सागर। डॉ. हरिसिंह गौर वकालत के क्षेत्र में देश और दुनिया में जाना माना नाम थे. उन्होंने जीवन भर वकालत में काफी पैसा कमाया. लेकिन अंतिम दौर में उन्होंने अपनी जीवन की जमा पूंजी और संपत्ति दान करके बुंदेलखंड में आजादी के पहले विश्वविद्यालय की स्थापना कर दी. सागर विश्वविद्यालय देश का इकलौता विश्वविद्यालय है, जो किसी एक व्यक्ति के दान से बना है. इस विश्वविद्यालय की ख्याति दूर-दूर है. लेकिन आश्चर्य की बात है कि विश्वविद्यालय की स्थापना को 75 साल से ज्यादा वक्त बीत जाने के बाद भी वहां विश्वविद्यालय के संस्थापक के नाम की ही शोध पीठ स्थापित नहीं हो पाई है. निवर्तमान कुलपति आर पी तिवारी ने बड़े जोर शोर से सागर विश्वविद्यालय में डॉ गौर के नाम पर शोध पीठ स्थापित करने और युधिष्ठिर प्रयास करने की बात की थी. लेकिन कई साल बीत जाने के बाद आज तक पीठ स्थापित नहीं हो सकी है. हर साल डॉ. गौर की जयंती के अवसर पर ये मुद्दा उठता है और बड़े-बड़े आश्वासन दिए जाते हैं, लेकिन वक्त बीते ही यह मुद्दा ठंडे बस्ते में चला जाता है.
यूजीसी से नहीं मिल रहा फंड, ताक रहे दानदाताओं का मुंह: डॉ गौर के नाम पर शोध पीठ स्थापित करने के लिए विश्वविद्यालय ने विश्वविद्यालय अनुदान आयोग यूजीसी से फंड मांगा तोहिद उस ने साफ तौर पर कह दिया कि हम पहले ही दर्जनभर नाम तय कर चुके हैं और उन्हीं नामों पर पीठ स्थापित करने के लिए फंड दिया जा सकता हैं. विश्वविद्यालय ने अन्य पहलुओं पर विचार शुरू किया, तो यूजीसी से मदद ना मिलने की स्थिति में विश्वविद्यालय स्वयं या दानदाताओं की मदद से गौरव पीठ स्थापित करने पर विचार कर रहा है. हालात ये है कि एक महान दानी व्यक्ति के नाम पर पीठ स्थापित करने के लिए विश्वविद्यालय प्रबंधन दूसरे दानवीरों का मुंह ताक रहा है.
शिवराज सरकार से भी मदद की उम्मीद: डॉ. हरिसिंह गौर की 153 वी जयंती मध्य प्रदेश सरकार सागर गौरव दिवस के रूप में मनाने जा रही है. इसके लिए 3 दिन का गौर उत्सव भी आयोजित किया जा रहा है और शहर को दीपावली की तरह रोशन करने की तैयारी है. गौर जयंती पर होने वाले इस सागर गौरव दिवस पर मुख्यमंत्री शिवराज सिंह भी सागर आने वाले हैं. उम्मीद की जा रही है कि उनके सामने गौर शोध पीठ स्थापित करने का मुद्दा उठाया जा सकता है और मध्य प्रदेश सरकार से भी मदद ली जा सकती है. हालांकि केंद्र में भी भाजपा की सरकार है और मानव संसाधन विकास मंत्रालय के हस्तक्षेप से केंद्र से भी अनुदान मिल सकता है.
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क्या कहना है विश्वविद्यालय के कुलपति का: विश्वविद्यालय की कुलपति प्रो. डॉ नीलिमा गुप्ता कहती हैं कि डॉ. गौर के नाम पर पीठ स्थापित करने के बारे में हम लगातार प्रयास कर रहे हैं और सोच रहे हैं कि कैसे पीठ स्थापित करें. यह पीठ स्ववित्तपोषित होगी या पूरी तरह से वित्त पोषित होगी, इसके बारे में भी विचार विमर्श किया जा रहा है. जहां तक डॉ. हरिसिंह गौर के नाम पर पीठ शुरू करने की बात है तो हम एक कमरे में भी शुरू कर सकते हैं. लेकिन हम डॉ. गौर का इतना मान सम्मान करते हैं, उसके अनुसार मुझे लगता है कि इसे भव्य तरीके से शुरू किया जाना चाहिए. इसके लिए हमने एक कमेटी भी गठित की है, जो लगातार काम कर रही है.
यूजीसी से फंड मिलने का इंतेजार: हमारी कोशिश है कि हम गौर जयंती के पहले इसके बारे में निर्णय ले लें. हमने यूजीसी में भी प्रस्ताव भेजा था और वहां बातचीत की. लेकिन हमें पता चला कि वहां पहले ही दर्जनभर पीठ तय कर दी गई हैं, जिनमें दीनदयाल उपाध्याय और अंबेडकर पीठ जैसे नाम तय हैं. डॉ. हरिसिंह गौर पीठ मध्य प्रदेश के लिए बहुत महत्वपूर्ण है और वह एक राष्ट्रीय स्तर का व्यक्तित्व हैं. मैंने बात की है कि अगर यूजीसी से हमें फंड मिल जाता है, तो हमें किसी तरह की कोई कमी नहीं होगी. हम इसके लिए प्रयास कर रहे हैं और अगर हमें सफलता नहीं मिलती है या देरी होती है, तो हम विश्वविद्यालय स्तर और जो दानदाता हैं उनकी मदद से यह पीठ शुरू करेंगे. कमेटी इन सब बिंदुओं पर विचार कर रही है.