सागर। कोरोना महामारी की वजह से आर्थिक गतिविधियां काफी प्रभावित हुईं. डेढ़ साल में कई तरह के व्यवसाय ठप हो गए. लॉकडाउन अब जरूर हट गया है, लेकिन इसके बाद भी कई व्यवसाय पहले की तरह अभी तक रफ्तार नहीं पकड़ पाए हैं. लॉन्ड्री का काम तो पूरी तरह चौपट हो गया है. लोग संक्रमण के डर के मारे अब कपड़े धोने से लेकर इस्त्री करने का काम खुद ही कर रहे हैं. एक अनुमान के मुताबिक यह व्यवसाय अब सिर्फ 40 फीसदी ही बचा है. रिपोर्ट में जाने लॉन्ड्री व्यवसाय की मौजूदा स्थिति.
कोरोना काल में ठप हुआ धंधा
मार्च 2020 में जब कोरोना महामारी के कारण 2 महीने से ज्यादा का लॉकडाउन लगा था, तो छोटे-बड़े सभी व्यवसाय लगभग पूरी तरह ठप हो गए थे. जून महीने के बाद धीरे-धीरे लॉकडाउन खोला गया, लेकिन कई व्यवसाय ऐसे थे, जो लॉकडाउन के बाद भी पटरी पर नहीं आ सके. धोबियों की स्थिति तो इतनी बुरी हो गई थी कि वह दो वक्त की रोटी के लिए तक मोहताज हो गए. उम्मीद थी कि लॉकडाउन के बाद एक बार फिर गाड़ी पटरी पर आ जाएगी. अब लॉकडाउन तो खुल गया है, लेकिन व्यवसाय पहले से भी ज्यादा धीमा हो गया है. मौजूदा स्थिति में लॉन्ड्री व्यवसाय महज 40 फीसदी ही बचा है. ऐसे में इस व्यवसाय को करने वालों के सामने रोजी का संकट मंडराने लगा है.
छोटे-बड़े सभी लॉन्ड्री व्यवसायी परेशान
कपड़े धोने और इस्त्री करने वाले लोग छोटी दुकान के रूप में और एक बड़ी लॉन्ड्री के रूप में भी व्यवसाय करते हैं. छोटे दुकानदार जहां घर-घर से कपड़े इकट्ठे कर उनको धोने और इस्त्री करने का काम करते हैं. वहीं बड़े पैमाने पर लॉन्ड्री चलाने वाले लोग होटल, हॉस्पिटल, पुलिस और आर्मी जैसे संस्थानों के लिए काम करते हैं. छोटे पैमाने पर धंधा करने वाले ज्यादातर धोबी हर दिन कमाने-खाने वाले होते हैं. लेकिन अब संक्रमण के डर से लोगों ने कपड़े धुलवाना और इस्त्री करवाना तक बंद कर दिया है. वहीं होटल बंद होने के कारण, और अस्पतालों में डिस्पोजेबल चादर और बेड शीट के उपयोग होने से बड़े पैमाने पर भी लॉन्ड्री व्यवसाय ठप हो गया है.
नहीं मिली सरकारी मदद, राशन के लिए तक भटके
कोरोना काल में छोटे व्यापारियों के लिए सरकार द्वारा तरह-तरह की आर्थिक मदद का ऐलान किया गया था. लेकिन अव्यवस्थाओं के कारण ज्यादातर लोगों को इन योजनाओं और सुविधाओं का फायदा ही नहीं मिल सका. स्ट्रीट वेंडर्स के तौर पर मिलने वाले लोन के लिए भी बैंकों के चक्कर लगाने के अलावा कुछ हासिल नहीं हुआ. जो छोटे पैमाने पर व्यवसाय करते थे, वह दो वक्त की रोटी के लिए राशन दुकानों के चक्कर काटने के लिए मजबूर हो गए.
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कोरोना के डर से घर पर ही धो रहे कपड़े
पहले धोबियों से कपड़े धुलवाने और इस्त्री करवाने वाले ज्यादातर लोगों ने अब घर पर ही वाशिंग मशीन में कपड़े धोना और खुद इस्त्री करना शुरू कर दिया है. लोगों का मानना है कि कोरोना एक ऐसी बीमारी है, जिसका संक्रमण तेजी से फैलता है. इसका अभी तक कोई कारगर इलाज नहीं आया है. ऐसी स्थिति में जहां भी संक्रमण को लेकर शक की गुंजाइश हो, वहां बचाव ही बेहतर तरीका होता है. इन हालातों में लोग या तो वाशिंग मशीन से कपड़े धोते हैं या फिर अपने हाथों से कपड़े धोकर घर पर ही इस्त्री कर लेते हैं.