सागर। पिछले दिनों एक सियासी घटनाक्रम के बाद मध्यप्रदेश के सत्ताधारी दल भाजपा में सत्ता और संगठन में बदलाव की चर्चा ने जोर पकड़ा था. भाजपा प्रदेश अध्यक्ष पद की रस्साकशी में अपने नेता को प्रदेश अध्यक्ष बनाने की होड़ में सागर महापौर संगीता तिवारी के पति सुशील तिवारी जोश में होश खो बैठे और मंत्री भूपेंद्र सिंह के प्रति अपनी आस्था दिखाने के फेर में भाजपा प्रदेशाध्यक्ष वीडी शर्मा को निशाना बनाया. एक तरफ भाजपा अपना सियासी बवंडर संभालने में लगी थी और दूसरी तरफ सागर महापौर के पति सुशील तिवारी ने प्रदेशाध्यक्ष के खिलाफ ही आपत्तिजनक पत्र सोशल मीडिया पर वायरल कर खुद मुसीबत मोल ले ली.
आपत्तिजनक पत्र वायरल करने पर कार्रवाई : भाजपा का सियासी बवंडर तो फिलहाल थम गया,लेकिन भाजपा में प्रदेश कार्यसमिति सदस्य सागर महापौर पति सुशील तिवारी को भाजपा ने नोटिस थमा दिया और 3 दिन में जवाब मांगा. सुशील तिवारी ने अपनी सफाई पेश की और पार्टी को जवाब भी दिया. लेकिन पार्टी में जवाब को संतोषजनक ना पाते हुए उन्हें प्रदेश कार्यसमिति स के सदस्य पद से हटा दिया है. बता दें कि हाल ही में बुंदेलखंड के दो मंत्री गोपाल भार्गव और गोविंद सिंह राजपूत के साथ कुछ विधायकों ने मुख्यमंत्री और भाजपा संगठन से नगरीय प्रशासन मंत्री भूपेंद्र सिंह की शिकायत और इस्तीफे की धमकी दी. मंत्री भूपेंद्र सिंह को बैकफुट पर देख उनके समर्थकों ने मंत्री के समर्थन में अभियान चलाने की कोशिश की.
मंत्री भूपेंद्र सिंह को झटका : मंत्री भूपेंद्र सिंह समर्थकों ने यह जताने की कोशिश कि ये सब भाजपा प्रदेशाध्यक्ष पद की खींचतान के लिए है. भूपेंद्र सिंह प्रदेशाध्यक्ष बनने वाले हैं, इसलिए उनके खिलाफ माहौल बनाया जा रहा है. इसी कड़ी में भूपेंद्र सिंह के समर्थक सागर महापौर के पति सुशील तिवारी ने सोशल मीडिया पर एक ऐसा पत्र वायरल कर दिया, जिसमें भाजपा नेता और प्रदेश अध्यक्ष वीडी शर्मा के खिलाफ आपत्तिजनक बातें लिखी हुई थीं. पत्र में लिखा था कि भाजपा के कई नेता और प्रदेश अध्यक्ष एक रहवासी कॉलोनी में देर रात को जाते हैं और आपत्तिजनक गतिविधियों में लिप्त रहते हैं.
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सियासी तूफान थमा, अनुशासन का डंडा चला : प्रदेश की सत्ता और भाजपा संगठन में बदलाव के नाम पर सियासी तूफान थम जाने के बाद अब प्रदेश अध्यक्ष वीडी शर्मा फ्रंटफुट पर आकर खेल रहे हैं. सोशल मीडिया पर सुशील तिवारी द्वारा वायरल किए गए पत्र के मामले में पार्टी ने उन्हें कारण बताओ नोटिस जारी करते हुए 3 दिन के अंदर जवाब मांगा. सुशील तिवारी ने इस मामले में अपनी सफाई पेश करते हुए अपने पीए पर ठीकरा फोड़ दिया था और गलती से पत्र वायरल होने की बात कही. उन्होंने मुख्यमंत्री शिवराज सिंह से भी मुलाकात की. पार्टी को उन्होंने कारण बताओ नोटिस का जवाब दिया. लेकिन पार्टी ने उनके जवाब को असंतोषजनक मानते हुए उन्हें प्रदेश कार्यसमिति के पद से हटा दिया है. अब वह सिर्फ एक भाजपा कार्यकर्ता रह गए हैं.