सागर। एक समय था कि जेल यातना और कष्ट के लिए जानी जाती है, लेकिन जेल अब समाज कल्याण का हिस्सा बनती जा रही है. जाने अंजाने में अपराध की दुनिया में कदम रखने वाले लोग जेल में रहकर इस बात के लिए चिंतित रहते हैं कि क्या अपराध के बाद समाज उन्हें अपनाएगा और जीवन की मुख्य धारा से कैसे जुड़ पाएगा. अपराध की दुनिया से निकलकर कैदियों को मुख्य धारा में जोड़ने के लिए जेल विभाग कई सार्थक प्रयास कर रहा है. इसी कड़ी में सागर केंद्रीय जेल अधीक्षक दिनेश नरगावे की पहल पर केंद्रीय जेल के कैदियों को पुरोहित का प्रशिक्षण दिया जा रहा है. इस प्रयास से जहां कैदी धर्म और पूजा पाठ के जरिए अपराध की दुनिया से मुंह मोड़ रहे हैं. वहीं सजा के बाद समाज की मुख्यधारा में शामिल होकर सम्मानजनक जीवन जी सकेंगे.
कैदियों को दिया जा रहा है पुरोहित प्रशिक्षण: सागर केंद्रीय जेल अधीक्षक दिनेश नरगावे ने जेल में एक नवाचार शुरू किया है. इस नवाचार के जरिए एक अनोखी पहल कर कैदियों को अपराध की दुनिया से दूर करने और सजा के बाद समाज की मुख्यधारा में जोड़ने की अनोखी पहल सागर केंद्रीय जेल में हो रही है. जेल अधीक्षक दिनेश नरगावे ने 70 पुरुष और 28 महिला सजायाफ्ता कैदियों के लिए गायत्री परिवार की दीक्षा दिलवाई है. पिछले महीने उन्होंने जेल में 108 कुंडीय गायत्री महायज्ञ का आयोजन करवाया था, जिसमें करीब 100 कैदी दीक्षित हुए. जेल अधीक्षक दिनेश नरगावे बताते हैं कि "गायत्री परिवार से दीक्षित इन कैदियों को गर्भधारण से लेकर मृत्यु तक के संस्कार सिखाए जा रहे हैं. जनपुरोहित प्रशिक्षण के लिए ऐसे कैदियों का चयन किया गया है, जो दसवीं पास हैं और जिनकी संस्कृत में रुचि है. पैरोल पर रिहा होने या सजा पूरी होने के बाद यह कैदी कर्मकांडी पंडित बनकर धर्म की राह पर अपना बाकी जीवन व्यतीत करेंगे. समाज में एक विद्वान मंत्रोच्चार के साथ जो कार्य करता उन्हीं संस्कारों की शिक्षा दीक्षा इन कैदियों को दी जा रही है."
कैदियों के लिए लगाया गया शैक्षणिक संस्कार शिविर: पूजा पाठ और कर्मकांड का प्रशिक्षण चाह रहे कैदियों को गायत्री परिवार से दीक्षित करने के लिए 45 दिन का शैक्षणिक संस्कार शिविर लगाया गया है. सागर के गायत्री परिवार ट्रस्ट केंद्रीय जेल के कैदियों के लिए गायत्री मंत्र लेखन के लिए पेन सहित सभी सामग्री उपलब्ध कराता है. जीरो बजट पर जेल प्रशासन के नवाचार की हर तरफ प्रशंसा हो रही है. सागर केंद्रीय जेल की क्षमता 894 है, जिसमें फिलहार 2043 कैदी है. इनमें से करीब 1100 कैदी एकादशी का व्रत करते हैं. सभी के गले में तुलसी की माला है और जेल प्रशासन उनके लिए फलाहार की व्यवस्था करता है.
MP Sagar Central Jail सागर के केंद्रीय जेल की जगह बनेगा बुंदेलखंड का सबसे बड़ा कमर्शियल कांप्लेक्स ये हैं पर्यावरण के असली रक्षक! बरगद की जटाओं से खड़ा कर दिया जंगल, जानिए पूरी कहानी |
आत्मसुधार के साथ पूजा पाठ का प्रशिक्षण: कैदियों को प्रशिक्षित कर रहे गायत्री परिवार के योगेश शांडिल्य बताते हैं कि "बदलाव इनके आचरण और व्यवहार में परिवर्तन आएगा और ये समाज में परिवर्तन लाएंगे. इसी उद्देश्य से गायत्री परिवार ने तय किया है कि इन लोगों के बीच कार्य करें, इनको हम आत्मसुधाार के साथ पूजा पाठ का प्रशिक्षण दे रहे हैं. जेल से छूटने के बाद खुद पूजा पाठ करेंगे और समाज में पूजा पाठ कर जीविकोपार्जन कर सकेंगे.
क्या कहना है जेल प्रशासन का: सागर केंद्रीय जेल अधीक्षक दिनेश नरगावे का कहना है कि जैसा कि हम जानते हैं कि जेल के अंदर जो कैदी रहते हैं, वो काफी अवसाद ग्रस्त रहते हैं. मानसिक रूप से परेशान रहते हैं. परिवार से दूर रहकर परिवार की चिंता करते हैं. उन्होंने जो अपराध किया है, उसके कारण जेल में है. लेकिन जेल के अंदर सकारात्मक माहौल मिले और जब जेल से छूटकर बाहर जाएं तो समाज की मुख्यधारा में जुड़ सकें. इन सब बातों को ध्यान रखकर गायत्री परिवार के सौजन्य से जनपुरोहित का प्रशिक्षण दिया जा रहा है. ये कैदी जो सनातन धर्म के संस्कार पूजा, हवन, विवाह और सत्यनारायण की कथा करना सीख रहे हैं. जेल के दूसरे कैदियों को प्रेरित कर रहे हैं.
समाज की मुख्यधारा में जुड़ेंगे: सागर केंद्रीय जेल में प्रशिक्षण ले रहे विचाराधीन बंदी रूपेश सिरोड़े कहते हैं कि यहां मुझे सीखने मिला है कि मन को कैसे शांत करना है. बाहर जाकर समाज की मुख्यधारा में कैसे जुड़ाना है. साथ ये भी सीखने को मौका मिल रहा है कि पूजा पाठ के जरिए हम समाज की मुख्यधारा में जुड़कर कैसे बुराईयों को खत्म कर सकते हैं. इसके जरिए हम जेल से बाहर जाकर भविष्य संवारने का काम करेंगे.