमतौर पर किसान बड़े पैमाने पर सब्जी और फल फूल की खेती करते हैं, लेकिन आए दिन ऐसे नजारे देखने मिलते हैं कि उचित दाम न मिलने के कारण किसान अपनी फसल सड़कों पर फेंक देते हैं या जानवरों को खाने के लिए डाल देते हैं. इन हालातों से निपटने के लिए विवेक नायक का कहना है कि, किसान को पता नहीं रहता है कि हमने जो भी सब्जी लगाई है. जब इसकी फसल आएगी तो उसकी कीमत क्या होगी. आज बीज बोएंगे, तो कब फल देना शुरू होगा. कब बाजार में क्या कीमत मिलेगी. इसके लिए जरूरी है कि सबसे पहले रिसर्च और टेबल वर्क किया जाए. मैं पहले टेबल वर्क करता हूं कि आज अगर कोई बीज लगाऊंगा तो फसल कब तक आएगी और उस वक्त उसकी कीमत क्या होगी. आज जब लोग सब्जी का अच्छा दाम नहीं मिलने का रोना रो रहे हैं और कहते हैं कि सब्जी सस्ती हो गई है. तब मेरे पास कोई भी सस्ती सब्जी नहीं है. आज मेरे पास मिर्च, लौकी, बींस जैसी कई ऐसी सब्जियां हैं, जिनके काफी अच्छे दाम मिल रहे हैं. अगर आप विधिवत तरीके से टेबल वर्क करके काम करेंगे, तो कोई घाटा नहीं होगा.

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सब्जियों के मिलते हैं अच्छे दामः किसान विवेक नायक बताती है कि बाजार में जैविक और रासायनिक फसल की अलग पहचान रहती है. हमारे पास जो जैविक तरीके से उगाई गई सब्जियां हैं. उनका बिना फ्रिज के एक हफ्ते तक सिर्फ छाया में रखकर भंडारण किया जा सकता है. वह एक हफ्ते तक खराब नहीं होती हैं और इनका स्वाद रासायनिक तरीके से उगाई गई सब्जी से अलग होता है. जैविक तरीके से उगाई गई सब्जियों का एक बार आदमी उपयोग करेगा और पका कर खाएगा, तो उसे पता चल जाएगा कि यह जैविक है ना कि रासायनिक जैविक तरीके से उगाई गई सब्जी ना तो सड़ती है. न काली पड़ती है और मार्केट में भी प्रति किलो 10 रुपये और 15 रुपये ज्यादा दाम मिलते हैं.

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