सागर। मध्यप्रदेश सरकार के चिकित्सा शिक्षा विभाग की पदोन्नति नीति से परेशान होकर मेडिकल कॉलेज के प्रोफेसर अब मध्यप्रदेश छोड़कर दूसरे राज्यों में नौकरी तलाश रहे हैं. प्रदेश सरकार के चिकित्सा शिक्षा विभाग की पदोन्नति नीति के हालात ये है कि बुंदेलखंड मेडिकल कॉलेज में पदस्थ असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ. सुमित रावत ने पदोन्नति प्रक्रिया से परेशान होकर पदोन्नति सूची से अपना नाम अलग करने के लिए डीन को पत्र लिखा है. मेडिकल कॉलेज टीचर्स एसोसिएशन ने भी पदोन्नति नीति के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है. मेडिकल कॉलेज टीचर्स एसोसिएशन के प्रवक्ता के नाते सुमित रावत का कहना है कि पदोन्नति नीति में खामियों के चलते मध्य प्रदेश की मेडिकल कॉलेजों में भाई भतीजावाद और भ्रष्टाचार चल रहा है. अयोग्य को प्रमोशन दिया जा रहा है और योग्य लोग अपने चयन के बाद उसी पद पर काम करने के लिए मजबूर हैं. मैंने यह कदम पदोन्नति प्रक्रिया के विरोध में उठाया है. (Medical teachers looking for jobs in other states)
क्या लिखा डॉक्टर सुमित रावत ने अपने पत्र मेंः बुंदेलखंड मेडिकल कॉलेज के माइक्रोबायोलॉजी विभाग के असि. प्रोफेसर डॉ सुमित रावत ने डीन को चिट्ठी लिखकर भविष्य के सभी पदों की प्रक्रिया से अपना नाम वापस लेने की बात कही है. अपने पत्र में उन्होंने कहा है कि मैं माइक्रोबायोलॉजी विभाग में पिछले 13 सालों से कार्यरत हूं और 2018 में मुझे नामित प्राध्यापक नियुक्त किया गया था. जिसकी पदोन्नति की पूरी प्रक्रिया का महाविद्यालय के द्वारा पालन हुआ था. इस आशय की सभी जिम्मेदारी के सभी कार्य और अतिरिक्त कार्यभार के दायित्व संपादित करते हुए मेरे द्वारा कोई लाभ नहीं लिया गया. लेकिन मुझे इन कार्यों का अनुभव भी प्रदान नहीं किया गया है. यह संविधान की मूल भावना के विपरीत है. शासन एवं महाविद्यालय स्तर पर 2014 से लेकर आज दिनांक तक कई बार मेरे पदोन्नति के प्रस्ताव मंगाए गए और स्वीकृत किए गए परंतु आज तक पदोन्नति आदेश जारी नहीं हुआ है. हर बार एक नई प्रक्रिया शुरू की जाती है, जिसमें नियम भी लगातार बदलते हैं. ऐसे नियम बदलने के पीछे मंशा विशेष व्यक्तियों को लाभ पहुंचाने की होती है. (What dr sumit rawat wrote in his letter) (Troubled medical teachers looking for jobs in other states)
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क्यों उठाया असिस्टेंट प्रोफेसर ने यह कदमः प्रो. सुमित रावत कहते है कि पूरे प्रदेश में पदोन्नति के लिए चिकित्सा शिक्षा विभाग के नियम बने हैं कि कितने समय में प्रमोशन होना चाहिए, कितने पद होना चाहिए. नियम है कि अगर 8 साल तक आपका प्रमोशन नहीं होता है, तो 8 साल बाद अपने आप प्रमोट हो जाएंगे, उसके भी नियम बने हुए हैं. जो टाइम स्केल प्रमोशन होता है, उसके अनुसार टाइम स्केल वेतन भी समय पर दिया जाता है. परंतु मेडिकल एजुकेशन में जो बड़े पदों पर बैठे हुए लोग और क्लर्क पदोन्नति नीति को सही तरीके से लागू नहीं कर रहे हैं. व्यक्तिगत भेदभाव पूर्ण तरीका अपनाकर प्रमोशन दिया जा रहा है. जिससे खुश हैं, उनको प्रमोशन दिया जाता है और जिस से नाखुश हैं, उनको नहीं दिया जा रहा है. पदोन्नति प्रक्रिया में कुछ भी परफारमेंस आधारित नहीं है. सरकारी कॉलेज में जो 15- 20 साल से काम कर रहे हैं, उनके अनुभव को महत्व नहीं दिया जाता है. बल्कि जो प्राइवेट में 8 साल काम करके आता है, उसे सीधा प्रोफेसर बना देते हैं. (Why assistant professor took this step)
क्या कदम उठाएंगे चिकित्सक शिक्षकः इस मामले में प्रो. सुमित रावत कहते हैं कि मेडिकल कॉलेज टीचर्स एसोसिएशन ने चिकित्सा शिक्षा मंत्री विश्वास सारंग से भी बात की है और चिकित्सा शिक्षा के आयुक्त से भी बात हुई है. डॉ. सुमित रावत कहते हैं कि यह मेरी अकेली लड़ाई नहीं है, यह आगे आने वाली पीढ़ी की लड़ाई है. मरीजों के साथ गलत ना हो और जो मध्यप्रदेश छोड़कर दूसरे राज्यों में नौकरी करने जा रहे हैं, वो यहीं सेवाएं दे. मैं सागर का रहने वाला हूं. वर्ना 8 साल पहले ही नौकरी छोड़कर किसी दूसरे राज्य में काम कर रहा होता. (What steps will doctor teachers take)