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अभिनेता मुकेश तिवारी ने किया छात्रों से संवाद, बोले-बुंदेलखंड के युवाओं को आगे बढ़ाने में डॉ. गौर का हाथ

सागर विश्वविद्यालय के संस्थापक डॉ हरीसिंह गौर की जयंती के अवसर पर "सागर गौरव दिवस" के आयोजन में आज फिल्म अभिनेता मुकेश तिवारी का 'विद्यार्थियों के साथ सीधा संवाद किया. इस विश्वविद्यालय से हर क्षेत्र के विज्ञान से लेकर सिने जगत के महान कलाकार निकले हैं.

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Published : Nov 28, 2022, 4:02 PM IST

hari singh gaur jayanti
मुकेश तिवारी ने किया संवाद

सागर। सागर विश्वविद्यालय के संस्थापक डॉ हरीसिंह गौर की जयंती के अवसर पर "सागर गौरव दिवस" के आयोजन में आज फिल्म अभिनेता मुकेश तिवारी का 'विद्यार्थियों के साथ सीधा संवाद' स्वर्ण जयंती सभागार में आयोजित किया गया. कुलपति प्रोफेसर नीलिमा गुप्ता ने कहा कि डॉ गौर को उनके योगदान के लिए हम एक दिन या एक सप्ताह नहीं, बल्कि जीवन भर याद करेंगे एवं उनके उद्देश्य को पूरा करेंगे. इस विश्वविद्यालय से हर क्षेत्र के विज्ञान से लेकर सिने जगत के महान कलाकार निकले हैं. उन्होंने कहा कि मुकेश तिवारी जैसे एलुमनाई विवि को अपना मान कर इससे जुड़े हैं. आशा है कि आज के विद्यार्थी भी ऐसे ही इस विश्वविद्यालय से हमेशा जुड़े रहेंगे.

मुकेश तिवारी ने किया छात्रों से संवाद

डॉ गौर को अपने सपनों की खूबसूरती से प्यार था: फिल्म अभिनेता मुकेश तिवारी ने डॉ गौर के बारे में अपने विचारों को साझा करते हुए कहा कि डॉ गौर के चिंतन की संवेदनशीलता को समझने की आज हमें ज़रूरत है. जिन्होंने उस वक्त, भारत के एक ऐसे क्षेत्र में विश्वविद्यालय की स्थापना की. जहां न कोई उद्योग लगाने की इच्छा रखता था, न ही अपनी बेटी की शादी करवाने की. उन्होंने यहां के युवाओं को अपने पैरों पर खड़ा करने हेतु महादान दिया. उनके दृष्टिकोण में डॉ गौर ऐसे व्यक्ति थे, जिन्हें अपने सपनों की खूबसूरती पर पूरा यकीन था. डॉ गौर के प्रेरणादायक व्यक्तित्व के बारे में उल्लेख करते हुए कहा कि डॉ गौर सभी के जीवन का अभिन्न अंग होना चाहिए. उनका व्यक्तित्व सिर्फ एक दिन को याद करने के लिए नहीं है. उन्होंने विवि प्रशासन से अनुरोध किया कि डॉ गौर के ऊपर एक लाइट एंड साउंड शो बनना चाहिए. जिसे सप्ताहांत में सुनाया जाए,ताकि उनके योगदान को लम्बे समय तक लोग याद रख पायें.

hari singh gaur jayanti
मुकेश तिवारी ने किया संवाद

Saga Gaurav Diwas पाठ्यपुस्तक में शामिल होगी डॉ गौर की जीवनी, भारतरत्न के लिए करेंगे प्रयास- CM शिवराज

सिनेमाघरों की कमी के कारण नहीं बढ़ रहा बुंदेली सिनेमा: फिल्मी से जुड़ी बातों को साझा करते हुए उन्होंने बताया कि ‘चाइनागेट’ में निगेटिव रोल के बाद उनके पास 1-2 साल तक काम ही नहीं था, यह सभी कलाकारों के संघर्ष का हिस्सा होता है. उन्होंने बुंदेली सिनेमा पर अपने विचार रखते हुए कहा कि बुंदेलखंड में सिनेमाघरों की कमी है, जिससे इसका प्रदर्शन कम होता है. इस कारण बुंदेली सिनेमा आगे नहीं बढ़ पा रहा है. अधिकांश चर्चित हिट फिल्मों में बोली का ही प्रयोग किया जाता है, क्योंकि बोली से भाव अभिव्यक्त होते हैं. जबकि भाषा सिर्फ विद्वता दर्शाती है. उन्होंने कहा कि मुंबई जैसी नगरी मैंने अपने बुंदेली मानुष को जगाये रखा, क्योंकि वह जब भी पहली बार स्क्रिप्ट पढ़ते हैं,उस को बुंदेली लहजे में पढ़ते हैं.

नहीं बढ़ रहा बुंदेली सिनेमा

बधाई नृत्य कर बांधा समां: सागर विश्वविद्यालय की कौन सी छवि उनको याद आती है, जहां से वह पढ़े है ? इसके जवाब में उन्होंने कहा कि इस विश्वविद्यालय की छवि उनके लिए एक परिवार की तरह है, न की एक विश्वविद्यालय की तरह है. इस विवि के लोग संर्वागीण विकास की ओर केंद्रित रहते थे. उन्होंने बताया की जब वे गणित विषय में फेल हुए,तब उन्हें समझ आया कि उन्हें कला संकाय से जुड़ना चाहिए. सिनेमा के नए स्वरूप और इसकी बढ़ती बाजारवादी प्रवृत्ति पर भी उन्होंने विचार व्यक्त किये. विश्वविद्यालय के छात्र कलाकारों के साथ मुकेश तिवारी ने बधाई नृत्य भी किया. फिल्म चाइनागेट का चर्चित डायलाग भी सुनाया.

सागर। सागर विश्वविद्यालय के संस्थापक डॉ हरीसिंह गौर की जयंती के अवसर पर "सागर गौरव दिवस" के आयोजन में आज फिल्म अभिनेता मुकेश तिवारी का 'विद्यार्थियों के साथ सीधा संवाद' स्वर्ण जयंती सभागार में आयोजित किया गया. कुलपति प्रोफेसर नीलिमा गुप्ता ने कहा कि डॉ गौर को उनके योगदान के लिए हम एक दिन या एक सप्ताह नहीं, बल्कि जीवन भर याद करेंगे एवं उनके उद्देश्य को पूरा करेंगे. इस विश्वविद्यालय से हर क्षेत्र के विज्ञान से लेकर सिने जगत के महान कलाकार निकले हैं. उन्होंने कहा कि मुकेश तिवारी जैसे एलुमनाई विवि को अपना मान कर इससे जुड़े हैं. आशा है कि आज के विद्यार्थी भी ऐसे ही इस विश्वविद्यालय से हमेशा जुड़े रहेंगे.

मुकेश तिवारी ने किया छात्रों से संवाद

डॉ गौर को अपने सपनों की खूबसूरती से प्यार था: फिल्म अभिनेता मुकेश तिवारी ने डॉ गौर के बारे में अपने विचारों को साझा करते हुए कहा कि डॉ गौर के चिंतन की संवेदनशीलता को समझने की आज हमें ज़रूरत है. जिन्होंने उस वक्त, भारत के एक ऐसे क्षेत्र में विश्वविद्यालय की स्थापना की. जहां न कोई उद्योग लगाने की इच्छा रखता था, न ही अपनी बेटी की शादी करवाने की. उन्होंने यहां के युवाओं को अपने पैरों पर खड़ा करने हेतु महादान दिया. उनके दृष्टिकोण में डॉ गौर ऐसे व्यक्ति थे, जिन्हें अपने सपनों की खूबसूरती पर पूरा यकीन था. डॉ गौर के प्रेरणादायक व्यक्तित्व के बारे में उल्लेख करते हुए कहा कि डॉ गौर सभी के जीवन का अभिन्न अंग होना चाहिए. उनका व्यक्तित्व सिर्फ एक दिन को याद करने के लिए नहीं है. उन्होंने विवि प्रशासन से अनुरोध किया कि डॉ गौर के ऊपर एक लाइट एंड साउंड शो बनना चाहिए. जिसे सप्ताहांत में सुनाया जाए,ताकि उनके योगदान को लम्बे समय तक लोग याद रख पायें.

hari singh gaur jayanti
मुकेश तिवारी ने किया संवाद

Saga Gaurav Diwas पाठ्यपुस्तक में शामिल होगी डॉ गौर की जीवनी, भारतरत्न के लिए करेंगे प्रयास- CM शिवराज

सिनेमाघरों की कमी के कारण नहीं बढ़ रहा बुंदेली सिनेमा: फिल्मी से जुड़ी बातों को साझा करते हुए उन्होंने बताया कि ‘चाइनागेट’ में निगेटिव रोल के बाद उनके पास 1-2 साल तक काम ही नहीं था, यह सभी कलाकारों के संघर्ष का हिस्सा होता है. उन्होंने बुंदेली सिनेमा पर अपने विचार रखते हुए कहा कि बुंदेलखंड में सिनेमाघरों की कमी है, जिससे इसका प्रदर्शन कम होता है. इस कारण बुंदेली सिनेमा आगे नहीं बढ़ पा रहा है. अधिकांश चर्चित हिट फिल्मों में बोली का ही प्रयोग किया जाता है, क्योंकि बोली से भाव अभिव्यक्त होते हैं. जबकि भाषा सिर्फ विद्वता दर्शाती है. उन्होंने कहा कि मुंबई जैसी नगरी मैंने अपने बुंदेली मानुष को जगाये रखा, क्योंकि वह जब भी पहली बार स्क्रिप्ट पढ़ते हैं,उस को बुंदेली लहजे में पढ़ते हैं.

नहीं बढ़ रहा बुंदेली सिनेमा

बधाई नृत्य कर बांधा समां: सागर विश्वविद्यालय की कौन सी छवि उनको याद आती है, जहां से वह पढ़े है ? इसके जवाब में उन्होंने कहा कि इस विश्वविद्यालय की छवि उनके लिए एक परिवार की तरह है, न की एक विश्वविद्यालय की तरह है. इस विवि के लोग संर्वागीण विकास की ओर केंद्रित रहते थे. उन्होंने बताया की जब वे गणित विषय में फेल हुए,तब उन्हें समझ आया कि उन्हें कला संकाय से जुड़ना चाहिए. सिनेमा के नए स्वरूप और इसकी बढ़ती बाजारवादी प्रवृत्ति पर भी उन्होंने विचार व्यक्त किये. विश्वविद्यालय के छात्र कलाकारों के साथ मुकेश तिवारी ने बधाई नृत्य भी किया. फिल्म चाइनागेट का चर्चित डायलाग भी सुनाया.

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