सागर। राष्ट्रीय बाल संरक्षण आयोग के अध्यक्ष प्रियंक कानूनगो ने 8 मई को सागर के श्यामपुरा स्थित सेंट फ्रांसिस सेवाधाम आश्रम का दौरा किया था. दौरे के बाद उन्होंने कहा कि धार्मिक परीक्षा से संबंधित कुछ पेपर मिले हैं और एक ही जगह बच्चों को कई सालों तक रखना और धर्म विशेष की प्रार्थना और पूजा अर्चना करवाकर धीरे-धीरे इनकी आदत में शामिल किया जा रहा है. उन्होंने बताया कि आयोग को एक लड़की की जानकारी मिली है, जो इस आश्रम में जब दाखिल हुई थी तब उसका नाम हिन्दू था और अब जब बालिग हो चुकी है, तो उसका नाम क्रिश्चियन हो गया है.
चार सदस्यीय टीम ने किया निरीक्षण : सेवाधाम आश्रम के खिलाफ हुई शिकायत को लेकर राष्ट्रीय बाल संरक्षण आयोग की चार सदस्यीय टीम निरीक्षण करने पहुंची. टीम में आयोग के अध्यक्ष प्रियंक कानूनगो के अलावा सदस्य ओंकार सिंह, डॉ.निवेदिता शर्मा और रेखा पवार शामिल थी. अध्यक्ष ने बताया कि सेवाधाम की जांच में बहुत सी खामियां मिली हैं. आश्रम तीन अलग-अलग प्रकार के संस्थान संचालित मिले हैं. सबसे ज़्यादा अनियमितता बालक एवं बालिका छात्रवास में मिली है. एक ही छात्रावास में लड़के और लड़कियां दोनों रह रही थीं. किशोर न्याय में बालक एवं बालिकाओं के लिए छात्रावास अलग-अलग होते हैं। लेकिन इनके यहां पर एक बालक छात्रावास था, जिसमें बालिकाएं भी रह रही थीं. जिसकी जानकारी उनके पास नहीं थी, एक पंजीयन पर दो संस्थान चल रहे थे. एक कमरे से शराब की बोतलें मिली हैं.
महिला एवं बाल विकास विभाग पर आरोप : सागर विधायक शैलेंद्र जैन ने राष्ट्रीय बाल संरक्षण आयोग के निरीक्षण के बाद हुए खुलासे पर गंभीर चिंता व्यक्त करते हुए कहा है कि मुझे लगता है कि इन संस्थाओं को विभाग के अधिकारियों का परोक्ष रूप से संरक्षण प्राप्त है. उन्होंने कहा कि जिस तरह की परिस्थितियां आयोग के दौरे में सामने आए हैं और जिस तरह की स्थितियों के बारे में आयोग ने खुलासा किया है तो यह काफी चिंताजनक है. यह मामला काफी संगीन है. सेवाधाम के अंदर कई आपत्तिजनक चीजें हैं और परिस्थितियां मिली हैं. शैलेंद्र जैन ने कहा है कि यह मामला ह्यूमन ट्रैफिकिंग का भी हो सकता है.
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सेवाधाम ने आरोप निराधार बताए : आरोपों के जवाब में अब सेवाधाम के जिम्मेदार सामने आए हैं. सेंट फ्रांसिस सेवा धाम आश्रम ने मीडिया के सामने अपना पक्ष रखा और आयोग की कार्रवाई को गलत बताया. बिशप मध्यप्रांत सागर ने बताया कि सागर जिले के श्यमापुरा गांव में स्थित संत फ्रांसिस अनाथालय विगत 150 सालों से जिले के अग्रणी संस्थानों में से एक है, जो अनाथों और जरूरतमंदों की सेवा में कार्यरत है. आयोग की टीम ने परिचय दिये बिना सीधे निवास में जाकर सोये हुए बच्चों को जगाकर पूछताछ की. 125 साल पुराने गिरजाघर के पूजा वेदी में प्रवेश कर पवित्र स्थान (जो केवल पुरोहितो के लिए आरक्षित है) और पवित्र ग्रंथों की मर्यादा का अनादर किया और चर्च की सामग्री को तहस नहस किया. श्यामपुरा के गिरजाघर के दस्तावेज को जब्त कर लिया गया.