सागर। अपराध की दुनिया में एक बार कदम रखने वाले कई बार चाहकर भी गुनाहों की चारदीवारी से बाहर नहीं निकल पाते. ज्यादातर मामलों में सुनने मिलता है कि कोई काम धंधा ना मिलने की वजह से लोगों को ना चाहकर भी अपराध का रास्ता अपनाना पड़ता है. लेकिन बदलते वक्त के साथ अपराधियों को सजा के साथ ऐसे हुनर सिखाए जा रहे है, जो जेल में हुनर के साथ कमाई का मौका भी दे रहे हैं.
कैदियों को औद्योगिक प्रशिक्षण : सागर केंद्रीय जेल में करीब 500 कैदी अलग-अलग तरह के कौशल विकास के प्रशिक्षण प्राप्त कर रहे हैं. जिनमें सिलाई, बुनाई, स्क्रीन और ऑफसेट प्रिंटिंग, फर्नीचर और लोहारी का भी काम है. इसके अलावा जेल विभाग में जैन समाज के सहयोग से हथकरघा केंद्र भी संचालित होता है. जिसमें कैदी खादी के वस्त्र तैयार करना सीख रहे हैं. खास बात ये है कि इन सभी कामों को सीखने के बाद कैदी सरकारी और गैर सरकारी आर्डर पर काम भी करते हैं और जेल विभाग के लिए कमाई करके भी देते हैं. सागर केंद्रीय जेल में विभिन्न विभागों की वर्दी की सिलाई और स्टेशनरी प्रिंटिंग का काम बड़े पैमाने पर होता है, जिसे जेल विभाग के प्रशिक्षित कैदी कर रहे हैं.
कमाई भी कर रहा है जेल विभाग : खास बात ये है कि सागर केंद्रीय जेल में संचालित विभिन्न उद्योगों में प्रशिक्षण प्राप्त कर रहे करीब 500 कैदियों में से कई कैदी काफी हुनरमंद हो गए हैं. जेल विभाग द्वारा कैदियों के सहारे सरकारी और गैर सरकारी काम के ऑर्डर भी लिए जा रहे हैं. प्रमुख तौर पर सरकारी विभागों की स्टेशनरी तैयार करने के अलावा यूनिफॉर्म वाले विभागों की वर्दी तैयार करने का काम यहां की कैदी कर रहे हैं. पिछले वित्तीय वर्ष में सागर केंद्रीय जेल के कैदी करीब 9 लाख रुपए कम मुनाफा अगस्त 2023 की स्थिति तक कमा चुके हैं. जेल विभाग ने उद्योग के काम के लिए 40 लाख रुपए मुहैया कराए थे. कैदियों ने अपने हुनर के दम पर अब तक 49 लाख रुपए कमा लिए हैं. जिनमें 9 लाख शुद्ध मुनाफा है और मौजूदा वित्तीय वर्ष का काम अभी जारी है.
कैदी बन रहे हुनरमंद : जेल में सजा के दौरान तमाम तरह की प्रिंटिंग का काम सीख चुके सादिक बताते हैं कि सजा के बाद जेल में ही प्रिंटिंग का काम सीखा है. स्क्रीन प्रिंटिंग, आफसेट प्रिटिंग के अलावा वाइंडिंग का भी काम सीख लिया है. सरकारी विभागों के दस्तावेज और बिल बुक वगैरह हम ही लोग तैयार करते हैं. हमें भी जेल विभाग के नियम अनुसार काम करने का पैसा मिलता है. प्रिंटिंग का पूरा काम मुझे आने लगा है और सजा खत्म हो जाने के बाद इसे व्यवसाय के रूप में शुरू करूंगा.
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क्या कहता है जेल विभाग : केंद्रीय जेल अधीक्षक दिनेश नरवाडरे बताते हैं कि किसी भी कैदी को जब सजा सुनाई जाती है, तो वह सश्रम या बिना श्रम के सुनाई जाती है. सश्रम का अर्थ होता है कि वह सजा के साथ जेल में काम भी करेगा. शासन की कोशिश होती है कि जो आदमी जेल के अंदर काम कर रहा है उसे अच्छी तरह प्रशिक्षित किया जाए ताकि जब वह छूट कर जाए, तो अपने आप को पुनर्स्थापित कर सके. इसके लिए बहुत सारे कौशल विकास की ट्रेड में प्रशिक्षण किया जाता है. शासकीय विभागों और निजी जरूरत की सामग्रियों का उत्पादन प्रशिक्षित कैदियों द्वारा किया जाता है. जिसमें सिलाई, बढ़ाई, लोहारी कारखाना और प्रिंटिंग का काम होता है इसके अलावा जैन समाज के सहयोग से हथकरघा केंद्र भी चलाया जा रहा है. लगभग 500 कैदी सागर केंद्रीय जेल में ऐसी है, जिन्हें जेल उद्योग में प्रशिक्षण और उत्पादन के काम में लगाया गया है. पिछले साल इन कैदियों ने 9 लाख का मुनाफा कमाया है.