सागर। मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव के लिए दोनों प्रमुख दल भाजपा कांग्रेस के प्रत्याशियों की सूची जारी हो चुकी है. धीरे-धीरे टिकट वितरण को लेकर नाराजगी और विवाद थम रहे हैं, लेकिन सागर जिले की नरयावली विधानसभा में कांग्रेस के टिकट के विरोध और विवाद का सिलसिला लगातार जारी है. दरअसल, कांग्रेस ने सागर से पूर्व मंत्री सुरेन्द्र चौधरी को प्रत्याशी बनाया है. सुरेन्द्र चौधरी लगातार दो बार विधानसभा चुनाव हार चुके हैं, लेकिन उसके बावजूद उनको प्रत्याशी बनाए जाने को लेकर अन्य दावेदारों में जमकर नाराजगी है और खासकर जिला पंचायत सदस्य शारदा खटीक लगातार विरोध प्रदर्शन कर रही है और टिकट बदले जाने की मांग कर रही है.
इसी कडी में बुधवार को वो कांग्रेस प्रत्याशी सुरेन्द्र चौधरी और पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह का पुतला दहन करने के लिए झांसी रोड पहुंची थी. जहां सुरेन्द्र चौधरी के समर्थक अशरफ खान ने ऐसा करने से मना किया, तो शारदा खटीक के समर्थकों ने अशरफ खान से मारपीट कर दी और विवाद इतना बढ़ गया कि दोनों पक्षों में जमकर लाठी डंडे चले.
क्या है मामला: बुधवार दोपहर मकरोनिया चौराहे के पास झांसी रोड पर उस समय अफरा तफरी का माहौल बन गया. जब कांग्रेस के कार्यकर्ता ही आपस में भिड़ गए और नरयावली से कांग्रेस प्रत्याशी सुरेन्द्र चौधरी के समर्थक और युवा कांग्रेस नेता अशरफ खान के साथ मारपीट कर दी. दरअसल कांग्रेस के अधिकृत प्रत्याशी सुरेन्द्र चौधरी मकरोनिया इलाके में जनसंपर्क कर रहे थे. इसी दौरान टिकट की दावेदार रही जिला पंचायत सदस्य शारदा खटीक के समर्थक दिग्विजय सिंह और कांग्रेस के अधिकृत प्रत्याशी का पुतला दहन करने के लिए पहुंच गए.
वहां मौके पर मौजूद कांग्रेस प्रत्याशी के समर्थक अशरफ खान ने पुतला दहन कर रहे कार्यकर्ताओं को समझाने की कोशिश की और पुतला दहन रोकने के लिए कहा, लेकिन दोनों पक्षों में गहमागहमी का माहौल हो गया और जिला पंचायत सदस्य शारदा खटीक के समर्थकों ने कांग्रेस नेता अशरफ खान को जमीन पर पटकर मारपीट शुरू कर दी. जैसे ही सुरेन्द्र चौधरी के समर्थकों को जानकारी लगी, तो वो भी मौके पर पहुंचे और दोनों पक्षों में जमकर लाठियां डंडे चले. कांग्रेस प्रत्याशी के समर्थक अशरफ खान को गंभीर चोटें आयी है और उन्हें अस्पताल में भर्ती किया गया.
क्यों हो रहा है नरयावली के टिकट का विरोध: दरअसल नरयावली के प्रत्याशी सुरेन्द्र चौधरी को लेकर विरोध का सिलसिला लगातार जारी है. सुरेन्द्र चौधरी की बात करें, तो 1998 में सुरेन्द्र चौधरी पहली बार नरयावली विधानसभा से चुनाव जीते और दिग्विजय सिंह सरकार में कुछ समय के लिए राज्य मंत्री भी बने, लेकिन 2003 विधानसभा चुनाव में कांग्रेस विरोधी लहर के बीच नारायण कबीरपंथी से चुनाव हार गए. चुनाव हारने के बाद 2008 में पार्टी ने प्रत्याशी बदला, लेकिन फिर भी कांग्रेस को जीत नहीं मिली. इसलिए 2013 में फिर सुरेन्द्र चौधरी के लिए कांग्रेस का टिकट मिला और उन्हें हार का सामना करना पड़ा. फिर 2018 में भी सुरेन्द्र चौधरी चुनाव हार गए. ऐसे में नरयावली सीट से कांग्रेस के दूसरे दावेदार सुरेन्द्र चौधरी को प्रत्याशी बनाए जाने पर नाराज है. इन दावेदारों का कहना है कि जो व्यक्ति चार चुनावों में से 3 चुनाव हार चुका है और लगातार 2 बार चुनाव हारा है, उसकी जगह किसी और को मौका क्यों नहीं दिया गया. इसलिए कांग्रेस नेता टिकट का विरोध कर रहे हैं और लगातार टिकट बदले जाने की मांग कर रहे हैं.