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होली के मौके पर महाकवि पद्माकर घाट पर कवि सम्मेलन, कुलपति दीपक तिवारी ने भी दी प्रस्तुति

रंगों के त्योहार होली पर महान कवि पद्माकर के घाट पर कवि सम्मेलन का आयोजन किया गया. जहां महाकवि पद्माकर की मूर्ति पर माल्यार्पण कर और गुलाल लगाकर होली की शुरुआत की गई. इस अवसर पर माखनलाल चतुर्वेदी विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ.दीपक तिवारी ने भी कार्यक्रम में शिरकत किया.

एमपी न्यूज
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Published : Mar 22, 2019, 12:18 AM IST

सागर । रंगों के त्योहार होली पर महान कवि पद्माकर के घाट पर कवि सम्मेलन का आयोजन किया गया. जहां महाकवि पद्माकर की मूर्ति पर माल्यार्पण कर और गुलाल लगाकर होली की शुरुआत की गई. इस अवसर पर माखनलाल चतुर्वेदी विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ.दीपक तिवारी ने भी कार्यक्रम में शिरकत किया.


अंचल के साहित्यकार और नागरिक गण कवि पद्माकर की कर्म स्थली चकरा घाट पर हर साल कवि पद्माकर का अभिषेक और तिलक लगाकर ही होली की शुरुआत की जाती है. जिसके बाद सभी ने आपस में रंग गुलाल लगाकर होली पर्व की शुभकामनाएं दी. इस मौके पर अपने ग्रह जिला पहुंचे दीपक तिवारी ने अपनी रचनाएं सुनाई.

sagar


सागर की ऐतिहासिक सागर झील के किनारे चकरा घाट पर महा कवि पद्माकर की कर्म स्थली है.यहां उनकी लिखी फाग आज भी जनमानस में बसी है. यही कारण है कि उन की जन्मस्थली सागर में तालाब किनारे हैं हर साल होली के मौके पर विभिन्न संस्थाओं से जुड़े साहित्यकार कवि पद्माकर की याद में कार्यक्रम का आयोजन किया था.

सागर । रंगों के त्योहार होली पर महान कवि पद्माकर के घाट पर कवि सम्मेलन का आयोजन किया गया. जहां महाकवि पद्माकर की मूर्ति पर माल्यार्पण कर और गुलाल लगाकर होली की शुरुआत की गई. इस अवसर पर माखनलाल चतुर्वेदी विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ.दीपक तिवारी ने भी कार्यक्रम में शिरकत किया.


अंचल के साहित्यकार और नागरिक गण कवि पद्माकर की कर्म स्थली चकरा घाट पर हर साल कवि पद्माकर का अभिषेक और तिलक लगाकर ही होली की शुरुआत की जाती है. जिसके बाद सभी ने आपस में रंग गुलाल लगाकर होली पर्व की शुभकामनाएं दी. इस मौके पर अपने ग्रह जिला पहुंचे दीपक तिवारी ने अपनी रचनाएं सुनाई.

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सागर की ऐतिहासिक सागर झील के किनारे चकरा घाट पर महा कवि पद्माकर की कर्म स्थली है.यहां उनकी लिखी फाग आज भी जनमानस में बसी है. यही कारण है कि उन की जन्मस्थली सागर में तालाब किनारे हैं हर साल होली के मौके पर विभिन्न संस्थाओं से जुड़े साहित्यकार कवि पद्माकर की याद में कार्यक्रम का आयोजन किया था.

Intro:महा कवि पद्माकर के घाट पर कवियों ने मनाया होली का त्योहार


माखनलाल चतुर्वेदी पत्रकारिता विश्वविद्यालय के कुलपति भी हुए कार्यक्रम में शामिल


सागर । प्रदेश के बुंदेलखंड अंचल में होली और धुरेड़ी कि अपनी ही परंपराएं हैं, लोकगीत फागों का प्रचलन तो है ही देश के महान कवि पद्माकर को याद करने की परंपरा इस अंचल में हमेशा से रही है जिसे अंचल के कवि आज भी बनाए हुए हैं बुंदेलखंड अंचल के साहित्यकार और नागरिक गण कवि पद्माकर की कर्म स्थली चकरा घाट पर हर साल कवि पद्माकर का अभिषेक और तिलक लगाकर होली के धुरेड़ी की शुरुआत करते हैं इसके बाद सभी आपस में रंग गुलाल लगाकर रंगो का यह पर्व मनाते हैं इस साल भी साहित्यकारों ने इस परंपरा को बदस्तूर जारी रखते हुए महा कवि पद्माकर की मूर्ति पर माल्यार्पण कर उन्हें गुलाल लगाकर होली की शुरुआत की इस मौके पर आज अपने ग्रह नगर सागर में पहुंचे माखनलाल चतुर्वेदी विश्वविद्यालय के कुलपत डॉक्टर दीपक तिवारी ने भी शिरकत की और अपनी रचनाएं सुनाएं, दरअसल सागर की ऐतिहासिक सागर झील के किनारे चकरा घाट पर महा कवि की कर्म स्थली है यहां उनकी लिखी फाग आज भी जनमानस में बसी है उन की जन्मस्थली सागर में तालाब किनारे हैं सागर की विभिन्न संस्थाओं से जुड़े साहित्यकार आज होली के दूसरे दिन धुरेड़ीपर चकरा घाट पर उनकी प्रतिमा की साफ सफाई कर उनको फूल माला पहनाकर उनको रंग गुलाल लगाकर होली के इस दिन की शुरुआत करते हैं इस मौके पर कवियों साहित्यकारों की भीड़ जुड़े अनेक कवियों ने भाग कर अपनी परंपरा को बनाए रखा एक दूसरे को रंग गुलाल लगाकर होली मिलन का आनंद उठाया चकरा घाट पर साहित्यकारों ने महा कवि पद्माकर के समक्ष होली की शुरुआत की इस मौके पर विभिन्न अनेक कवि और साहित्य संस्थाओं के पदाधिकारी मौजूद रहे


वाइट- मणिकांत चौबे मध्यप्रदेश हिंदी साहित्य सम्मेलन पदाधिकारी

बाइट -दीपक तिवारी कुलपति माखनलाल चतुर्वेदी विश्वविद्यालय भोपाल


Body:महा कवि पद्माकर के घाट पर कवियों ने मनाया होली का त्योहार


माखनलाल चतुर्वेदी पत्रकारिता विश्वविद्यालय के कुलपति भी हुए कार्यक्रम में शामिल


सागर । प्रदेश के बुंदेलखंड अंचल में होली और धुरेड़ी कि अपनी ही परंपराएं हैं, लोकगीत फागों का प्रचलन तो है ही देश के महान कवि पद्माकर को याद करने की परंपरा इस अंचल में हमेशा से रही है जिसे अंचल के कवि आज भी बनाए हुए हैं बुंदेलखंड अंचल के साहित्यकार और नागरिक गण कवि पद्माकर की कर्म स्थली चकरा घाट पर हर साल कवि पद्माकर का अभिषेक और तिलक लगाकर होली के धुरेड़ी की शुरुआत करते हैं इसके बाद सभी आपस में रंग गुलाल लगाकर रंगो का यह पर्व मनाते हैं इस साल भी साहित्यकारों ने इस परंपरा को बदस्तूर जारी रखते हुए महा कवि पद्माकर की मूर्ति पर माल्यार्पण कर उन्हें गुलाल लगाकर होली की शुरुआत की इस मौके पर आज अपने ग्रह नगर सागर में पहुंचे माखनलाल चतुर्वेदी विश्वविद्यालय के कुलपत डॉक्टर दीपक तिवारी ने भी शिरकत की और अपनी रचनाएं सुनाएं, दरअसल सागर की ऐतिहासिक सागर झील के किनारे चकरा घाट पर महा कवि की कर्म स्थली है यहां उनकी लिखी फाग आज भी जनमानस में बसी है उन की जन्मस्थली सागर में तालाब किनारे हैं सागर की विभिन्न संस्थाओं से जुड़े साहित्यकार आज होली के दूसरे दिन धुरेड़ीपर चकरा घाट पर उनकी प्रतिमा की साफ सफाई कर उनको फूल माला पहनाकर उनको रंग गुलाल लगाकर होली के इस दिन की शुरुआत करते हैं इस मौके पर कवियों साहित्यकारों की भीड़ जुड़े अनेक कवियों ने भाग कर अपनी परंपरा को बनाए रखा एक दूसरे को रंग गुलाल लगाकर होली मिलन का आनंद उठाया चकरा घाट पर साहित्यकारों ने महा कवि पद्माकर के समक्ष होली की शुरुआत की इस मौके पर विभिन्न अनेक कवि और साहित्य संस्थाओं के पदाधिकारी मौजूद रहे


वाइट- मणिकांत चौबे मध्यप्रदेश हिंदी साहित्य सम्मेलन पदाधिकारी

बाइट -दीपक तिवारी कुलपति माखनलाल चतुर्वेदी विश्वविद्यालय भोपाल


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