सागर। डॉक्टर हरीसिंह गौर की 153वीं जयंती के अवसर पर गौर उत्सव और सागर गौरव दिवस कार्यक्रम का आयोजन किया गया. विश्वविद्यालय के पूर्व छात्र फिल्म अभिनेता आशुतोष राणा का विद्यार्थियों के साथ संवाद स्वर्ण जयंती सभागार में आयोजित किया गया. कार्यक्रम की अध्यक्षता कुलपति प्रोफेसर नीलिमा गुप्ता ने की. अभिनेता आशुतोष राणा के सहपाठी डॉ. मनोज शर्मा और विश्वविद्यालय के कुलसचिव संतोष सोहगौरा ने चौपाल पर प्रश्नोत्तरी के माध्यम से संवाद सत्र का संयोजन किया.
डॉक्टर गौर विचार के रूप में है स्थापित: डॉक्टर गौर के जीवन से प्रभावित होने के सवाल पर आशुतोष राणा ने कहा कि, डॉक्टर गौर एक व्यक्ति से व्यक्तित्व बने. उन्होंने अपनी पूंजी से विश्वविद्यालय की स्थापना की और आज हम सबके बीच वे एक विचार के रूप में स्थापित हैं. उन्होंने सागर विश्वविद्यालय को स्थापित कर यहां शिक्षा की नींव रखी(Ashutosh Rana reach doctor harisingh university). आशुतोष राणा ने डॉ. गौर को शिक्षक के रूप में सराहा और कहा कि सच्चे अर्थों में शिक्षित व्यक्ति वही है जो सम्पूर्ण समाज को शिक्षित करता है. यही कार्य डॉ. गौर ने इस विश्वविद्यालय के माध्यम से किया.
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राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय जैसा संस्थान हो स्थापित: कुलपति प्रोफेसर नीलिमा गुप्ता ने आशुतोष राणा से संवाद करते हुए विश्वविद्यालय से छात्र जीवन में उनकी अपेक्षाएं, सपने और विश्वविद्यालय की बेहतरी के लिए सुझाव भी मांगे. उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय स्तर की प्रतियोगिता या कार्यक्रम में प्रतिनिधित्व का सपना वे देखते थे, जिसमें वे युवा उत्सव, एन.एस.एस के माध्यम से भाग लेते थे.
असफलता जैसी कोई चीज नहीं: आशुतोष राणा ने विद्यार्थियों के सवाल जैसे निरंतर प्रयास करने के बावजूद सफलता न मिलना और आध्यात्मिकत चिंतन को कैसे बढ़ाये जैसे प्रश्नों के सरलता से उत्तर दिया(Sagar gaurav diwas). उन्होंने कहा कि असफलता जैसी कोई चीज नहीं होती. हमें बस इच्छित फल प्राप्त नहीं होता है. नियति को स्वीकारते हुए हमें प्रकृति पर भरोसा करना चाहिए कि इससे कुछ और बेहतर होगा.